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कश्मीर में इंटरनेट शटडाउन से कारोबार ठप, 5 लाख लोगों की नौकरी गई; नेट की स्पीड इतनी धीमी कि लोग ईमेल में फोटो तक अपलोड नहीं कर पा रहे

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श्रीनगर से इकबाल. कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के 6 महीने बाद भी इंटरनेट एक्सेस बड़ी चुनौती है। भले ही 2जी इंटरनेट सर्विस को बहाल कर दिया गया हो, लेकिन धीमी स्पीड की वजह से लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। कश्मीर के फोटो जर्नलिस्ट तारिक का कहना है, ‘‘हम ईमेल में फोटो तक अपलोड नहीं कर पा रहे हैं। इसकी स्पीड इतनी धीमी है कि वेबसाइट तक नहीं खुल रही।’’ कश्मीर में सिर्फ मोबाइल इंटरनेट को बहाल किया गया है, लेकिन ब्रॉडबैंड कनेक्शन अभी तक बंद हैं।

ब्रॉडबैंड कनेक्शन बहाल करने से पहले टेलीकॉम कंपनियों से एक बॉन्ड पर साइन करवाया जा रहा है, ताकि यूजर्स सोशल मीडिया एक्सेस नहीं कर सकें। इस बॉन्ड में न सिर्फ सोशल मीडिया बल्कि वीपीएन सर्विस, वाईफाई, एन्क्रिप्टेड फाइल्स, वीडियो और फोटो अपलोड करने की अनुमति भी नहीं देनी की बात कही गई है। इसके साथ ही कम्प्यूटर के सभी यूएसबी पोर्ट को भी डिसेबल करना होगा। अगर इंटरनेट का किसी भी तरह का दुरुपयोग होगा तो उसकी जिम्मेदारी कंपनी की ही होगी। इसके अलावा सुरक्षा एजेंसियों के कहने पर कंपनियों को कंटेंट का एक्सेस भी देना होगा।

लद्दाख में 27 दिसंबर से इंटरनेट शुरू

जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटने के बाद से ही इंटरनेट बंद था। लद्दाख में 27 दिसंबर से इंटरनेट शुरू कर दिया गया था, लेकिन कश्मीर में इंटरनेट पर पाबंदी जारी रही। इसके बाद जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सभी पाबंदियों की समीक्षा करने का निर्देश दिया था और कहा था कि इंटरनेट संविधान के अनुच्छेद-19 के तहत मौलिक अधिकार है।

कश्मीर में इंटरनेट पर पाबंदी से लोग परेशान
कश्मीर में इंटरनेट और ब्रॉडबैंड कनेक्शन पर पाबंदी की वजह से लोगों को काफी परेशानी भी हो रही है। लोग फ्लाइट और होटल बुक नहीं कर पा रहे हैं। छात्रों को भी पढ़ाई में दिक्कत हो रही है। वे कोर्स की तैयारी नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा छात्र एडमिशन के लिए ऑनलाइन अप्लाय भी नहीं कर पा रहे हैं।

इंटरनेट पर पाबंदी से 5 बड़ी परेशानी

1) स्टार्टअप ठप : पहले जो रोजगार देते थे, अब वही नौकरी की तलाश में
इंटरनेट बैन का सबसे ज्यादा असर प्रधानमंत्री मोदी के ‘स्टार्टअप इंडिया’ प्रोग्राम पर पड़ा है। जिन लोगों ने स्टार्टअप शुरू किए थे, इंटरनेट पर रोक की वजह से उनके बिजनेस पर असर पड़ रहा है। कई स्टार्ट अप बंद होने की कगार पर हैं। 42 साल के मोहम्मद अश्फाक पहले एक बैंक में जॉब करते थे, लेकिन 9 साल पहले उन्होंने अपनी बैंक की नौकरी छोड़कर कश्मीर में फाइनेंस एंड ट्रेडिंग कंपनी शुरू की। दशकों से हिंसा और संघर्ष से त्रस्त कश्मीर में खुद की कंपनी शुरू करना जोखिम भरा था, लेकिन उनका आइडिया चल पड़ा और कंपनी भी खड़ी हो गई। अश्फाक की कंपनी लोगों और कंपनियों को डाटा प्रोसेसिंग और टूर पैकेजिंग की सुविधा देती है। एक समय उनकी कंपनी में 400 से ज्यादा लोग काम करते थे। लेकिन कश्मीर में इंटरनेट बैन की वजह से उन्हें कर्मचारियों को निकालना पड़ रहा है।

