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पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्रियों पर पीएसए लगाने की वजह बताईं, कहा- उमर का जनता पर खास प्रभाव, महबूबा अलगाववाद समर्थक

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श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत में लिए जाने की वजह डॉजियर में बताई। पुलिस ने डॉजियर में लिखा कि उमर अब्दुल्ला का जनता पर खासा प्रभाव है, वे किसी भी कारण के लिए जनता की ऊर्जा का इस्तेमाल कर सकते हैं। पुलिस ने कहा कि महबूबा ने राष्ट्रविरोधी बयान दिए और वे अलगववादियों की समर्थक हैं।

उमर और महबूबा पर 6 फरवरी को पीएसए के तहत केस दर्ज किया गया था। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता महबूबा मुफ्ती की हिरासत की अवधि इसी दिन खत्म हो रही थी। इन दोनों को अगस्त, 2019 से सरकारी गेस्ट हाउस में नजरबंदी में रखा गया है।

डॉजियर में उमर की सोशल मीडिया कमेंट्स का भी हवाला

पुलिस ने डॉजियर में आरोप लगाया- उमर अब्दुल्ला में चरम आतंकवाद के माहौल और आतंकवादियों या अलगाववादियों के मतदान विरोधी आह्वानों के दौरान भी लोगों को पोलिंग बूथ तक ले आने की क्षमता है। उमर ने राज्य से अनुच्छेद 370 और 35-ए हटाए जाने के बाद राज्य के लोगों को भड़काने की कोशिश की। उन्होंने सोशल मीडिया पर ऐसे कमेंट किए, जिससे लोग भड़क सकते थे और यह सामान्य जनजीवन को प्रभावित कर सकता था। हालांकि, डॉजियर में पुलिस ने उमर की किसी भी सोशल मीडिया पोस्ट का जिक्र नहीं किया। उमर ने नजरबंद होने से पहले ट्वीट किया था कि कश्मीर के लोगों हमें नहीं पता कि वहां हमारे लिए क्या है। सुरक्षित रहिए और सबसे ऊपर शांति बनाए रखिएगा।

महबूबा ने बैन संगठन को समर्थन दिया- पुलिस

पुलिस ने कहा कि महबूबा मुफ्ती ने देश विरोधी बयान दिए। उन्होंने जमात-ए-इस्लामिया जैसे संगठनों को समर्थन दिया, जिन पर यूएपीए एक्ट के तहत बैन लगाया गया है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि सुरक्षा बल आतंकियों की हत्या कर रहे हैं।

उमर के दादा शेख अब्दुल्ला ने तस्करों के लिए लागू किया था पीएसए

उमर अब्दुल्ला के दादा शेख अब्दुल्ला ने 1978 में जम्मू-कश्मीर में पीएसए लागू किया था। यह कानून लकड़ी की तस्करी करने वालों के खिलाफ बना था। 2010 में जम्मू-कश्मीर में कई महीनों तक हालात खराब रहे। लोग सड़कों पर थे और प्रदर्शन के दौरान करीब 110 लोग मारे गए थे। इस दौरान भी कई लोगों पर पीएसए लगा दिया गया था। उस वक्त जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला थे। अब उमर भी इसी एक्ट के तहत हिरासत में हैं। उनके पिता और 5 बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे फारुक अब्दुल्ला के खिलाफ भी पिछले साल सितंबर में पीएसए के तहत केस दर्ज किया गया था।

क्या है पीएसए?

पीएसए के तहत सरकार किसी भी व्यक्ति को भड़काऊ या राज्य के लिए नुकसानदेह मानकर हिरासत में ले सकती है। यह कानून आदेश देने वाले अफसर के अधिकार क्षेत्र की सीमा के बाहर व्यक्तियों को हिरासत में लेने की अनुमति देता है। कानून के सेक्शन 13 के मुताबिक, हिरासत में लेने का आदेश केवल कमिश्नर या डीएम जारी कर सकता है। इसमें कोई भी यह कहने के लिए बाध्य नहीं है कि कानून जनहित के खिलाफ है।

कानून के दो सेक्शंस हैं। एक- लोगों के लिए खतरा देखते हुए, इसमें बिना ट्रायल के व्यक्ति को 3 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है। इसे 6 महीने तक बढ़ाया जा सकता है। दूसरा- राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा, इसमें दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है।

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