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सरकार ने कर्ज 37 हजार करोड़ घटाकर 100% हिस्सेदारी बेचने के लिए बोलियां मांगी; 2 साल पहले कोई खरीदार नहीं मिला था

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नई दिल्ली. कर्ज में दबी एयर इंडिया की 100% हिस्सेदारी बेचने के लिए सरकार ने 17 मार्च तक बोलियां मांगी हैं। शर्तों के मुताबिक खरीदार को एयर इंडिया के सिर्फ 23,286.5 करोड़ रुपए के कर्ज की जिम्मेदारी लेनी होगी। एयरलाइन पर कुल 60,000करोड़ रुपए का कर्ज है। यानी करीब 37,000 करोड़ रुपए के कर्ज का भार सरकार खुद उठाएगी।सरकार ने सोमवार को बिडिंग के दस्तावेज जारी किए। इसके मुताबिक सफल खरीदार को एयर इंडिया का मैनेजमेंट कंट्रोल भी सौंप दिया जाएगा।

दो साल पहले किसी ने बोली नहीं लगाई, इसलिए सरकार ने शर्तें आसान कीं

2018 2020
सरकार 76% शेयर बेचना चाहती थी 100% हिस्सेदारी बेची जाएगी
51 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था, खरीदार को 33392 करोड़ का भार उठाना था 60 हजार करोड़ रुपए का कर्ज, खरीदार को 23286 करोड़ की जिम्मेदारी लेनी है
खरीदार की नेटवर्थ 5000 करोड़ रुपए होना जरूरी खरीदार की नेटवर्थ 3500 करोड़ रुपए होनी चाहिए
बोली लगाने वाले को पिछले 5 साल में से कम से कम 3 साल फायदे में होना जरूरी बोली लगाने वाले के मुनाफे में होने की शर्त खत्म
कंसोर्शियम के प्रमुख सदस्य की हिस्सेदारी 51%, अन्य सदस्यों की 20% होनी जरूरी प्रमुख सदस्य की हिस्सेदारी 26% अन्य सदस्यों की 10% जरूरी

सरकार एयर इंडिया एक्सप्रेस, एआईएसएटीएस की पूरी हिस्सेदारी भी बेचेगी

नीलामी प्रक्रिया के दस्तावेजों के मुताबिक एयर इंडिया एक्सप्रेस के भी 100% शेयर बेचे जाएंगे। यह एयर इंडिया की सब्सिडियरी है, जो सस्ती उड़ानों का संचालन करती है। ज्वाइंट वेंचर एआईएसएटीएस में भी पूरी 50% हिस्सेदारी बेचने की योजना है। एआईएसएटीएस, एयर इंडिया और एसएटीएस लिमिटेड के बीच 50-50 फीसदी की साझेदारी वाला संयुक्त उपक्रम है। एयरपोर्ट पर विश्व स्तरीय सुविधाएं देने के उद्देश्य से इसकी शुरुआत की गई थी। एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज, एयर इंडिया ट्रांसपोर्ट सर्विसेज, एयरलाइन एलाइड सर्विसेज और होटल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया एक अलग कंपनी- एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग लिमिटेड (एआईएएचएल) को ट्रांसफर की जाएंगी। ये बिक्री में शामिल नहीं होंगी।

सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा-बजट भी घाटे में है, क्यों नसरकार की नीलामी की जाए?

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी एयर इंडिया को बेचने के खिलाफ हैं। उन्होंने इसे राष्ट्र विरोधी बताते हुए कहा कि वे सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाएंगे। ट्विटर पर एक यूजर ने स्वामी से सवाल किया कि एयर इंडिया घाटे में है। सिर्फ नेताओं के आराम के लिए ऐसी कंपनियों में टैक्सपेयर का पैसा क्यों लगना चाहिए? इस पर स्वामी ने जवाब दिया- बजट भी घाटे में है, तो फिर सरकार की नीलामी क्यों नहीं करते?

एयर इंडिया के कुल 16077 कर्मचारी, स्थायी कर्मचारियों के लिए 3% शेयर रिजर्व रखे जाएंगे
न्यूज एजेंसी के मुताबिक 1 नवंबर 2019 तक एयर इंडिया और सब्सिडियरी एयर इंडिया एक्सप्रेस के कुल 16,077 कर्मचारी थे। विनिवेश के तहत एयर इंडिया के स्थायी कर्मचारियों को 3% शेयर रियायती कीमतों पर दिए जाएंगे। एम्प्लॉयी स्टॉक ऑप्शन प्रोग्राम के तहत 98 करोड़ शेयर रिजर्व रखे जाएंगे। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि एयर इंडिया को बेचने की सरकार की योजना पर चर्चा के लिए कर्मचारी संगठन बैठक करेंगे। एयर इंडिया केकर्मचारियों के करीब 12 संगठन हैं।

स्टाफ जरूरत से ज्यादा नहीं: एयर इंडिया
नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि एयर इंडिया एक्सप्रेस के साथ एयर इंडिया एक बड़ा एसेट है। बोली में सफल रहने वाले को एयर इंडिया ब्रांड के तहत ही संचालन जारी रखना होगा। एयर इंडिया के चेयरमैन और एमडी अश्विनी लोहानी ने कहा कि एयरलाइन में जरूरत से ज्यादा स्टाफ नहीं है। रिटायर होने वाले कर्मचारियों के मेडिकल लाभों का मुद्दा सुलझाया जा रहा है।

88 साल पहले टाटा ने शुरू की थी यह एयरलाइन

  • टाटा एयरलाइनने 1932 में यह सर्विस शुरू की थी। 15 अक्टूबर 1932 को जेआरडी टाटा ने कराची से मुंबई की फ्लाइट खुद उड़ाई थी। वे देश के पहले लाइसेंसी पायलट थे। 1946 में इसका नाम बदलकर एअर इंडिया हुआ था।
  • आजादी के बाद 1953 में इसका नेशनलाइजेशन हुआ। डोमेस्टिक मूवमेंट के लिए इंडियन एयरलाइन्स और इंटरनेशनल फ्लाइट्स के लिए एअर इंडिया बनाई गई।
  • दोनों कंपनियों के ज्वाइंट एंटरप्राइज के तौर पर वायुदूत कंपनी शुरू हुई जो रीजनल फीडर कनेक्टिविटी देती थी। कई सालों बाद 1993 में वायुदूत का इंडियन एयरलाइन्स में मर्जर हो गया जिससे पूरे ग्रुप पर कर्ज बढ़ गया।

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