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चारों पायलटों को रूस के उसी सेंटर में प्रशिक्षण, जहां 1984 में देश के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने ट्रेनिंग ली थी

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मॉस्को. भारत के पहले मानव मिशन गगनयान के लिए चुने गए चारों अंतरिक्ष यात्रियोंकी रूस में ट्रेनिंग शुरू हो गई है। गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में इन्हें इस मिशन के लिए तैयार किया जा रहा है। यह वही सेंटर है जहां भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा और उनके साथी रवीश मल्होत्रा को ट्रेनिंग दी गई थी। हालांकि, रवीश कभी अंतरिक्ष की यात्रा नहीं कर पाए।

गागरिन ट्रेनिंग सेंटर के हेड पावेल वलासोव ने रशिया टुडे को इस ट्रेनिंग से जुड़ी कुछ जानकारी दी है। हालांकि, इस बात का ध्यान रखा गया है कि किसी भी सूरत में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की पहचान उजागर न हो। जानकारी के मुताबिक,भारतीय वायुसेना के पायलट जिस सेंटर में ट्रेनिंग कर रहे हैं। वह राजधानी मॉस्को से कुछ किलोमीटर की दूरी पर है। इस सेंटर में आज भी अंतरिक्ष यात्री यूरी गागरिन की प्रतिमा लगी है। गागरिन पहले व्यक्ति थे, जिसने आउटर स्पेस में कदम रखा था। यहां ट्रेनिंग कर रहे भारतीय अंतरिक्ष यात्री उसी बिल्डिंग में रहते हैं, जहां एलेक्सी लियोनोव ने कभी स्पेसवॉक करना सीखा था। लियोनोव अंतरिक्ष में चहलकदमी करने वाले दुनिया के पहले इंसान थे।

भारतीय अंतरिक्ष यात्री एक साल ट्रेनिंग करेंगे
आमतौर पर किसी भी स्पेस मिशन में जाने लायक बनने में रूसी अंतरिक्ष यात्रियों को 5 साल की कठिन ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। लेकिन,भारत ने 2022 की शुरुआत में मानव मिशन भेजने का फैसला किया है। इसी वजह से भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के लिए 12 महीने का ट्रेनिंग प्रोग्राम डिजाइन किया गया है। गागरिन ट्रेनिंग सेंटर के हेड वलासोव के मुताबिक यह ट्रेनिंग प्रोग्राम खासतौर पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसमें एडवांस इंजीनियरिंग कोर्स के साथ ही सामान्य स्पेस ट्रेनिंग और फिजिकिल कंडीशनिंग शामिल हैं।

सोयूज की बारीकी समझने के लिए रूसी भाषा सीख रहे भारतीय
पावेल ने बताया कि भारतीय अंतरिक्ष यात्री साल भर गागरिन ट्रेनिंग सेंटर में बिताएंगे। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि वे इस दौरान रूसी स्पेसशिप सोयूज की सभी बारीकियां समझ लेंगेताकि गगनयान को आसानी से उड़ा सकें। इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष यात्री रूसी भाषा भी सीख रहे हैंक्योंकि,सोयूज के भीतर सभी मशीनी उपकरण की कोडिंग इसी भाषा में हैं। हालांकि, विशेषज्ञ हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं कि इतने कम वक्त में भारतीय अंतरिक्ष यात्री यह भाषा सीख लें। इसके लिए जीसीटीसी ने भाषा के ऐसे जानकार रखें हैं, जिन्हें रूसी के साथ अच्छी अंग्रेजी भी आती हैताकि ट्रेनिंग में भाषा कोई बाधा न बने। हालांकि, मौजूदा नियमों के तहत प्रशिक्षण केवल रूसी भाषा में ही दिया जा सकता है।

