टीवी डेस्क. शरद मल्होत्रा हाल ही में यूरोप से हनीमून और पत्नी रिप्सी भाटिया का बर्थडे मनाकर लौटे हैं। शरद की शादी अप्रैल में हुई थी,लेकिन व्यस्तता के चलते वो चार महीने बाद हनीमून पर जा पाए। शादी के बाद जीवन में आए बदलाव और हनीमून ट्रिप को लेकर दैनिक भास्कर नेशरद से बातचीत की…
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जी हां, हनीमून तो शादी के तुरंत बाद ही होता है, लेकिन मेरा कुछ साढ़े तीन-चार महीने के बाद हो पाया। शादी के बाद टाइम ही नहीं मिल पाया। ओवर टाइम काम करके हनीमून के लिए टाइम निकाला।इसमें पूरी टीम का भी मुझे साथ मिला। तब जाकर प्रोडयूसर से पांच-छह दिनों की छुट्टी मिली। यह छुट्टी काफी अच्छी रही और मैं काफी फ्रेश हो गया। सब जानते हैं कि मैं छुटि्टयां बहुत कम लेता हूं। साल में बमुश्किल 10-12 दिन कीही छुट्टी लेता हूं।
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यूरोप में स्विट्जरलैंड, जूरिक, लूसर्न, इंटरलॉकेन, लौटरब्रुनेन, बर्न कई जगहों पर घूमने गया। कहीं पर एक दिन तो कहीं पर दो दिन ठहरा। मैंने काफी समय बाद ट्रेन में सफर किया। इससे बचपन की यादें ताजा हो उठीं, क्योंकि बचपन में पूरा परिवार ट्रेन में सफर करता था। वहां बर्फीले पहाड़, नदियां, जंगल, खेत-खलिहान देखा। इन नजारों को देखकर यश चोपड़ा की फिल्मों की यादें ताजा हो उठीं, जिसे देखकर बड़े हुए हैं। हम लोग सिलसिला, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, चांदनी, डर जैसी फिल्मों के गाने ट्रेन का इंतजार करते हुए प्लेटफॉर्म पर गुनगुना रहे थे। सो बहुत मजा आया।
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यूरोप जाने का प्लान मेरी पत्नी रिप्सी का था। उनका यूरोप जाने का मन था। फिर मैंने तय किया कि हनीमून के साथ-साथ रिप्सी का बर्थडे भी वहीं सेलिब्रेट करें।
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देखिए, मैं लाइफ में कभी कुछ प्लान नहीं करता हूं, क्योंकि जब भी प्लान किया है, तब अक्सर वैसा नहीं हुआ है। वहीं जब प्लान करके नहीं चला, तब लाइफ में बहुत कमाल की चीजें हुईं और अच्छे परिवर्तन आए। मैं आगे अच्छा काम करना चाहता हूं, जिसे लोग याद रखें। ऐसा काम जिससे सही मायने में लोगों का मनोरंजन हो। अच्छी फिल्में करना चाहता हूं, जो हर एक्टर के जेहन में कहीं न कहीं इच्छा होती है। मुंबई में लोग आते हैं, तब अपने आपको बड़े पर्दे पर देखना चाहते हैं, मैंने अपने आपको बड़े पर्दे पर देखा है, पर अफसोस फिल्में नहीं चलीं। अब फिर से कोशिश करूंगा कि अच्छी फिल्में करूं। साथ ही ऊपर वाले से प्रार्थना करूंगा कि मेरी फिल्में चलें और लोगों का मनोरंजन करें।
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मैं जब सिंगल था और काम से घर आता तो खुद ही दरवाजा खोलता था। लेकिन शादी के बाद जब घर लौटता हूं और मुस्काराते हुए पत्नी दरवाजा खोलती है, तब पूरे दिन की थकान गायब हो जाती है। पहला बदलाव तो यही है। दूसरा, अब घर सूना नहीं, बल्कि हरा-भरा लगता है, क्योंकि वाइफ घर पर होती है। अब एक अलग ही खुशनुमा वातावरण होता है। शादी के बाद इनसब काएक अलग ही मजा है। शादी के पहले कई बार ऐसा होता है कि अकेले बैठे हैं और किसी से बात नहीं कर पा रहे हैं। अब सुख-दुख बांट रहे हैं, जो बातें दोस्त-यार से नहीं बता सकते, उसे वाइफ को बताते हैं। शादी के बाद बदलाव तो बहुत सारे आए हैं। सबसे बड़ा बदलाव- मैं और मेरी वाइफ बहुत खुश हैं। मुंबई शहर में एक अच्छा साथी हो, जो सुख-दुख में साथ दे, इससे ज्यादा और क्या चाहिए। अब कोशिश होती है, ज्यादा से ज्यादा समय वाइफ के साथ बिताऊं। इंडस्ट्री में कुछ दोस्त-यार हैं, कुल मिलाकर अब पूरी लाइफ कंप्लीट हो जाती है।