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सॉफ्ट सेपरेटिज्म खत्म करने के लिए तीन पूर्व सीएम पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगा, 42 साल पहले तस्करों पर कार्रवाई के लिए यह कानून बना था

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श्रीनगर से इकबाल. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) लगने के 5 महीने बाद उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती पर भी यही कानून लगा दिया गया है। इस तरह अब तीनों पूर्व सीएम पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लग चुका है। इसके तहत किसी को भी बिना ट्रायल के 2 साल तक हिरासत में रखा जा सकता है। माना जा रहा है कि मोदी सरकार ने कश्मीर से सॉफ्ट सेपरेटिज्म यानी जुबां पर लोकतंत्र और दिल में अलगाववाद की सियासत को खत्म करने के लिए तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों पर पीएसए लगाने का कदम उठाया है।

पीएसए 1978 में बना था
पब्लिक सेफ्टी एक्ट 1978 में जम्मू-कश्मीर में लागू कर दिया गया था। पहले तो यह कानून लकड़ी की तस्करी करने वालों के खिलाफ बना था, लेकिन धीरे-धीरे इसका इस्तेमाल अन्य आपराधिक मामलों में भी होने लगा। इसका खासकर तब इस्तेमाल किया गया, जब 2010 में जम्मू-कश्मीर में कई महीनों तक हालात खराब रहे। तब लोग सड़कों पर थे। प्रदर्शन के दौरान करीब 110 लोग मारे गए थे। कई लोगों पर पीएसए लगा दिया गया था। उस वक्त जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला थे। 2016 में जब हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद भी घाटी में हालात खराब हो गए थे। तब भी कई लोगों पर पीएसए लगा दिया गया था। उस वक्त महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री थीं। 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद भी कई लोगों और नेताओं पर पीएसए लगा दिया गया। कुछ को जम्मू-कश्मीर से बाहर अन्य राज्यों की जेलों में भेज दिया गया।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के जनरल सेक्रेटर अली मोहम्मद सागर और पीडीपी के नेता सरताज मदनी (महबूबा के मामा) पर भी पीएसए लगा है। सागर पर आरोप है कि उन्होंने 370 और 35ए हटाने के खिलाफ आवाज उठाई थी और पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं को भड़काया था। सरताज मदनी पर पीएसए इस बुनियाद पर लगा दिया गया कि उनकी 2009 में शोपियां जिले में दो लड़कियों आसिया और नीलोफर के कथित रेप-मर्डर केस में भूमिका थी। आरोप था कि मदनी ने रेप-मर्डर के लिए लोगों को मोबलाइज किया और भारत के खिलाफ प्रदर्शन किए।

तीनों पूर्व सीएम से पीएसए हटा तो थर्ड फ्रंट बनने में मुश्किलें आएंगी
साफ है कि फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पीएसए लगने के बाद मोदी सरकार यह संदेश देना चाहती है कि घाटी में बने पॉलिटिकल वैक्यूम में परिवारवाद के लिए अब कोई जगह नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 370 हटाए जाने के फैसले के संदर्भ में भी कश्मीर की राजनीति में परिवारवाद के बारे में बोल चुके हैं। जानकारों का मानना है कि भाजपा चाहती है कि घाटी में एक फ्रेंडली ग्रुप जैसी सियासी जमात सामने आए। संकेत हैं कि पीडीपी के पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व में एक थर्ड फ्रंट बन सकता है। बताया जाता है कि अगर तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को रिहा कर दिया जाए तो शायद तीसरे फ्रंट के बनने में मुश्किलें आ सकती हैं। हालांकि, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के दौर में कई लोगों पर पीएसए लगा दिया गया और उसके बाद हालात बहुत खराब हो गए, लेकिन इसके बावजूद कश्मीरीनेकां और पीडीपी को ही वोट देकर सरकार में लाए।

सॉफ्ट सेपरेटिज्म खत्म!
पीएसए के जरिए केंद्र सरकार यह भी संदेश देना चाहती है कि वह सॉफ्ट सेपरेटिज्म को खत्म करना चाहती है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस वोट बटोरने के लिए सॉफ्ट सेपरेटिज्म का इस्तेमाल करती रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बारे में संसद में कहा था कि महबूबा ने 5 अगस्त के फैसले के बाद यह बयान दिया था कि हिंदुस्तान ने कश्मीर को धोखा दे दिया है। इसी तरह उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि अगर 370 हटेगा तो ऐसा भूकंप आएगा, जिससे कश्मीर को आजादी हासिल होगी। मोदी ने कहा था कि क्या कोई इस तरह की भाषा बर्दाश्त करेगा?

महबूबा का ट्विटर हैंडल उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती चला रहीं
महबूबा मुफ्ती का ट्विटर हैंडल उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती चला रही हैं। उन्होंने एक ट्वीट में कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों पर पीएसए लगाना लोकतंत्र के खिलाफ है। ये सरकार 9 साल के बच्चों पर भी देशद्रोह का आरोप लगा देती है। सवाल यह है कि हम कब तक खामोश देखते रहेंगे।

कश्मीर की राजनीति में नए सवाल
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तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों पर पीएसए लगाए जाने के बाद कई लोगों ने उनसे हमदर्दी जताई और सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ लिखा। सबसे बड़ा सवाल ये है कि इससे कश्मीर में इन तीनों पूर्व सीएम की सियासत पर क्या असर पड़ेगा? क्या उन्हें आने वाले दिनों में सियासी फायदा होगा या नुकसान होगा?
2) ये नेता कब रिहा होंगे और रिहाई के बाद वे क्या स्ट्रैटजी अपनाएंगे?
3) जम्मू-कश्मीर की सियासत भविष्य में किस ओर जाएगी?
4) क्या कोई थर्ड फ्रंट बनेगा?

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Bhaskar Ground report From kashmir Public safety act on former Chief ministers