रूसी भाषा के साथ खाना भी बड़ी चुनौती
गगनयान मिशन में जाने वाले भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भाषा के साथ रूसी खाना भी बड़ी चुनौती है। इससे निपटने के लिए वे रूसी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ खाना खा रहे हैं। जीसीटीसी के हेड का कहना है कि यहां का खाना भारत से काफी अलग है। लेकिन,भारतीय वायुसेना के अफसर धीरे-धीरे इसे अपना रहे हैं। यहां के कुक को साफ निर्देश दिए गए हैं कि वे भारतीयों के लिए शाकाहारी खाना बनाएं और अगर वे मांसाहारी खाना चाह रहे हैं तो किसी भी सूरत में उन्हें बीफ नहीं परोसा जाएगा।

किसी भी हादसे की सूरत में बचने के गुर सिखा रहे
ट्रेनिंग का सबसे रोमांचक हिस्सा सर्वाइवल कोर्स( बचने के गुर) है। इसमें किसी अनहोनी की सूरत में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को बचाव के गुर सिखाए जा रहे हैं। इसमें यह बताया जा रहा कि अगर धरती पर लौटने के दौरान उनका यान कहीं जंगल में लैंड हुआ तो क्या करना है। फिलहाल, भारतीय अंतरिक्ष यात्री मॉस्को से लगे जंगली और दलदली इलाके में ट्रेनिंग कर रहे हैं। इस बारे में गागरिन ट्रेनिंग सेंटर के प्रमुख ने बताया कि पहले इन्हें क्लासरूस ट्रेनिंग दी जाएगी। अभ्यास के बाद दो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की टीम रूसी इंस्ट्रक्टर के साथ 3 दिन और 2 रातों के लिए सर्वाइवल कोर्स के लिए जाएगी। इसमें उन्हें जंगल या अनजाने स्थान पर स्पेसशिप की लैंडिंग होने की सूरत में कैसे बचना है, यह सिखाया जाएगा। हालांकि, इस दौरान भी वे अकेले नहीं रहेंगे और डॉक्टरों की टीम उन पर नजर रखेगी। उन्हें सोयूज में मौजूद इमरजेंसी सप्लाय के दम पर जिंदा रहना होगा। वलासोव के मुताबिक,भारतीयों के लिए यह आसान नहीं होगा, क्योंकि वे रूस में पड़ने वाली कड़ाके की सर्दी के आदी नहीं है। भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को स्वस्थ होने के लिए एक हफ्ते का समय मिलेगा।

भारतीय अंतरिक्ष यात्री घास के मैदान और समुद्र में ट्रेनिंग करेंगे
भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बर्फ से ढंके जंगलों में खुद को बचाए रखना तो पहली चुनौती है। इसके बाद उन्हें समुद्र और नदी किनारे के घास के लंबे मैदान में भी सर्वाइवल कोर्स करना होगा। हालांकि, भारतीयों के लिए राहत की बात है कि उन्हें इस कड़ाके की ठंड में आर्कटिक महासागर की बजाए गर्मी में काला सागर से लगे शोची में ट्रेनिंग के लिए जाना होगा। रूसी ट्रेनिंग सेंटर के प्रमुख का मानना है कि भारतीय अंतरिक्ष यात्री इस कठिन ट्रेनिंग को पूरा कर लेंगे। क्योंकि,इन्हें सेना में लंबा अनुभव हो चुका है और इस मिशन के लिए चुने गए सभी भारतीय टेस्ट पायलट हैं और इन्हें हजारों घंटे की फ्लाइंग का अनुभव है। इसके अलावा फ्लाइट इंजीनियरिंगकी भी बारीक जानकारी है।

गगनयान के मानव मिशन में 3 क्रू मेंबर होंगे
इसरो 2022 में गगनयान का मानव मिशन लॉन्च करेगा, जिसमें 3 क्रू मेंबर रहेंगे। किसी महिला को अंतरिक्ष में नहीं भेजा जा रहा है, इसलिए मानव मिशन से पहले इसरो महिला की शक्ल वाले ह्यूमनॉइड व्योममित्रा को अंतरिक्ष में भेजेगा। इसरो चीफ सिवन ने कहा था कि गगनयान के अंतिम मिशन से पहले दिसंबर 2020 और जुलाई 2021 में अंतरिक्ष में मानव जैसे रोबोट भेजे जाएंगे।

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मॉस्को के कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में अंडर वाटर ट्रेनिंग करते अंतरिक्ष यात्री। -फाइल