अश्फाक कहते हैं कि वे एक महीने और देखेंगे। अगर उसके बाद भी हालात नहीं सुधरे तो वे अपनी कंपनी को बंद कर देंगे। अश्फाक का कहना है, ‘‘मैं अपने ऑफिस का किराया तक नहीं दे पा रहा हूं। पहले मेरा ऑफिस कई कमरों में था, लेकिन अब सिर्फ एक कमरे में सिमट गया है।’’ वे बताते हैं, ‘‘मैंने अगस्त के बाद तीन महीने तक कर्मचारियों को इसी उम्मीद में सैलरी दी कि अब हालात सुधरेंगे। लेकिन अब कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। मुझे अपने स्टाफ के ज्यादातर लोगों को काम से निकालना पड़ा। कश्मीर में हमने पहले भी इस तरह के हालात देखे हैं, लेकिन इससे बुरे हालात कभी नहीं देखे।’’ अश्फाक बताते हैं कि उन्होंने पिछले दो महीने से दिल्ली में भी एक स्टाफ रखा है ताकि काम चल सके। लेकिन इससे सिर्फ कॉस्ट बढ़ी है, क्योंकि इंटरनेट कब तक शुरू होगा, इस बारे में कुछ भी नहीं पता।

2) इकोनॉमी : 18 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान, 5 लाख नौकरियां खत्म हुईं
इंटरनेशन काउंसिल ऑफ रिसर्च ऑन इंटरनेशन इकोनॉमिक रिलेशंस (आईसीआरआईईआर) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेट शटडाउन की वजह से पिछले 6 साल में कश्मीर की इकोनॉमी को 4 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। जबकि, कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (केसीसीआई) की हालिया रिपोर्ट बताती है कि लगातार पाबंदी और इंटरनेट शटडाउन की वजह से कश्मीर में 18 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इसके साथ ही 5 लाख नौकरियां भी खत्म हुईं हैं।

इंटरनेट शटडाउन से सबसे ज्यादा नुकसान सेल फोन सेक्टर को हुआ है। कश्मीर में 30 लाख से ज्यादा मोबाइल फोन यूजर्स हैं। यहां 1,450 रजिस्टर्ड रिटेल मोबाइल स्टोर हैं, जिनमें आठ हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं। इंटरनेट शटडाउन से मोबाइल फोन की बिक्री में 90% की गिरावट आई है। इससे सैकड़ों लोगों की नौकरी जाने का भी खतरा है।

रियाज मीर श्रीनगर के सेल फोन स्टोर पर काम करते हैं। उनकी हर महीने की सैलरी 15 हजार रुपए है, लेकिन अगस्त से उन्हें उनकी सैलरी नहीं मिली है। रियाज कहते हैं, ‘‘मेरी सैलरी नहीं मिलने का सबसे बड़ा कारण है कि इंटरनेट बंद होने की वजह से मैं अटेंडेंस नहीं लगा पा रहा हूं।’’ वे बताते हैं कि उन्हें रोज कम से कम एक मोबाइल फोन बेचने का टारगेट मिलता है, तब जाकर सैलरी मिलती है। मुनीर कुरैशी के श्रीनगर में कई मोबाइल स्टोर हैं और 5 अगस्त से पहले रोज औसतन 150 मोबाइल बेच देते थे, लेकिन अब मुश्किल से दिनभर में 5 मोबाइल ही बिक पाते हैं। मुनीर बताते हैं कि सैमसंग जैसी मल्टीनेशनल कंपनी ने कश्मीर को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। हम बिक्री के बिना ज्यादा समय तक काम नहीं कर सकते।

3) कुरियर सर्विस : लोग अपना ऑफिस कश्मीर से बाहर शिफ्ट कर रहे
कश्मीर में इंटरनेट शटडाउन ने वहां की कुरियर सर्विस को भी प्रभावित किया है। बिना इंटरनेट के कुरियर की ऑनलाइन ट्रैकिंग नहीं हो सकती। कुरियर सर्विस प्रोवाइडर भी अपने ग्राहकों से कॉन्टेक्ट नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि ज्यादातर ग्राहकों के पास प्री-पेड मोबाइल नहीं हैं और कश्मीर में प्री-पेड मोबाइल सर्विस भी ब्लॉक है। इससे पहले भी सरकार कई बार इंटरनेट पर रोक लगा चुकी है, लेकिन इस बार का शटडाउन सबसे लंबे समय तक रहा, जिस वजह से लोग अपना बिजनेस घाटी से बाहर शिफ्ट करने को मजबूर हैं। श्रीनगर स्थित ट्रेवल एजेंसी ने अपना ऑफिस और स्टाफ कश्मीर से जम्मू शिफ्ट कर दिया। एजेंसी के मालिक का कहना है कि उनके पास इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। वे कहते हैं, ‘‘हमारा पूरा बिजनेस इंटरनेट पर निर्भर है और बिना इंटरनेट के कश्मीर से इसे ऑपरेट करना संभव नहीं था।’’

