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ऑटो, कैब, ई रिक्शा और साइकिल रिक्शा चलाने वालों में ज्यादातर केजरीवाल के काम से खुश

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नई दिल्ली.दैनिक भास्कर नेबीते दिनों दिल्ली केअलग-अलग क्षेत्रों से ग्राउंड रिपोर्ट्स पाठकों तक पहुंचाईं।दिल्ली में अब मेट्रो आवागमन का मुख्य जरिया बन चुकी है। अगर आपको पास ही कहीं जाना है तो ऑटो, कैब, ई रिक्शा या साइकिल रिक्शा उपलब्ध हैं। हमने इन्हीं चार साधनों में सफर किया। इसके ड्राइवरों से दिल्ली चुनाव पर उनकी राय जानने की कोशिश की।6 घंटे में 4 साधनों के 7 ड्राइवरों से बातचीत के आधार पर तैयार यह ग्राउंड रिपोर्ट।

बेहतर शिक्षा जरूरी
वक्त दोपहर के करीब 12 बजे। हम कनॉट प्लेस से दिल्ली गेट के लिए ऑटो लेते हैं। ड्राइवरहैं मूलरूप से बिहार के रहने वाले सुनील कुमार। 13 साल से दिल्ली के वोटर हैं। कहते हैं, “पांच साल में हमारे हालात तो नहीं बदले,लेकिनकुछ काम हुए। स्कूलों में पढ़ाई पहले से बेहतर है। हमारे बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलेगी तो उनका भविष्य संवर जाएगा। अस्पतालों की हालत भी सुधरी है। गरीबों को सरकारी अस्पताल में अच्छा इलाज मिल जाए। इससे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए।”

एक मोदी तो दूसरा केजरीवाल के पक्ष में
दिल्ली गेट पर हम कुछ देर रुकते हैं। करीब ही दोरिक्शा चालक बैठे थे। उनसे बातचीत की। 55 साल के मोहम्मद इस्लाम कहते हैं, “11 साल से रिक्शा चला रहा हूं। हालात नहीं बदले। सुबह 6 से शाम 6 बजे तक पैडल पर पैर मारते हैं, ताकि पेट पल सके। हम जकीरा इलाके में रहते हैं। वहां बिजली-पानी फ्री नहीं हैं। बिजली के 350 और पानी के 250 रुपए देते हैं,हालांकिकेजरीवाल ठीक इंसान लगते हैं।” इस्लाम की बात से करीब बैठे बिंदेश्वर सहमत नहीं। दोनों के बीच मोदी और केजरीवाल को लेकर बहस होती है। बिंदेश्वर मोदी के काम को बेहतर मानते हैं। दोनों की हल्की-फुल्की बहस के बीच हम बिंदेश्वर के साथ राजघाट के लिए निकल पड़ते हैं।

हमारे हीरो केजरीवाल
बिंदेश्वर हमें राजघाट छोड़ते हैं। कुछ वक्त यहां गुजारने के बाद हम लाल किला जाने के लिए मोहम्मद सलमान का ई रिक्शा लेते हैं। सलमान कहते हैं, “सुबह 9 बजे गाड़ी लेकर निकलता हूं। रात 8 बजे घर पहुंचता हूं। केजरीवाल तो हमारे लिए हीरो हैं। उनकी वजह से मेरा यह रिक्शा चल रहा है। वे गरीबों और आम लोगों के साथ खड़े रहते हैं। पहले हम बिजली-पानी का जो पैसा देते थे।आज उसका 10% लगता है।”

मुफ्त योजनाएं गलत
हमने लाल किला से इंडिया गेट जाने का फैसला किया। इस बार एक कंपनी की कैब चुनी। ड्राइवर थे आशू। उनका परिवार बंटवारे के वक्त पाकिस्तान से दिल्ली आया था। वे कहते हैं, “38 साल में यही महसूस किया कि सरकार सिर्फ वादे करती है। केजरीवाल अगर मुफ्त में सब दे रहे हैं, तो ये गलत है। कुछ चार्ज तो होना ही चाहिए। पहले सरकारी अस्पताल बहुत खराब थे। अब ये बहुत बेहतर हैं। आंगनवाड़ी में भी अच्छी सुविधाएं हैं। दिल्ली में जब प्याज बहुत महंगी हुई तो केजरीवाल ने हमें 24 रुपए प्रति किलोग्राम में यह उपलब्ध कराई।”

ऑटो की फिटनेस अब दो साल में होती है
इंडिया गेट से हम हौज खास की तरफ बढ़े। ऑटो रिक्शा के चालक थे सरदार जितेंदर सिंह। ये प्रधानमंत्री मोदी की अच्छी मिमिक्री करते हैं। जब हम इसे रिकॉर्ड करना चाहते हैं तो सिंह रोक देते हैं। हमने पूछा तो बोले- लोगउठवा लेंगे। बहरहाल, सिंह कहते हैं, “ऑटो का फिटनेस टेस्ट पहले हर साल होता था। हर बार 4 से 6 हजार लगते थे। अब दो साल में होता है और सिर्फ 400 से 600 रुपए लगते हैं। मेरी गाड़ी से एक बंदे का एक्सीडेंट हुआ। लाखों रुपए लगे,लेकिनपैसा केजरीवाल ने दिया। जो ये कहते हैं कि स्कूल-अस्पताल नहीं सुधरे। उन्हें साथ लेकर चलिए। मैं दिखाता हूं, कितना बदलाव हुआ।”

चालान से परेशान
हौज खास से हम शाहीन बाग के लिए निकले। इस बार टैक्सी ली। ड्राइवर थे सुनील कुमार। वे बार-बार चालान कटने से परेशान और नाराज हैं। केजरीवाल की वजह से दो बार 10-10 हजार के चालान कटे। हमने टोका। कहा- चालान वाला कानून तो मोदी सरकार लाई है। इस पर सुनील बोले- केजरीवाल सब मुफ्त दे रहे हैं। मोदी कहीं से तो इसकी भरपाई करेंगे। सुनील के मुताबिक, सिर्फ मोदी ही ईमानदारी से काम करते हैं।

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