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करियर की शुरुआत क्लर्क के तौर पर की थी, 1969 में राजनीति में आए और राष्ट्रपति बनने तक का सफर तय किया

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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी हमारे बीच नहीं रहे। उनका 84 साल की उम्र में निधन हो गया। 60 साल के राजनीतिक जीवन में प्रणब दा ने कई सारी जिम्मेदारियां निभाईं। उन्होंने विदेश, रक्षा, वाणिज्य और वित्त मंत्रालय का काम देखा। वे 5 बार राज्यसभा के सदस्य चुने गए। 2 बार लोकसभा सांसद बने। 77 साल की उम्र में राष्ट्रपति बने।

उन्होंने 1963 में कलकत्ता के पोस्ट और टेलीग्राफ ऑफिस में एक अपर डिवीजन क्लर्क के रूप में करियर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने विद्यानगर कॉलेज में राजनीतिक विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाया भी। राजनीति में आने से पहले देशर डाक (मातृभूमि की पुकार) मैगजीन में पत्रकार रहे। उनके राजनीतिक जीवन की चुनिंदा और चर्चित तस्वीरें…

1969 में इंदिरा गांधी ने प्रणब मुखर्जी को कांग्रेस ज्वाइन करने का ऑफर दिया। प्रणब दा ने इसे स्वीकार कर लिया था।

इंदिरा गांधी की मदद से राज्यसभा सांसद बने
1969 में इंदिरा गांधी ने प्रणब मुखर्जी की काबिलियत को पहचाना और कांग्रेस ज्वाइन करने का ऑफर दिया। प्रणब इसे ठुकरा नहीं पाए। इसी साल इंदिरा गांधी की मदद से वे राज्यसभा सदस्य बने। इसके बाद वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्यसभा के लिए चुने गए।

1973 में पहली बार मंत्री बने
यह फोटो 15 मार्च, 1976 की है। प्रणब दा तब के वित्त मंत्री चिदंबरम सुब्रमण्यम (बीच में) के साथ नजर आ रहे हैं। वे 1973 में इंदिरा गांधी की कैबिनेट में पहली बार मंत्री बने। उन्हें राजस्व और बैंकिंग मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया था।

1982 में पहली बार वित्त मंत्री बने, 7 बार बजट पेश किया
प्रणब दा की यह फोटो 1982 की है, जब वे बजट को फाइनल टच दे रहे थे। प्रणब पहली बार इंदिरा गांधी की सरकार में 15 जनवरी 1982 से 31 दिसंबर 1884 तक वित्त मंत्री रहे। तीन बार बजट पेश किया। इसके बाद मनमोहन सिंह की सरकार में 24 जनवरी 2009 से 26 जून 2012 तक वित्त मंत्री रहे। चार बार बजट पेश किया।

1986 में कांग्रेस छोड़ दी, अलग पार्टी भी बनाई
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रणब दा के राजीव गांधी के साथ मतभेद बढ़ गए। उन्हें पार्टी से 6 साल के लिए निकाल दिया गया। इसके बाद प्रणब ने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का गठन किया। हालांकि, 1989 में पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया।

दो बार विदेश मंत्री बने
राजीव गांधी की हत्या के बाद पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने। उन्होंने प्रणब मुखर्जी को योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया। बाद में उन्हें विदेश मंत्री की जिम्मेदारी भी दी। उन्होंने 10 फरवरी 1995 से 16 मई 1996 तक विदेश मंत्री की जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद 24 अक्टूबर 2006 से 22 मई 2009 तक मनमोहन सरकार में विदेश मंत्री रहे।

सोनिया ने किया था प्रणब को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने का ऐलान
सोनिया गांधी ने 15 जून 2015 को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया। इसका ऐलान सोनिया गांधी ने किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, शरद पवार और पी चिदंबरम मौजूद थे।

77 साल की उम्र में राष्ट्रपति बने
प्रणब मुखर्जी ने 25 जुलाई को 13वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। तब चीफ जस्टिस रहे एसएच कपाड़िया ने मुखर्जी को शपथ दिलाई। वे 25 जुलाई 2017 तक इस पद पर रहे।

बहन ने कहा था- तुम इसी जन्म में राष्ट्रपति बनोगे
जब 1969 में प्रणब राज्यसभा के सदस्य बने, तो उनका आवास राष्ट्रपति भवन के पास था। एक दिन उन्होंने राष्ट्रपति की घोड़े वाली बग्घी को देखकर अपनी बहन अन्नापूर्णा बनर्जी से कहा था कि इस आलीशान राष्ट्रपति भवन का आनंद उठाने के लिए वो अगले जन्म में घोड़ा बनना पसंद करेंगे। तब उनकी बहन ने कहा था कि इसके लिए तुम्हें अगले जन्म तक रुकना नहीं पड़ेगा, बल्कि इसी जन्म में मौका मिलेगा।

संघ के कार्यक्रम में शामिल होकर सबको चौंकाया था
प्रणब दा अपने फैसले पर कायम रहने वाले लोगों में से एक थे। उनकी यह झलक 7 जून 2019 में संघ के समारोह में शामिल होने पर दिखी थी। अलग विचारधारा के होने के बाद भी उन्होंने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। उनके इस फैसले पर कांग्रेस नेताओं ने भी सवाल उठाए थे।

मोदी को अपने हाथों से मिठाई खिलाई
2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने वापसी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शपथ लेने के पहले 28 मई को प्रणब मुखर्जी से आशीर्वाद लेने पहुंचे। मुखर्जी ने मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्हें अपने हाथों से मिठाई खिलाई।

भारत रत्न भी मिला
फोटो 8 अगस्त की है, जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया था। प्रणब की बेटी शमिष्‍ठा मुखर्जी ने 12 अगस्त को लिखा कि पिछले साल 8 अगस्‍त मेरी जिंदगी का सबसे खुशी भरा दिन था, जब मेरे पिता को भारत रत्‍न मिला था। ठीक एक साल बाद वे बीमार हो गए।

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