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अटलजी को असरदार और मोदी को तेजी से सीखने वाला पीएम मानते थे; मोदी ने कहा था- जब दिल्ली आया, तब प्रणब दा ने उंगली पकड़कर सिखाया

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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी हमारे बीच नहीं रहे। उनका 84 साल की उम्र में निधन हो गया। वे 2012 में राष्ट्रपति बने थे और 2017 तक इस पद पर रहे। भले ही प्रणब का नाता कांग्रेस से था, लेकिन वे भाजपा के दो नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी से काफी प्रभावित थे। इसका जिक्र उन्होंने एक कार्यक्रम में किया था।

अटलजी को प्रणब सबसे असरदार, तो मोदी को सबसे तेजी से सीखने वाला पीएम मानते थे। यहीं नहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने भी प्रणब मुखर्जी की तारीफ में कहा था कि जब मैं दिल्ली आया था, तब प्रणब दा ने ही उंगली पकड़कर सिखाया। 2017 में जब राष्ट्रपति पद पर प्रणब मुखर्जी का आखिरी दिन था, तो मोदी ने उनके नाम चिट्‌ठी में लिखा था- राष्ट्रपति जी, आपके प्रधानमंत्री के रूप में आपके साथ काम करना सम्मान की बात रही।

इस चिट्‌ठी में मोदी ने जिक्र किया था कि प्रणब हमेशा मोदी से यह पूछते थे कि वे अपनी सेहत का ध्यान रख रहे हैं या नहीं? इस चिट्‌ठी को प्रणब ने ट्वीट किया था और कहा था कि इसे पढ़कर मैं भावुक हो गया।

प्रणब ने अटलजी से जुड़ा किस्सा सुनाया था
प्रणब ने मार्च 2017 में एक कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ा एक किस्सा सुनाया था। उन्होंने कहा था कि मैं राज्यसभा में था। मैंने अचानक देखा कि प्रधानमंत्री मेरी सीट की तरफ आ रहे हैं। मैंने शर्मिंदगी महसूस की। मैंने कहा- अटलजी आपने मेरे पास आने की क्यों तकलीफ की? आप किसी को मुझे बुलाने के लिए भेज देते। अटलजी ने कहा कि कोई बात नहीं। हम दोस्त हैं। इसके बाद अटलजी ने मुझसे एक बात की गुजारिश की। उन्होंने कहा कि जॉर्ज फर्नांडीज काफी मेहनती और काबिल मंत्री हैं। उनके लिए ज्यादा तल्ख न हों। उस वक्त जॉर्ज डिफेंस मिनिस्टर हुआ करते थे। मैंने अटलजी से कहा कि मैं इस बात की तारीफ करता हूं। मैं इस बात के लिए आपको सलाम करता हूं कि आप अपने कलीग की कितनी फिक्र करते हैं। ये एक ऐसी घटना है, जो बताती है कि अटलजी किस तरह काम करते थे।”

प्रणब ने मोदी की भी तारीफ की थी
प्रणब ने कहा था कि मोदी के काम करने का अपना तरीका है। हमें इसके लिए उन्हें क्रेडिट देना चाहिए कि उन्होंने किस तरह से चीजों को जल्दी सीखा है। चरण सिंह से लेकर चंद्रशेखर तक प्रधानमंत्रियों को काफी कम वक्त काम करने का मौका मिला। इन लोगों के पास पार्लियामेंट का अच्छा-खासा एक्सपीरियंस था, लेकिन एक शख्स सीधे स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन से आता है और यहां आकर केंद्र सरकार का हेड बन जाता है। इसके बाद वह दूसरे देशों से रिश्तों और एक्सटर्नल इकोनॉमी में महारत हासिल करता है।

प्रणब ने कहा था कि 2008 की आर्थिक मंदी के बाद एक ताकतवर ऑर्गनाइजेशन जी-20 के रूप में उभरा। हर साल और कभी-कभी साल में दो बार जी-20 की समिट होती है। वह बड़े मसलों से निपटता है। किसी भी प्रधानमंत्री को इसकी इनडेप्थ नॉलेज हासिल करनी होती है। मोदी ने यह किया। मोदी चीजों को बहुत अच्छी तरह ऑब्जर्व करते हैं। मुझे उनकी वह बात अच्छी लगी, जब उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के लिए आपको बहुमत चाहिए होता है, लेकिन सरकार चलाने के सभी का मत चाहिए होता है।

मोदी ने कहा था- प्रणब ने एक गार्जियन की तरह उंगली पकड़कर चीजें सिखाईं
जुलाई 2016 में राष्ट्रपति भवन म्यूजियम के सेकंड फेज के इनॉगरेशन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के लिए कहा था कि जब मैं दिल्ली में नया-नया आया था, तब राष्ट्रपति ने एक गार्जियन की तरह मुझे उंगली पकड़कर चीजें सिखाई थीं। जो मौका मुझे मिला, वो बहुत कम लोगों को मिलता है।

मोदी ने कहा था कि सबसे अहम बात ये है कि उनका पॉलिटिकल बैकग्राउंड अलग है और मेरा अलग, लेकिन उनके साथ मैंने सीखा कि कैसे अलग-अलग राजनीतिक विचारधारा होने के बावजूद लोकतंत्र में एक-दूसरे से कंधे से कंधा मिलाकर काम किया जा सकता है।

पिछले साल भारत रत्न से नवाजे गए थे
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पिछले साल भारत रत्न सम्मान नवाजा गया था। उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने यह सम्मान दिया था। मुखर्जी यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वाले पांचवें राष्ट्रपति थे। इससे पहले राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. जाकिर हुसैन और वीवी गिरि को मिल यह सम्मान मिल चुका है।

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