Home Hindi अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीरियों में डिप्रेशन के मामले बढ़े, इंटरनेट...

अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीरियों में डिप्रेशन के मामले बढ़े, इंटरनेट पर पाबंदी बड़ी वजह

101
0

श्रीनगर से इकबाल. ‘कई रातों से मैं सो नहीं पा रही हूं और दिन में भी बेचैनी रहती है। मैं अपने बेटे से मिलना चाहती हूं।’ ये कहना है 55 साल की सारा का। सारा कश्मीर के शोपियां जिले में रहती हैं। उनके 18 साल के बेटे वसीम अहमद को 7 अगस्त की रात को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद से ही वसीम जेल में बंद है। वसीम के जेल जाने के बाद से ही सारा डिप्रेशन में हैं और खाना भी सही तरीके से नहीं खा पा रहीं हैं। सारा अकेली नहीं हैं, जिन्हें ऐसी परेशानी है। उनके घर से ही कुछ दूर फातिमा रहती हैं। उनका बेटा जाकिर हुसैन भी 22 दिसंबर से श्रीनगर की जेल में बंद है। वसीम और जाकिर दोनों को पुलिस ने पब्लिक सेफ्टी एक्ट यानी पीएसए के तहत गिरफ्तार किया है। पीएसए जम्मू-कश्मीर में 1978 से लागू है और इस कानून के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को 2 साल तक बिना ट्रायल के जेल में रखा जा सकता है।

5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश भी बना दिए गए थे। अनुच्छेद 370 हटने के बाद कई लोगों को न सिर्फ गिरफ्तार किया गया, बल्कि वहां इंटरनेट भी बंद कर दिया गया। कई तरह की पाबंदियां भी लगा दीं। इस वजह से पिछले तीन महीने में ही कश्मीरियों में डिप्रेशन के कम से कम 10% मामले बढ़ गए हैं। हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि पाबंदियों की वजह से लोग एक-दूसरे से न ही मिल पा रहे हैं और न ही बात कर पा रहे हैं, जिस वजह से उनमें अकेलापन बढ़ रहा है और वे डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं।

वसीम इकलौता कमाने वाला था, उसके जाने से परिवार गरीबी में आ गया

  • 7 अगस्त की रात को सारा के घर पर पुलिस आई और वसीम को पकड़कर ले गई। उसे पहले तो कश्मीर में ही रखा था लेकिन बाद में उसे उत्तर प्रदेश की अंबेडकर नगर जेल में बंद कर दिया गया। सारा हार्ट पेशेंट हैं और उन्हें डायबिटीज भी है। 18 साल का वसीम केबल टीवी ऑपरेटर का काम करता था और 4 लोगों के परिवार में इकलौता कमाने वाला था। उसके जेल जाने क बाद परिवार के पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि वे उत्तर प्रदेश जाकर उससे मिल सकें।
वसीम की मां सारा। उन्हें डायबिटीज की बीमारी है और वे हार्ट पेशेंट भी हैं।
  • सारा बताती हैं, ‘मैं रात को ठीक से सो भी नहीं पाती और दिन में भी बेचैनी रहती है। मेरा बेटा मुझसे दूर है और इस दुख से मैं उबर नहीं पा रही हूं। मैं उससे मिलना चाहती हूं।’ कश्मीर में इस्लामिक चैरिटी संस्थाओं ने परिवार की 25 हजार रुपए की आर्थिक मदद की, ताकि उनके परिवार से कोई उत्तर प्रदेश जाकर वसीम से मिल सके। वसीम से जेल में मिलने के बाद उसके छोटे भाई फयाज शेख ने बताया, ‘जेल में वसीम बहुत डिप्रेस्ड है और कश्मीर में उसका परिवार भी डिप्रेशन में है।’ फयाज बताते हैं कि जेल में वसीम के बाल झड़ गए हैं और वह बहुत कमजोर भी हो गया है।

ऐसा ही हाल फातिमा का, जाकिर जब से जेल गया तब से वे सो नहीं पाईं

  • कश्मीर में सारा ही अकेली ऐसी मां नहीं हैं, जिनका बेटा अनुच्छेद 370 हटने के बाद से जेल में बंद है। कश्मीर में ऐसी कई मांएं हैं। इनमें एक फातिमा भी हैं, जो अपने घर के कोने में चुपचाप बैठी हुई हैं। उनके 29 साल के बेटे जाकिर हुसैन को पुलिस ने 22 दिसंबर को गिरफ्तार कर लिया था और वह श्रीनगर की जेल में बंद है। जाकिर तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ा था, जो घर के पास ही फास्ट फूड का ठेला लगाकर घर का खर्चा चलाता था। पिछले एक साल में जाकिर को 4 बार पुलिस ने गिरफ्तार किया गया है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद उसे 18 दिन के लिए गिरफ्तार किया गया था। जाकिर की मां फातिमा कहती हैं ‘मुझे अपने बेटेकी बहुत चिंता हो रही है। मैं हमेशा जेल में उससे मिलने भी जाती हूं। जबसे वह जेल में बंद हैं, तबसे मैं सो भी नहीं पा रही हूं। मैं हमेशा उसके बारे में ही सोचती रहती हूं। वह क्या कर रहा होगा? उसे बार-बार पुलिस क्यों पकड़कर ले जाती है?’ फातिमा बताती हैं कि उस रात पुलिस अचानक घर में घुसी और जाकिर को ले गई। उस समय जाकिर ने ढंग से कपड़े भी नहीं पहने थे।
जाकिर की मां फातिमा और छोटी बहन इकरा।
  • जाकिर के छोटे भाई साहिल शेफ हैं और जब से जाकिर जेल में है, तब से वह भी काम पर नहीं गए। साहिल बताते हैं ‘मैंने काम पर जाना छोड़ दिया है क्योंकि मैं अपनी मां को अकेले नहीं छोड़ना चाहता। वो जब भी जाकिर के बारे में सोचती हैं, रोने लगती हैं।’ वे आगे बताते हैं कि उनकी मां को डायबिटीज है और डॉक्टरों का कहना है कि अगर वे परेशान रहेंगी तो उनकी तबीयत और खराब हो सकती है। फातिमा के परिवार में सबसे छोटी जाकिर की बहन इकरा हैं, जो 18 साल की हैं। इकरा की अप्रैल में शादी होने थी, लेकिन जाकिर की गिरफ्तारी की वजह से टाल दी। इकरा कहती हैं ‘मैं हमेशा जाकिर के बारे में ही सोचती रहती हूं। जब से वह गिरफ्तार हुआ है तब से ऐसा लग रहा है कि सब कुछ खत्म हो गया।’

