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अयोध्या के पूर्व नरेश विमलेंद्र मोहन बोले- यह जरूरी नहीं कि दूसरे दलों से रिश्ते रखने वाला प्रभु श्रीराम का भक्त नहीं हो सकता

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अयोध्या. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में पूर्व अयोध्या राजघराने के विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को शामिल करने को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।विमलेंद्र ने एक बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। कई लोग राम मंदिर आंदोलन में उनके योगदान पर भी सवाल उठा रहे हैं। मिश्र परिवार ने 1994-95 में करीब 10 एकड़ जमीन, जो उनकी मां के नाम थी, उसे विहिप की राम जन्मभूमि न्यास को दान की थी, जिसकी कीमत उस समय96 लाख रुपए थी। विमलेंद्र मोहन ने भास्कर से कहा, ‘‘प्रभु श्रीराम की कृपा से रातभर में ही अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल गई, इससे ज्यादा और क्या मिलेगा।’’ कहा जा रहा है कि विमलेंद्र मोहन राम मंदिर आंदोलन से कभी जुड़े नहीं रहे। इस पर वे कहते हैं- ये भी तो जरूरी नहीं कि दूसरे दलों से संबंध रखने वाला प्रभु श्रीराम का भक्त नहीं हो सकता।

10 एकड़ जमीन पर ही बनी है विहिप की कार्यशाला
मिश्र परिवार द्वारा दी गई जमीन पर विहिप की कार्यशाला बनी। वहां पर कई वर्षों से राम मंदिर के लिए पत्थर तराशने का काम चल रहा है। अब इसकी कीमत करोड़ों रुपए में आंकी जा रही है। विहिप के मंदिर आंदोलन के दौरान विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय अशोक सिंघल से केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों से वार्ता के दौरान विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ही कड़ी का काम करते थे। मिश्र ने भास्कर से ट्रस्ट को लेकर बात की। पढ़िए इनसे बातचीत केप्रमुख अंश…

भास्कर: क्या कभी सोचा था कि मंदिर निर्माण के ट्रस्ट में प्रमुख 9 में ट्रस्टियों में आपको जगह मिलेगी और मंदिर निर्माण से सीधे जुड़ेंगे?
विमलेंद्र मोहन: सपने में भी नहीं सोचा था। जो जिम्मेदारी मिलीहै,अब इस पर खरा उतरना है। यह सब प्रभु राम की कृपा ही होगी, जिससे यह संभव हो पाया। उनकी असीम कृपा से ही सेवा का अवसर मिला है।

भास्कर: किस तरह से ट्रस्ट में शामिल हुए। इसमें किसका सहयोग मिला?
विमलेंद्र मोहन: मैंने कोई प्रयास नहीं किया। मुझे तो पता भी नहीं था कि मेरा नाम श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में शामिल किया जा रहा है। मैं तो किसी से मिला भी नहीं,लेकिनअब मेरे पास जो कुछ है वह प्रभु राम के लिए समर्पित है।

भास्कर: राम मंदिर के निर्माण को लेकर आपके विचार मंदिर आंदोलन से लेकर अब तक क्या रहे?
विमलेंद्र मोहन: मैं भव्य राम मंदिर के निर्माण का सदैव समर्थक रहा। मंदिर के लिए तन-मन-धन से सहयोग की भावना रख कर काम किया है। अब इसके निर्माण में भी हर तरह से सहयोग करने के लिए तैयार रहूंगा।

भास्कर: रिसीवर बनने के बाद अधिग्रहीत परिसर की व्यवस्था में क्या बदलाव करना चाहेंगे?
विमलेंद्र मोहन: अभी मैं इसका जवाब देने के लिए अधिकृत नहीं हूं। बैठक जल्द ही होगी। ट्रस्ट की बैठक में वरिष्ठ जो तय करेंगे, वही होगा। यह नीतिगत मामला है। अकेले कोई सदस्य कुछ तय नहीं कर सकता।

भास्कर: राम मंदिर निर्माण से सीधा जुड़ने से कैसा अनुभव कर रहे हैं?
विमलेंद्र मोहन: जिम्मेदारी जो भी मिलेगी, उस पर समर्पण भावना से काम करके खरा उतरने की कोशिश करूंगा। प्रभु श्रीराम की कृपा से ही एक ही दिन में अंतरराष्ट्रीय पहचान बन गई। इससे बड़ा क्या मिलेगा। अब तो यही इच्छा है किप्रभु राम के भव्य मंदिर का निर्माण जल्द से जल्द शुरू हो जाए।

भास्कर: आरोप यह भी लग रहे हैं कि आप राम मंदिर आंदोलन से कभी जुड़े नहीं रहे?
विमलेंद्र मोहन: जीवन में यह जरूरी नहीं कि दूसरे दलों से संबंधरखने वाला प्रभु श्रीराम का भक्त नहीं हो सकता। हमारे सभी लोगों से अच्छे संबंध हैं। इस तरह की बातों का कोई मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए।

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Former royal family member Vimalinder Mohan donated 10 acres of land for VHP workshop, close to Ashok Singhal