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1 अप्रैल तक सब बंद: सिर्फ 7 पेट्रोल पंप खुले, पुलिस बोली- लोग बाहर निकले तो केस दर्ज करेंगे

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इंदौर. कोरोनावायरस के संक्रमण से बचने के लिए देशभर में जारी 21 दिन के लॉकडाउन के बावजूद इंदौर में आम लोग लापरवाही करते रहे। नतीजा यह हुआ कि शहर में संक्रमितों की संख्या 24 हो गई। शहर में अब कोरोना की स्टेज-3 यानी वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा मंडराने लगा है। इसी वजह से इंदौर में 1 अप्रैल तक देश का सबसे सख्त लॉकडाउन लागू किया गया है। सोमवार सुबह जब इसकी शुरुआत हुई तो किराने की दुकानें बंद रहीं। होम डिलीवरी भी नहीं हुई। स्वयंसेवी संस्थाओं को चौराहों पर जाकर खाना बांटने से रोक दिया गया। शहर में पुलिस, प्रशासन, हेल्थ वर्कर्स, मेडिकल स्टोर्स और मीडिया को छोड़कर हर तरह की गाड़ियों को प्रतिबंधित कर दिया गया। कई इलाकों में दूध भी नहीं बंटा। बाद में प्रशासन ने थोड़ी राहत देते हुए कहा कि सुबह 6 से 9 बजे और शाम से 5 से 7 बजे तक दुकानों से दूध मिलेगा।

लॉकडाउन का उल्लंघन किया तो कार्रवाई: कलेक्टर
कलेक्टर मनीष सिंह ने साफकर दिया है कि लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई होगी। नियम तोड़ने वालों को खुली जेल में रखा जाएगा। भोजन बांटने के लिए एनजीओ को दिए गए पास भी निरस्त कर दिए गए हैं। यह जिम्मेदारी अब प्रशासन उठाएगा। पहले चरण में 10 हजार फूड पैकेट्स बांटे जाएंगे।

सख्ती के बाद इंदौर के हालात

चौराहों पर लॉकडाउन और भारत बंद लिखा
इंदौर में नगर निगम के सफाई कर्मचारियों ने शहर की सीमाओंके आसपास और चौराहों पर लिखा- लॉकडाउन और भारत बंद।शहर में 24 घंटे खुले रहने वाले पेट्रोल पंप बंद हैं। सिर्फ 7पेट्रोल पंप खुले हैं, जो इमरजेंसी सेवाओं- एंबुलेंस, टैंकर,सरकारी वाहन को डीजल, पेट्रोल दे रहे हैं। पुलिस ने सुबह 7बजे के बाद हर चौराहे पर नाकेबंदी कर दी है। हर आने-जानेवाले को समझाइश दी जा रही है। पुलिस का कहना था कि थोड़ीदेर समझाएंगे, नहीं मानते हैं तो केस दर्ज करेंगे।

चौराहे पर लिख दिया- लॉकडाउन। हालांकि, स्पेलिंग गलत है।

सुबह 5 बजे से दूध डेयरियों के बाहर भीड़, निराश लौटे लोग
सोमवार सुबह 5 बजे से शहर की डेयरी के बाहर लोग पहुंचना शुरू हो गए। यहां चौराहों पर भी आज दूध बांटने आने वालीं गाड़ियां नहीं आईं। कईलोगों को पता नहीं था कि आज से दूध की सप्लाई बंद है। इनका कहना था कि अगर दूध नहीं मिलेगा तो घर में छोटे बच्चों का क्या होगा। वे भूखे ही रहेंगे। प्रशासन सुरक्षा केअच्छे कदम उठा रहा है, लेकिन सुविधाओं का भी ख्याल रखें।

दूध की दुकान खुलने का इंतजार करता एक व्यक्ति, लेकिन वह खुली नहीं। व्यक्ति को नए नियम का पता नहीं था।

सिक्योरिटी गार्ड 10-15 किमी पैदल चलकर नौकरी करने आ-जारहे
कई गार्ड पैदल आते-जाते देखे गए।ये जहां नौकरी करते हैं, वहां से उनका घर10-15 किमी दूर है। इंदौर केमॉल, होटल में काम करने वाले लोगों ने बताया कि अचानकलॉकडाउन से हमारे साथियों को पैसे नहीं मिले। उनकी आर्थिकहालत बहुत खराब है।

बुंदेलखंड के मजदूरों को ठेकेदार ने पैसे नहीं दिए, भूखे-प्यासेघर लौट रहे
इंदौर में काम करने वाले 150 मजदूर भोपाल-इंदौर हाइवे (एबी रोड) पर देखे गए। ये लोग अपने घरों के लिए निकले। इनमेंछतरपुर, पन्ना, दमोह, सागर के रहने वाले थे। सभी मजदूरीकरते हैं। सिक्योरिटी गार्ड हैं। कुछ लोग पीथमपुर से आए थे,जो कल दोपहर 12 बजे घर से निकले थे। मजदूरों का कहनाथा कि हम 4-5 दिन से यहां रुके रहे। सोचा कि सबसामान्य हो जाएगा तो काम मिल जाएगा। ठेकेदार से भीमजदूरी के पैसे नहीं मिले। जो जेब में थे, वे भी खर्च हो गए।

