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राज्य में 13 नवंबर से पहले हर हाल में करानी होगी वोटिंग; 21 नवंबर तक छठ, मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल भी 29 नवंबर तक

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बिहार विधानसभा चुनाव कराने को लेकर निर्वाचन आयोग पशोपेश में है। आयोग चुनाव टालने को लेकर कुछ नहीं बोल रहा है, लेकिन बिहार में कोरोना की तेज रफ्तार और सीमावर्ती जिलों में बाढ़ को दरकिनार कर भी दे तो भी उसके सामने कई मुश्किलें हैं। नई सरकार का गठन 29 नवंबर से पहले कर लेना है और उस महीने 13 से 21 तारीख तक त्योहारों के कारण बिहार में चुनाव संभव नहीं है।

इससे पहले अक्टूबर में 17 से 25 तक नवरात्र है। हालांकि, पिछले चुनाव में नवरात्र के दौरान एक चरण का चुनाव करा लिया गया था, लेकिन इस बार कोरोना के कारण शायद यह भी मुश्किल हो।

सितंबर-अक्टूबर में चुनाव तय माना जा रहा

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने अफसरों के सामने सरकार के पास अगस्त तक का ही समय बता रहे हैं, जिसके कारण सितंबर-अक्टूबर में चुनाव तय माना जा रहा है। आयोग भी चुनाव टालने की बात नहीं कह रहा और हाईकोर्ट ने भी ऐसी याचिका को किनारे छोड़ दिया है। ऐसे में जानिए, पूरा गणित कि कब-क्या होगा और अभी क्या जमीनी स्थिति है

13 नवंबर तक बने सरकार या छठ के बाद सिर्फ मतगणना ही संभव

चुनाव को लेकर तारीखों का गणित भी मायने रख रहा है। 2015 में भी यही स्थितियां थीं, लेकिन इस बार तारीखें उससे भी ज्यादा मायने रख रही हैं। 2015 में एक चरण का मतदान नवरात्र के बीच में कराना पड़ा था, ताकि 9 नवंबर को धनतेरस से पहले 8 नवंबर को परिणाम आ जाएं। इस बार नवरात्र 17 से 25 अक्टूबर के बीच है। बिहार में धनतेरस, दीपावली और फिर छह दिनों का महापर्व छठ संपन्न होता है। इस बार 13 नवंबर को धनतेरस है और 21 नवंबर को महापर्व छठ खत्म हो रहा है।

चाणक्य स्कूल ऑफ पॉलिटिकल राइट्स एंड रिसर्च के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा बताते हैं, “16वीं विधानसभा का पहला सत्र चूंकि 30 नवंबर 2015 को शुरू हुआ था, इसलिए 29 नवंबर को विधानसभा भंग होगी। इससे पहले नई सरकार का फैसला हो जाना चाहिए और ऐसी स्थिति में छठ के बाद सिर्फ चुनाव परिणाम और शपथ ग्रहण की प्रक्रिया का ही इंतजार किया जा सकता है।”

प्रशासनिक अधिकारियों के संक्रमण और सरकारी अफसरों की मौत से डर

राज्य का गृह विभाग फिलहाल दो ही मोर्चे पर लगा है। एक तरफ सीमावर्ती जिलों में बाढ़ को लेकर विभाग मुस्तैद है, जबकि दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण की निगरानी भी कर रहा है। अब तक यहां विधानसभा निर्वाचन संबंधित मोर्चा नहीं खुला है, जबकि गृह विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग प्राथमिक रूप से चुनावी रूपरेखा में अहम भूमिका निभाता है।

गृह विभाग के एक आला अधिकारी ने बताया कि कोरोना को लेकर यहां रोस्टर ड्यूटी भी नहीं लगाई जा सकी और खतरे के बीच ही काम करना पड़ रहा है। अभी वही स्थिति चल रही है और चुनाव की चर्चा है, लेकिन सरगर्मी नहीं। इसकी धीमी चाल के पीछे कई जिलों के डीएम का बीच-बीच में संक्रमित होना, सिविल सर्जन समेत कई सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों की कोरोना से मौत भी वजह है।

हाईकोर्ट में दो पीआईएल, महीना गुजरा पर एक की सुनवाई नहीं

पटना हाईकोर्ट में जुलाई के दूसरे में अधिवक्ता बद्री नारायण सिंह और चौथे हफ्ते में एक राजनीतिक दल की ओर से शैलेंद्र कुमार ने चुनाव टालने को लेकर एक-एक जनहित याचिका दायर की थी। इन दोनों में से किसी याचिका को हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए अब तक स्वीकार नहीं किया है।

पहले लॉकडाउन, यानी मार्च से ही हाईकोर्ट वर्चुअल मोड में बेहद जरूरी सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने इसे जरूरी माना होता तो सुनवाई की तारीखें आ गई होतीं। मतलब, अब तक हाईकोर्ट की ओर से चुनाव टालने को लेकर कुछ नहीं हो रहा है।

2015 विधानसभा चुनाव

  • 9 सितंबर को 5 चरणों में चुनाव की घोषणा
  • पहले चरण की अधिसूचना 16 सितंबर को जारी
  • कुल सीटें 243 और कुल वोटर 6.68 करोड़ थे
  • अंतिम चरण में सर्वाधिक सीटों पर चुनाव
  • पहला चरण- 12 अक्टूबर: 49 सीटें
  • दूसरा चरण- 16 अक्टूबर: 32 सीटें
  • तीसरा चरण- 28 अक्टूबर: 50 सीटें
  • चौथा चरण- 1 नवंबर: 55 सीटें
  • पांचवां चरण- 5 नवंबर: 57 सीटें
  • परिणाम- 8 नवंबर: 243 सीटें

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने अफसरों के सामने सरकार के पास अगस्त तक का ही समय बता रहे हैं, जिसके कारण सितंबर-अक्टूबर में चुनाव तय माना जा रहा है। -प्रतीकात्मक फोटो