4) रिपोर्टिंग : कश्मीर में मीडिया के लिए खबरें देना सबसे बड़ी चुनौती
इंटरनेट शटडाउन की वजह से कश्मीर में रिपोर्टिंग करना भी मुश्किल हो गया है। यहां के मीडियाकर्मियों के लिए स्टोरी फाइल करना सबसे बड़ी चुनौती है। यहां रहने वाले रिपोर्टर दूसरी जगह जाकर अपनी स्टोरी फाइल कर रहे हैं। जैसे- कुछ लोग सुबह कश्मीर आते हैं, दिनभर काम करते हैं और शाम को दिल्ली या कहीं और जाकर अपनी स्टोरी फाइल करते हैं। वहीं, कुछ जर्नलिस्ट अपनी स्टोरी फ्लैश ड्राइव में लोड कर कश्मीर से बाहर जाने वाले लोगों के जरिए उसे दिल्ली भेजते हैं। हालांकि, आलोचनाओें के बाद सरकार ने लगभग 10 इंटरनेट इनेबल्ड टर्मिनल से लैस एक मीडिया सेंटर शुरू किया है। इस सेंटर में रोज सैकड़ों पत्रकारों को स्टोरी फाइल करने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है।

फोटो जर्नलिस्ट जहूर अहमद बताते हैं, ‘‘मीडिया सेंटर में गोपनीयता नहीं है।’’ कश्मीर में कई बार पत्रकारों ने इंटरनेट बहाली की मांग को लेकर प्रदर्शन किए हैं, लेकिन सरकार ने उनके लिए इंटरनेट बहाल नहीं किया। मीडियाकर्मियों का कहना है कि इंटरनेट पर पाबंदी का असर उनके काम पर पड़ रहा है। कश्मीर के ही एक और जर्नलिस्ट इदरिस कहते हैं, ‘‘इंटरनेट की मांग करना कोई अपराध नहीं है। यह हमारा अधिकार है।’’

5) एजुकेशन : स्टडी मटैरियल डाउनलोड करने कश्मीर से दिल्ली जाना पड़ रहा
5 अगस्त से कश्मीर में जारी लॉकडाउन ने यहां के एजुकेशन सेक्टर को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। यहां के छात्रों ने स्कूल-कॉलेज जाना भी छोड़ दिया है। इंटरनेट बैन का सबसे ज्यादा असर उन छात्रों पर पड़ रहा है, जो कॉम्पिटिटीव एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं। शटडाउन के कारण छात्र एग्जाम फॉर्म न ही डाउनलोड कर पा रहे हैं और न ही जमा कर पा रहे हैं। सरकार ने कश्मीर के हर जिले में इंटरनेट कियोस्क तो शुरू कर दिए हैं, लेकिन छात्रों की शिकायत है यहां हमेशा भीड़ रहती है। साथ ही इंटरनेट की स्पीड भी बहुत धीमी है।

आसिया मेडिल पीजी एग्जाम की तैयारी कर रही हैं। आसिया का कहना है कि अगले हफ्ते से उनके एग्जाम शुरू हो रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी तक एग्जाम सेंटर के बारे में ही नहीं पता है। आसिया ही नहीं, ऐसी परेशानी कई और लोगों को भी है। लेकिन जो लोग आर्थिक रूप से मजबूत हैं, वे कश्मीर के बाहर जाकर तैयारी कर रहे हैं। आदिल अहमद यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के लिए अगस्त में दिल्ली गए थे। आदिल कहते हैं, ‘‘मैं अगस्त में स्टडी मटैरियल डाउनलोड करने के लिए दिल्ली गया था। क्योंकि मैं अफॉर्ड कर सकता था, लेकिन मुझे नहीं लगता कि सभी लोग ऐसा कर सकते हैं।’’

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