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जर्मनी में पहला केस आते ही यात्राएं रद्द कीं, इटली में वेंटिलेटर्स की कमी, डॉक्टर्स परेशान

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न्यूयॉर्क.पूरे यूरोप में लॉकडाउन है। सीमाएं सील हैं। जर्मनी में पूरा लॉकडाउन नहीं है। लेकिन बाकी यूरोप की तुलना में यहां मौत कम है। शनिवार तक यहां कंफर्म मामलों की संख्या 56202 रही और मरने वालों की संख्या कुल 403 हो गई। यानी मृतकों का प्रतिशत 0.72% है। जबकि इटली में दस हजार से अधिक लोग मर चुके हैं और वहां मृत्यु दर 10.8% है। स्पेन में मृत्यु दर 8% से अधिक है। ब्रिटेन में जर्मनी के मुकाबले मामले तीन गुना कम है, लेकिन फिर भी मरने वालों की संख्या दुगुनी है।

जर्मनी में कम मौतोंका कारण

  • जर्मनी में 28 जनवरी कोचीन की ऑटो पार्टस कंपनी में काम करने वाला एक व्यक्ति पॉजिटिव मिला। उसके संपर्क में आए सभी लोगों क्वारेंटाइन किया। चीन की यात्राएं रद्द कीं।
  • जर्मनी ने बुजुर्गों के बाहर निकलने पर पूरा प्रतिबंध लगा दिया। लोगों कोउनसे कम से कम संपर्क रखने को कहा। नतीजा यह है कि वहां इस बीमारी से 80 साल से अधिक उम्र के लोगों की मृत्यु का प्रतिशत सिर्फ 3% है।
  • जर्मनी के लोग स्कीइंग के दीवाने हैं। हर साल करीब डेढ़ करोड़ लोग ऑस्ट्रिया और इटली के पहाड़ों पर स्कीइंग करने जाते हैं। इनमें बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हुए। इनमें ज्यादातर युवा थे। इन युवाओं की भी जांच की गई। इसके उलट इटली ने जांचें कम की और इसे गंभीर बीमारों के लिए बचाकर रखा।

रूस: क्वारेंटाइन तोड़ने वाले 200 लोग हिरासत में लिए गए

रूस में कोरानावायरस से लड़ने में तकनीक ने बड़ी भूमिका निभाई है। इस साल के आरंभ में रूस में नया सर्विलेंस सिस्टम लागू हुआ था, जिसका निजता में उल्लंघन को लेकर विरोध हो रहा था, लेकिन अब यही सिस्टम कोरोना से लड़ने में कारगर साबित हुआ है। पिछले सप्ताह मॉस्को पुलिस ने 200 ऐसे लोगों को पकड़ा है, जिन्होंने सेल्फ क्वारेंटाइन का उल्लंघन किया। इनकी पहचान मॉस्को में लगे एक लाख 70 हजार कैमरा सिस्टम से हो सकी। कुछ तो सिर्फ कुछ मिनट के लिए बाहर निकले थे।

इटली: डॉक्टर असमंजस में किसे बचाएं किसे छोड़ दें

यहां वेंटिलेटर्स की इतनी कमी हो गई है कि डॉक्टर्स को सख्त फैसले लेने पड़ रहे हैं कि किसी मरीज काे बचाएं और किसे छोड़ दें। प्रधानमंत्री ज्यूसेपे कोंटे ने 3 अप्रैल तक लॉकडाउन किया था। इटली के जाने-माने वायरोलॉजिस्ट रॉबटरे बरियोनी ने शनिवार को फेसबुक पर लिखा, ‘इस समय स्थिति इतनी गंभीर है कि हालिया समय में प्रतिबंधों में ढील देने का कोई भी विचार अव्यावहारिक है, हमें घर पर जरूर रहना चाहिए, अन्यथा अब तक हमने जो कुर्बानियांदी हैं, वे सब व्यर्थ हो जाएंगी।’

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