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कम्बाला रेस में दौड़ने वाले श्रीनिवास ने ट्रायल में हिस्सा लेने से इनकार किया, कर्नाटक सरकार ने उनका सम्मान किया

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खेल डेस्क. भैंसों की परंपरागत दौड़ (कम्बाला) में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन करके सुर्खियों में आने वाले श्रीनिवास गौड़ा ने बेंगलुरु स्थित स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) के ट्रेनिंग सेंटर में ट्रायल देने से इनकार कर दिया है। पेशे से मजदूर इस धावक ने मंगलुरु में हुई इसप्रतियोगिता में 13.62 सेकंड में 142.50 मीटर की दौड़ लगाई। इस दौड़ के शुरुआती 100 मीटर उन्होंने 9.55 सेकंड में पूरे किए। जो उसेन बोल्ट के 100 मीटर के 9.58 सेकेंड के वर्ल्ड रिकॉर्ड से 0.03 सेकेंड बेहतर है।

सोशल मीडिया में इसके वायरल होने के बाद खेल मंत्री किरण रिजिजू ने साई के कोच की देखरेख में ट्रायल कराने का निर्देश दिया था। साई के मुताबिक गौड़ा ने ट्रायल देने से मना कर दिया। इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने न्यूज एजेंसी को बताया, वह (गौड़ा) सोमवार को मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए बेंगलुरु पहुंचे थे। यहां पहले से ही साई की टीम मौजूद थी, जिसने गौड़ा को साई सेंटर चलने के लिए कहा। लेकिन उसने मना कर दिया। हमें जानकारी मिली है कि वह चोटिल है।

कांग्रेस नेता थरूर ने मदद की मांग की
कांग्रेस नेता शशि थरूर और आनंद महिंद्रा ने भी ट्वीट कर खेल मंत्रालय और भारतीय एथलेटिक्स महासंघ से गौड़ा की मदद करने की मांग की थी।

आधिकारिक रूप से आकलन के बाद तुलना करेंगे : खेल मंत्री

इस बीच, सोमवार को खेल मंत्री किरिन रिजिजू ने कहा कि लोग सोशल मीडिया पर जो भी लिख रहे हैं, उस पर मीडिया का नियंत्रण नहीं हो सकता। अगर हमारे सामने कोई प्रतिभा आती है तो हम उसे मौका देंगे। उन्होंने कहा, ‘‘ओलिंपिक और वर्ल्ड चैंपियनशिप का स्तर काफी ऊंचा है। पारंपरिक खेलों में हिस्सा लेने वालों की तुलना आप तब तक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों से नहीं कर सकते, जब तक हम आधिकारिक तौर पर उनके प्रदर्शन को आंक नहीं लेते। हम उसका साई की कोच की देखरेख में ट्रायल करेंगे। अगर उसमें क्षमता नजर आएगी तो हम उसे नेशनल कैंप में लाएंगे।’’

कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया
दूसरी ओर, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कम्बाला रेस में रिकॉर्ड बनाने वाले गौड़ा से सोमवार को मुलाकात की और 3 लाख रुपये का चेक देकर सम्मानित किया। गौड़ा अब तक रेस में 32 मेडल जीत चुके हैं।

क्या है कम्बाला रेस?
कम्बाला रेस या बफेलो रेस कर्नाटक का पारंपरिक खेल है। मंगलौर और उडूपी में यह काफी प्रचलित है। कई गांवों में इस खेल का आयोजन होता है। इस दौरान कीचड़ वाले इलाके में युवा जॉकी दो भैंसों के साथ दौड़ लगाते हैं। जानवरों के संरक्षण के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने कुछ साल पहले कम्बाला के खिलाफ मोर्चा खोला था। उनका आरोप था कि जॉकी बल प्रयोग कर तेज दौड़ने के लिए भैंसों को मजबूर करता है। इसके बाद पारंपरिक खेल पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अगुआई में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस खेल को जारी रखने के लिए बिल पारित कराया था।

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गौड़ा ने प्रतियोगिता में 13.62 सेकंड में 142.50 मीटर की दौड़ लगाई।