जोधपुर से 9 दिन में घर आया, पुलिस ने खाना खिलाया औरगाड़ी में बैठाया
जोधपुर में चाय-मसाले की फैक्ट्री में काम करने वाला बहादुर 9दिन की यात्रा के बाद आज इंदौर पहुंचा। बहादुर ने बताया किकोरेाना से लोगों के मरने की खबरों के बाद फैक्ट्री में काम बंदकर दिया गया। शहर में कर्फ्यू लगने से ठेकेदार ने हाथ खड़ेकर दिए। ठेकेदार ने सभी मजदूरों से अपनी व्यवस्था करके घरजाने के लिए कह दिया। उसे ठेकेदार से 10 हजार रुपए देनेलेने थे, लेकिन कर्फ्यू के कारण उससे मिल ही नहीं पाया। मेरी तरह करीब 150 लोग अलग-अलग जगहों के लिए बिना के पैसे निकले। बहादुर के मुताबिक, राजस्थान पुलिस ने खाना खिलाकर वहां से एक गाड़ी में बैठा दिया, उससे एमपी बॉर्डर तक आ गया। वहां से 200 किमी पैदल चलकर इंदौर पहुंचा। सड़कों पर लोग किसी ट्रक के मिलने की आस में पैदल चलते जा रहे हैं। बच्चे, बुजुर्ग सब घर जाने के लिए परेशान हैं।

जोधपुर से आया बहादुर।

आखिर यह सबसे कड़ा लॉकडाउन क्यों?
देशभर में लॉकडाउन लागू हुए 5 दिन बीत चुके हैं। मगर इस दौरान भी वहां दूध-सब्जी समेत जरूरी चीजों के लिए प्रशासन ने पूरी तरह से छूट दे रखी है। पेट्रोल पंप, एटीएम जैसी सेवाएं जारी रखी हैं। लोगों को बाहर निकलने और खरीदारी के लिए भी तय समय में छूट दी जा रही है। लेकिन इंदौर में लोगों की आवाजाही पूरी तरह बंद करने की तैयारी है। किराने की दुकानों को भी छूट नहीं है। दूध भी तय वक्त पर बंटेगा। सब्जियां नहीं मिलेंगी। 1 अप्रैल के बाद मंडियां खुलने पर भी सिर्फ आलू-प्याज बिकेगा।

आखिर यह कदम उठाने की जरूरत क्यों पड़ी?
दरअसल, लॉकडाउन के बाद भी इंदौर में बड़ी संख्या में लोग बाहर से आ रहे थे। कई सामाजिक संस्थाएं भोजन और अन्य सामग्री बांटने का काम कर रही थीं। लॉकडाउन लागू होने के बाद भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन नहीं हो पा रहा था। नतीजतनबीते दोदिनमें इंदौर में संक्रमितों की संख्या अचानक बढ़ गई। इंदौर पर कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा मंडरा रहा है। प्रशासन ने चंदन नगर, रानीपुरा जैसे इलाकोंकी पहचान की है।वहां आवाजाही पर रोक लगाई है।

इंदौर के मालवा मिल चौराहा स्थित दुकान: लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग को धता बताया, इसलिए प्रशासन को सख्ती करनी पड़ी।

सख्ती बढ़ाने के लिए प्रशासनिक सर्जरी हुई
इंदौर की कमान अब कलेक्टर मनीष सिंह को सौंपी गई है। इससे पहले इंदौर के कलेक्टर लोकेश जाटव थे। वहीं पुलिस महकमे में डीआईजी रुचिवर्धन मिश्र की जगह डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्र को लाया गया है। प्रशासनिक गलियारों में इन बदलावों को सख्ती बढ़ाने की दिशा में लिए गए कदम के तौर पर देखा जा रहा है। कलेक्टर सिंह को इंदौर की प्रशासनिक टीम के साथ काम करने का अनुभव भी है।

अचानक से बढ़ गए संक्रमण के मामले
इंदौर में अचानक से दो दिन में संक्रमण के मामले बढ़े हैं। संक्रमितों की संख्या 24 पर पहुंच गई। सभी मरीजों का अलग-अलग अस्पताल में इलाज चल रहा है। अधिकारियों ने सभी को एमआर टीबी अस्पताल में शिफ्ट करने को कहा है। इनमें से चारकी हालत गंभीर बताई जा रही है। इनमें से एक वेंटिलेटर पर है तो बाकी तीन को बाईपेप मशीन पर रखा गया है।

रानीपुरा और देवास के संदिग्धों की मौत
कोरोनोवायरस संक्रमण के संदेह में एमआर टीबी अस्पताल में भर्ती 70 साल के बुजुर्ग की इलाज के दौरान मौत हो गई है। बुजुर्ग रानीपुरा क्षेत्र में रहते थे। शनिवार को निजी अस्पताल में भर्ती देवास नगर निगम के 50 वर्षीय दिव्यांग कर्मचारी ने भी दम तोड़ दिया। मौत से पहले मरीज को बुखार और सांस लेने में समस्या थी। दोनों ही मामलों में कोरोना की जांच के लिए सैंपल लिया गया, जिसकी रिपोर्ट आना बाकी है।

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इंदौर में एबी रोड विजय नगर मार्केट में भी सभी दुकानें बंद हैं।