मॉस्को.रूस की सरकार युवाओं को राजनीति से दूर रखने के लिए नई रणनीति बनाई है। इसके लिए सरकार नए-नए तरह के उत्सव मनाने पर जोर दे रही है। डिस्को जॉकी (डीजे) और कबाब के स्टॉल लगाकर युवाओं को जश्न में उलझाया जा रहा है ताकि वे राजनीति में न उलझें। मॉस्को में लगातार 3 हफ्ते से विपक्षी दल प्रदर्शन कर रहे हैं। मॉस्को के इन उत्सवों को मीट एंड बीट नाम दिया गया है।
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इसी तरह का एक फेस्टिवल शाशनिक लाइव है। यहां खाने-पीने के अलावा संगीत के साथ मौजमस्ती का भरपूर इंतजाम किया गया है। आयोजकों का दावा है कि यहां अब तक 3 लाख से ज्यादा लोग शिरकत कर चुके हैं।
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राजनीतिक विश्लेषक तातियाना स्टेनोवाया कहती हैं- फेस्टिवल के जरिए लोगों को राजनीति से मोड़ने की तैयारी है। विपक्ष को यह बेवकूफाना लग सकता है। पिछले हफ्ते फेस्टिवल्स में 3 लाख लोग नहीं पहुंचे। लेकिन मॉस्को में ऐसे कई लोग हैं जिनका प्रदर्शनों को लेकर तटस्थ रवैया रखते हैं। उत्सवों का आयोजन उनके लिए कारगर साबित हो सकता है। सरकार यह दिखाना चाहती है कि उसे कोई दिक्कत नहीं है।
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मॉस्को में नगरीय निकाय के चुनाव के लिए निर्दलीय उम्मीदवारों को अयोग्य करार दे दिया गया था। इसको लेकर लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। रूस सरकार इन प्रदर्शनों को खत्म करना चाहती है। सरकार की मंशा है कि प्रदर्शनकारी अपना ध्यान हटाकर दूसरी चीजों में लगाएं।
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जब से प्रदर्शन हो रहे हैं, तब से2000 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें से 11 लोगों को दंगा भड़काने, मनी लॉन्ड्रिंग और परिवार को धमकाने के आरोप दर्ज किए गए। वहीं सरकार समर्थक रशा टाइम्स के संपादक कहते हैं कि लोग किसी प्रदर्शन के बजाय 100 गुना ज्यादा बार किसी उत्सव में जाना पसंद करेंगे।
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स्टेनोवाया के मुताबिक- सरकार द्वारा इस तरह के तरीके 2011-12 के प्रदर्शनों के बाद से अपनाए जा रहे हैं। उस दौरान सरकार ने पुतिन समर्थित रैलियां निकाली थीं। हालांकि नए मॉस्को में प्रो-पुतिन रैलियां निकाले जाने की संभावना नहीं है। हालांकि क्रेमलिन (राष्ट्रपति भवन) इस बात को कभी नहीं चाहेगा कि पुतिन के सामने कोई बड़ा विपक्षी आंदोलन खड़ा हो पाए।