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]]>કેમ્પ હનુમાન મંદિર 22 માર્ચ પછી નહીં ખોલવામાં આવતા સર્જાયેલા વિવાદથી ટ્રસ્ટી સુધીર નાણાવટીએ રાજીનામું આપ્યું છે. 12 સંસ્થાએ શુક્રવારે ચેરિટી કમિશનરને મંદિર ખોલવા લેખિત રજૂઆત કરી છે.
દરમિયાન કેમ્પ હનુમાન ટ્રસ્ટી પાર્થિવ અધ્વર્યુએ કહ્યું, મંદિર કેન્ટોનમેન્ટ વિસ્તારમાં હોવાથી આર્મી મંજૂરી આપતું નથી. વધુમાં મંદિર પાછળ કોવિડ કેર સેન્ટર છે. આ સંજોગોમાં ભક્તોના ધસારાથી કોરોનાનો ચેપ વધી શકે છે. કાળી ચૌદશે હવન માટે આર્મીની મંજૂરી માગી છે પણ ભક્તોને પ્રવેશ નહીં અપાય. સુધીર નાણાવટી પાસે કેસનો વધુ ભરાવો હોવાથી ટ્રસ્ટની મિટિંગ માટે સમય આપી શકતા નથી માટે રાજીનામું આપ્યું છે. જ્યારે પૂજારી કમ ટ્રસ્ટી અતુલ શર્માએ કહ્યું કોવિડની શરતોનું પાલન કરી મંદિર ખોલવા આર્મીએ મંજૂરી આપી છે. નાણાવટીએ અંગત કારણોથી રાજીનામું આપ્યું છે.
વિવાદોથી કંટાળીને રાજીનામું આપ્યું છે
કેમ્પ હનુમાન મંદિરના તત્કાલિન ટ્રસ્ટી સુધીર નાણાવટીએ જણાવ્યું હતું કે, થિયેટરો ખૂલી ગયાં છે. મંદિર ખોલવામાં કોઇ વાંધો ન હોવો જોઇએ. હું મંદિરમાં 17 વર્ષથી ટ્રસ્ટી હતો. છેલ્લાં કેટલાંક વર્ષોથી મંદિરમાં વારંવાર વિવાદો થાય છે. ત્રણ કલાક મિટિંગ ચાલ્યા પછી પણ વિવાદો શાંત થતા નથી. વિવાદોથી કંટાળીને મેં રાજીનામું આપ્યું છે.
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]]>The post हनुमानजी ने कैसे तोड़ा अर्जुन का घमंड:अहंकार बड़े-बड़े योद्धाओं को भी छोटा कर देता है, इस बुराई से बचना चाहिए, जानिए हनुमानजी और अर्जुन की कथा appeared first on News n Feeds.
]]>अर्जुन ने उड़ाया था रामसेतु का मजाक, अर्जुन ने हनुमानजी से कहा था कि वह अपने बाणों से ही ऐसा सेतु बना सकता है
घमंड एक ऐसी बुराई है, जिसकी वजह से बड़े-बड़े योद्धाओं को भी पराजित होना पड़ा था। महाभारत में हनुमानजी ने भीम के अलावा अर्जुन का भी घमंड तोड़ा था। जानिए पूरी कथा…
प्रचलित कथा के अनुसार एक बार अर्जुन रामेश्वरम् की ओर से गुजर रहे थे। उस समय रामसेतु के पास ही एक वृद्ध वानर ध्यान में बैठे थे। अर्जुन ने रामसेतु को देखा और वह सेतु का मजाक उड़ाने लगे।
वृद्ध वानर कोई और नहीं, बल्कि वे स्वयं हनुमानजी ही थे। अर्जुन उन्हें पहचान नहीं सके और बोले कि श्रीराम श्रेष्ठ धनुर्धर थे, लेकिन फिर भी उन्होंने पत्थरों से सेतु क्यों बनवाया। इससे अच्छा सेतु तो मैं अपने बाणों से बना सकता हूं।
वानर ने अर्जुन से कहा कि भाई ऐसा नहीं है। उस समय श्रीराम की वानर सेना में कई वानर ऐसे थे, जिनका वजन बाणों से बना सेतु झेल नहीं पाता। इसीलिए पत्थरों से सेतु बनवाया था।
अर्जुन ने कहा कि मैं दुनिया का श्रेष्ठ धनुर्धर हूं, मेरे बाणों का सेतु कोई नहीं तोड़ सकता है। वृद्ध वानर ने कहा कि भाई तुम्हारे बाणों का सेतु मेरा वजन भी नहीं झेल पाएगा।
इस बात पर अर्जुन ने वृद्ध वानर से कहा कि ठीक हैं, मैं बाणों से सेतु बनाता हूं, आप उसे तोड़कर दिखाएं। अगर आपने ऐसा कर दिया तो मैं अपने आपको सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर कहना छोड़ दूंगा। ऐसा कहकर अर्जुन ने वहां अपने बाणों से एक सेतु बना दिया।
वृद्ध वानर ने जैसे ही उस सेतु पर पैर रखा वह सेतु टूट गया। ये देखकर अर्जुन हैरान हो गए। तब हनुमानजी अपने वास्तविक स्वरूप में आए और उन्होंने अर्जुन को समझाया कि तुमने अपने अहंकार में श्रीराम का अपमान किया है। ये सुनकर अर्जुन को अपनी गलती का अहसास हो गया।
प्रसंग की सीख
इस प्रसंग की सीख यही है कि घमंड ऐसी बुराई है, जिसकी वजह से हमें घर-परिवार और समाज में अपमानित होना पड़ सकता है। इस बुराई से बचना चाहिए।
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