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चीन के शेयर बाजार में 13 साल की सबसे बड़ी गिरावट, निवेशकों को 32 लाख करोड़ रुपए का नुकसान

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शंघाई. कोरोनावायरस के असर की चिंताओं से चीन के शेयर बाजार में सोमवार को भारी बिकवाली हुई। शेनझेन कंपोजिट इंडेक्स में 8.5% गिरावट आ गई। यह 13 साल में सबसे ज्यादा है। शंघाई कम्पोजिट इंडेक्स 7.7% गिरकर एक साल के निचले स्तर पर पहुंच गया। यह चार साल की सबसे बड़ी गिरावट भी है। दोनों इंडेक्स की गिरावट से निवेशकों को 445 अरब डॉलर (32 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान हो गया। चीन के शेयर बाजार के रेग्युलेटर ने कहा है कि बाजार की गिरावट से प्रभावित कंपनियों को 2019 के सालाना और 2020 के तिमाही नतीजे घोषित करने के तय समय में छूट दी जाएगी।

केंद्रीय बैंक ने सिस्टम में 12 लाख करोड़ रुपए बढ़ाए, फिर भी करंसी में गिरावट
चीन कीकरंसी में भी सोमवार को तेज गिरावट आई। वहां की मुद्रा युआन 1.5% गिरकर 7 युआन प्रति डॉलर के नीचे आ गई। चीन के केंद्रीय बैंक ने सिस्टम में नकदी बढ़ाकरगिरावट रोकने की कोशिश की, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। सेंट्रल बैंक ने रविवार को ही कह दिया था कि शॉर्ट टर्म बॉन्ड की खरीदारी के जरिए बैंकिंग सिस्टम में 173 अरब डॉलर (12.36 लाख करोड़ रुपए) की रकम डाली जाएगी, ताकि बैंकों की कर्ज क्षमता बढ़ सके और करंसी बाजार स्थिर रहे।

बैंकों ने ब्याज दरें घटाईं ताकि प्रभावित लोगों को आर्थिक दिक्कतें ना हों
चीन में नए साल की छुट्टियों के बाद शेयर बाजार में कारोबार का सोमवार को पहला दिन था। हालांकि, शुक्रवार को बाजार खुलना था, लेकिन सरकार ने छुट्टी बढ़ा दी थी। चीन में कोरोनावायरस के संक्रमण के17 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। केंद्रीय और स्थानीय सरकारें पीड़ितों के इलाज और मेडिकल उपकरणों पर खर्च के लिए अब तक 12.6 अरब डॉलर (90 हजार करोड़ रुपए) की रकम जारी कर चुकी हैं। इकोनॉमी पर कोरोनावायरस का असर कम करने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है। ज्यादा प्रभावित इलाकों में प्रमुख बैंकों ने कर्ज की ब्याज दरें घटा दी हैं, ताकि लोगों को आर्थिक रूप से दिक्कतें नहीं हो। बैंक ऑफ चाइना ने कहा है कि लोगों का रोजगार छिनता है तो उन्हें कर्ज के भुगतान में फिलहाल राहत देते हुए ज्यादा समय दिया जाएगा।

इकोनॉमी: तीन महीने में 2.29 लाख करोड़ रुपए के नुकसान की आशंका
पिछले साल ट्रेड वॉर का नुकसान झेल चुकेचीन की अर्थव्यवस्था को नए साल में कोरोनावायरस ने जोखिम में डाल दिया है। आर्थिक गतिविधियां तेजी से घट रही हैं। कंपनियों कोप्रोडक्शनबंद करनापड़ रहाहै। अमेरिकी कंपनी एपल ने पिछले हफ्ते चीन में अपने 42 स्टोर 9 फरवरी तक के लिए बंद करने का ऐलान किया था। इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला ने भी शंघाई का नया प्लांट अस्थाई रूप से बंद कर दिया है। कोरोनावायरस के असर से कितना आर्थिक नुकसान होगा, इस बारे में अभी अनुमान लगाना मुश्किल है। लेकिन, कुछ अर्थशास्त्रियों के मुताबिक चालू तिमाही में चीन की जीडीपी ग्रोथ में 2% गिरावट आ सकती है। ऐसा हुआ तो जीडीपी को 62 अरब डॉलर (2.29 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान होगा। अमेरिका से ट्रेड वॉर के असर की वजह से पिछले साल चीन की जीडीपी ग्रोथ सिर्फ 6.1% रही। यह 29 साल में सबसे कम है।

बेरोजगारी दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का खतरा
चीन के अर्थशास्त्री झांग मिंग का कहना है कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती की वजह से रोजगार की स्थिति पहले ही खराब है। कोरोनावायरस के असर से हालात और बिगड़ेंगे। 29 करोड़ अप्रवासी कामगारों में बहुत से ऐसे हैं जो कंस्ट्रक्शन और मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े कामों या कम वेतन वाले अन्य कामों के लिए हर रोज गांव से शहर आते हैं। लेकिन, फैक्ट्रियां बंद होने से उन्हें रोजगार मिलना मुश्किल होगा। हुबेई प्रांत के एक करोड़ से ज्यादा कामगारों को रोजगार खोना पड़ सकता है, क्योंकि हुबेई में कोरोनावायरस का असर सबसे ज्यादा होने की वजह से वहां के लोगों से संक्रमण बढ़ने का खतरा है। झांग के मुताबिक आने वाले कुछ महीनों में चीन में बेरोजगारी दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकती है। सामान्य तौर पर यह 4% से 5% के बीच रहती है। सब्जियां पहले ही महंगी हो चुकी हैं, आने वाले दिनों में रोजाना जरूरत की चीजें और महंगी होने का खतरा है।

ग्लोबल इकोनॉमी पर भी जोखिम; 17 साल पहले ऐसे ही वायरस से 2.85 लाख करोड़ का नुकसान हुआ था
कोरोनावायरस के असर से दुनियाभर के शेयर बाजार प्रभावित हुए हैं। भारतीय बाजार का प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 27 फरवरी को 458 अंक गिर गया था। कोरोना वायरस चीन के साथ ही पूरी दुनिया के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन रहा है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस वायरस के फैलने से वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती फैल सकती है। 2002-03 में इसी तरह के वायरस सेवर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स) की वजह से ग्लोबल इकोनॉमी को 2.85 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। कोरोनावायरस का संक्रमणफैलने से दुनिया की सप्लाई चेन टूटेगी। यातायात प्रभावित होने से कीमतें बढ़ेंगी। चीन दुनिया के बड़े बाजारों में से एक है। इसलिए पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था परतेजी से असर होगा।

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