डिप्रेशन के शिकार ज्यादातर लोगों में 15 से 29 साल के युवा

  • हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, कश्मीर में वैसे तो लोग हमेशा ही ट्रॉमा (डिस्ट्रेस या डिप्रेशन) में रहते हैं, लेकिन अनुच्छेद 370 हटने के बाद ऐसे लोगों की संख्या और बढ़ गई है। साइको थैरेपिस्ट नाजिया की कश्मीर में तीन क्लीनिक हैं और वे लोगों को डिप्रेशन से उबारने में मदद करती हैं। नाजिया कहती हैं ‘कश्मीर के मौजूदा हालातों ने सभी को प्रभावित किया है। हमारी तीनों क्लीनिक में हर महीने महीने डिप्रेशन के करीब 50 मामले आते हैं और उनमें ज्यादातर लोगों की उम्र 15 से 29 साल होती है।’
  • स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, कश्मीरियों में डिप्रेशन के अलग-अलग लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ लोगों में हमेशा डर बना रहता है। कुछ लोग सामान्य बातों में भी ओवर रिएक्ट करते हैं। ऐसी स्थिति में दिल की धड़कन अचानक बढ़ जाती है। गुस्सा आता है। घबराहट होती है। नींद नहीं आती। लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहने लगते हैं। नाजिया बताती हैं कि ‘ट्रॉमा से निपटने की क्षमता हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है। जो लोग पहली बार ट्रॉमा में आते हैं, वे इससे जल्दी निपट लेते हैं। लेकिन अगर कोई व्यक्ति बार-बार ट्रॉमा में आ रहा है तो इससे उनका मैकेनिज्म कमजोर हो जाता है और उन्हें ठीक होने में काफी समय लग सकता है।’

युवाओं में डिप्रेशन की ज्यादा शिकायत, क्योंकि इंटरनेट पर रोक की वजह से वे सोशल मीडिया से भी दूर
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, 5 अगस्त के बाद सबसे ज्यादा स्टूडेंट में डिप्रेशन की शिकायत आ रही है, क्योंकि पाबंदियों की वजह से वे स्कूल या कॉलेज नहीं जा पा रहे हैं। नाजिया बताती हैं कि ‘कश्मीर के मौजूदा हालातों में हम देख रहे हैं कि लोगों में टीवी देखने की, जबकि बच्चों में मोबाइल गेम्स खेलने की लत बढ़ रही है।’ डॉक्टर कहते हैं कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद इंटरनेट और संचार माध्यमों पर रोक लगाने की वजह से लोग एक-दूसरे से बात नहीं कर पा रहे हैं। उनका मानना है कि इस वजह से लोगों में स्ट्रेस बढ़ रहा है। साइकाइट्रिस्ट डॉ. अरशद बताते हैं कि ‘युवा सोशल मीडिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं और इंटरनेट के जरिए ही वे एक-दूसरे से कनेक्ट रहते हैं लेकिन इंटरनेट पर पाबंदी की वजह से वे बातचीत ही नहीं कर पा रहे हैं।’

अल्ताफ अहमद श्रीनगर में फार्मेसी की दुकान चलाते हैं।

एक समस्या ये भी: स्ट्रेस दूर करने के लिए लोग बिना डॉक्टरी सलाह के दवाई ले रहे
श्रीनगर हॉस्पिटल के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद लोग स्ट्रेस कम करने के लिए बिना डॉक्टर की सलाह पर दवाईयां खरीद रहे हैं। अल्ताफ अहमद की श्रीनगर में फार्मेसी की दुकान है। अल्ताफ कहते हैं कि ‘अनुच्छेद 370 हटने के बाद पिछले तीन महीनों में कश्मीर में डिप्रेशन के कम से कम 10% मामले बढ़े हैं।’ वे बताते हैं कि स्ट्रेस दूर करने की दवाईयों की मांग भी बढ़ी है।

कश्मीर में अशांति का असर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर
कश्मीर में अशांति और संघर्ष के माहौल ने यहां रहने वाले लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाला है। मेडिसिल सैन्स फ्रंटियर्स (एमएसएफ) नाम की संस्था ने 2015 में एक सर्वे किया था। इस सर्वे के मुताबिक, 45% कश्मीरी वयस्कों में मेंटल स्ट्रेस, 41% में डिप्रेशन, 26% में एंग्जायटी और 19% में पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) के लक्षण मिले थे। मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि कश्मीर पर लगी पाबंदियां और संचार माध्यमों पर रोक की वजह से लोगों की मेंटल हेल्थ पर कितना असर पड़ा है, इसका पता चलने में अभी थोड़ा समय लगेगा।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें


Kashmir Article 370 | Kashmir Dainik Bhaskar Ground Report Latest News Today Updates After Abrogation of Article 370