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केंद्र ने कहा- दोषियों की फांसी में देर न हो; तेलंगाना में रेप के आरोपियों के एनकाउंटर का जश्न मना था, यह न्याय के लिए था

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नई दिल्ली.पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा निर्भया के दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक के फैसले पर केंद्र ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है। केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी। रविवार को इस पर विशेष सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि दुष्कर्मी जानबूझकर और सोचे-समझे तरीके से दया याचिका और क्यूरेटिव पिटीशन नहीं दाखिल कर रहे हैं और यह कानूनी आदेश को कुंठित करने का मंसूबा है। उन्होंने फांसी में जरा सी भी देर न किए जाने की अपील की और कहा- तेलंगाना में लोगों ने रेप के दोषियों के एनकाउंटर का जश्न मनाया था। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- लोगों का यह जश्न पुलिस के लिए नहीं था, बल्कि यह इंसाफ के लिए था। दोषियों की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने दलील दी कि अगर दोषियों को मौत की सजा एकसाथ दी गई है तो उन्हें फांसी भी एकसाथ दी जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

हाईकोर्ट ने शनिवार को इस मामले में चारों दोषियों के साथ ही तिहाड़ जेल प्रशासन और डीजी जेल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। केंद्र ने फांसी पर रोक के बाद दलील दी थी कि दोषी कानूनी प्रकिया का फायदा उठा रहे हैं। वे एक-एक कर कानूनी बचाव के रास्ते अपना रहे हैं, ताकि इस जघन्य अपराध की सजा से बच सकें। अगर ऐसे ही प्रक्रिया का पालन होता रहा तो केस कभी खत्म ही नहीं होगा।

फांसी पर रोक के फैसले पर किसने क्या कहा?
केंद्र:
तुषार मेहता ने कहा- दोषी पवन जानबूझकर दया याचिका या क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल नहीं कर रहा है। यह सुनियोजित अकर्मण्यता है। अगर ट्रायल कोर्ट का आदेश बरकरार रहता है, तब पवन भी क्यूरेटिव और दया याचिका दाखिल कर सकता है। ऐसे में दूसरों को भी फांसी नहीं होगी। यह जानबूझकर कानूनी आदेश को कुंठित करने का सोच-समझा मंसूबा है।
मेहता ने कहा- न्यायपालिका की विश्वसनीयता और मौत की सजा का पालन करवाने की इसकी शक्तियां दांव पर हैं। लोगों ने दुष्कर्म के आरोपियों के एनकाउंटर के बाद तेलंगाना में जश्न मनाया था। यह जश्न पुलिस के लिए नहीं था, यह न्याय के लिए था। ट्रायल कोर्ट द्वारा दिया गए आदेश पर रोक लगनी चाहिए। देश में हर दोषी न्यायिक व्यवस्था के हार जाने का लुत्फ उठा रहा है।

दोषियों के वकील: रेबेका जॉन ने कहा- केंद्र दोषियों पर आरोप तो लगा रहा है, ये खुद दो दिन पहले जागे हैं। ट्रायल कोर्ट में निर्भया केस पर कार्यवाही शुरू होने से पहले केंद्र कभी भी पार्टी नहीं था। केंद्र और दिल्ली सरकार, दोनों ही कभी भी निर्भया केस के दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट के लिए ट्रायल कोर्ट के पास नहीं आए। अगर निर्भया के चारों दोषियों को एकसाथ मौत की सजा दी गई है तो उन्हें फांसी भी एकसाथ ही दी जानी चािहए। मैं एक बहुत बुरी इंसान हूं। मैंने अकल्पनीय अपराध किया है। लेकिन, इसके बावजूद मैं आर्टिकल 21 के तहत प्रोटेक्शन पाने की आधिकारी हूं। भले ही मैं हत्या की दोषी हूं, फिर भी मेरे साथ न्यायपूर्ण व्यवहार किया जाना चाहिए।

वकील एपी सिंह ने कहा- सुप्रीम कोर्ट और संविधान ने मौत की सजा दिए जाने की निश्चित समयसीमा नहीं तय की है। केवल इसी मामले में इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई जा रही है। न्याय में जल्दबाजी का मतलब, न्याय का दफन हो जाना है। दोषी गरीब, ग्रामीण और दलित परिवारों से आते हैं।

तिहाड़ जेल ने कहा था- अलग-अलग फांसी दे सकते हैं
दरअसल, शुक्रवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगाई थी। अदालत इस मामले पर सुनवाई कर रही थी कि गुनहगारों को डेथ वॉरंट के हिसाब से 1 फरवरी (शनिवार) को सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाया जाए या नहीं। इस दौरान दोषियों में शामिल अक्षय, पवन और विनय की याचिका पर तिहाड़ प्रशासन ने कहा था कि दोषियों को अलग-अलग फांसी दे सकते हैं। हालांकि, कोर्ट ने कहा था कि इस देश की अदालतें कानूनी उपायों में जुटे किसी भी दोषी से आंख मूंदकर भेदभाव नहीं कर सकतीं।

वकील ने कहा- दोषियों के पास कानूनी विकल्प हैं
दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा था- एक दोषी की याचिका लंबित होने से बाकी दोषियों को फांसी देना गैर-कानूनी होगा। अभी दोषियों के पास दया याचिका समेत कानूनी विकल्प हैं। वहीं, निर्भया की मां आशा देवी ने कहा था- 7 साल पहले उनकी बेटी के साथ अपराध हुआ और सरकार बार-बार दोषियों के सामने झुक रही है।

दोषी अक्षय ने राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी, मुकेश-विनय की खारिज हुईं
शनिवार को दोषी अक्षय ठाकुर ने भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दया याचिका भेज दी। इसी दिन दोषी विनय शर्मा की दया याचिका भी खारिज हो गई। राष्ट्रपति दोषी मुकेश सिंह की दया याचिका 17 जनवरी को ठुकरा चुके हैं। इस फैसले की न्यायिक समीक्षा को लेकर लगाई याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में खारिज हुई। अब मुकेश के पास फांसी से बचने का कोई रास्ता नहीं है। सिर्फ दोषी पवन गुप्ता के पास क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका के विकल्प हैं। शुक्रवार को उसने गैंगरेप के वक्त नाबालिग होने का दावा खारिज होने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने पवन की रिव्यू पिटीशन ठुकराई।

चारों दोषियों की अभी क्या स्थिति

  • मुकेश सिंह और विनय शर्मा के दोनों विकल्प (क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका) खत्म हो चुके हैं।
  • अक्षय ठाकुर की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज हो चुकी है। उसकी दया याचिका राष्ट्रपति के पास विचाराधीन।
  • पवन गुप्ता ने न तो क्यूरेटिव पिटीशन दायर की है और न ही राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी है।

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