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]]>जम्मू-कश्मीर के पंपोर में आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 5 जवान घायल हो गए हैं। जिला अस्पताल में इलाज के दौरान 2 जवान शहीद हो गए। बाकी 3 जवानों का इलाज चल रहा है। हमला दोपहर करीब 12.50 बजे पंपोर बायपास पर हुआ। सीआरपीएफ की 110BN बटालियन और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों की पार्टी पर आतंकियों ने फायरिंग कर दी। इलाके की नाकाबंदी कर आतंकियों की तलाश की जा रही है।
#UPDATE Of the five CRPF jawans, who were injured after terrorists fired upon the Force’s road opening party (ROP), two jawans lost their lives. More details awaited. #JammuAndKashmir https://t.co/zIZ5pHKXw2
— ANI (@ANI) October 5, 2020
पिछले हफ्ते पुलवामा में 2 आतंकी मारे गए थे
पुलवामा जिले के अवंतीपोरा के संबूरा इलाके में 27 सितंबर को आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच एनकाउंटर हुआ था। सुरक्षाबलों ने 2 आतंकी मार गिराए थे। आतंकियों की फायरिंग में एक पुलिसकर्मी घायल हो गया था।
अगस्त में आतंकी हमले में 2 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे
पिछले कुछ महीनों पुलिस पार्टी और सेना के काफिले पर हमलों में तेजी आई है। कश्मीर के नौगाम में 14 अगस्त को आतंकियों के हमले में 2 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। 12 अगस्त को भी बारामूला के सोपोर में सुरक्षाबलों पर हमला किया गया था, जिसमें एक जवान घायल हुआ था।
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]]>The post रोहतांग में दुनिया की सबसे लंबी 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी अटल टनल का पीएम मोदी ने किया उद्घाटन, जानें इस सुरंग की खासियत appeared first on News n Feeds.
]]>प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को रोहतांग में अटल टनल का उद्घाटन किया। करीब 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी यह दुनिया की सबसे लंबी टनल है। इसकी लंबाई 9.2 किमी है। इसे बनाने में 10 साल का वक्त लगा।
हिमालय की पीर पंजाल पर्वत रेंज में रोहतांग पास के नीचे लेह-मनाली हाईवे पर इस बनाया गया है। इससे मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी और चार घंटे की बचत होगी। इसका नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है।
मोदी के भाषण की अहम बातें
इससे क्या फायदा होगा?
टनल की खासियत
– 46 किलोमीटर कम हो जाएगी मनाली और लेह के बीच दूरी
– लाहौल स्पीति और लेह-लद्दाख के बीच हर मौसम में आवागमन सुचारू होगा
– हर 60 मीटर पर एक अग्नि शामक
– हर 150 मीटर पर टेलीफोन उपलब्ध होगा
– हर 250 मीटर पर सीसीटीवी कैमरे, प्रसारण प्रणाली, हादसों का स्वत: पता लगाने की प्रणाली
– हर 500 मीटर पर आपातकालीन निकास सुविधा
– हर एक किलोमीटर में हवा की गुणवत्ता निगरानी
– हर 2.2 किलोमीटर की दूरी पर मोड़
– यह 10.5-मीटर चौड़ी सिंगल ट्यूब बाय-लेन टनल है
पहले यह रिकॉर्ड चीन के नाम था
अटल टनल से पहले यह रिकॉर्ड चीन के तिब्बत में बनी सुरंग के नाम था। यह ल्हासा और न्यिंग्ची के बीच 400 किमी लंबे हाईवे पर बनी है। इसकी लंबाई 5.7 किमी है। इसे मिला माउंटेन पर बनाया गया है। इसकी ऊंचाई 4750 मीटर यानी 15583 फीट है। इसे बनाने में 38500 करोड़ रुपए खर्च हुए। यह 2019 में शुरू हुई।
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]]>The post लेह से ग्राउंड रिपोर्ट:इस बार लद्दाख में सर्दियां सेना के लिए सबसे महंगी होंगी, 1962 के बाद पहली बार चीन सीमा से सटी पोस्ट सर्दियों में भी खाली नहीं करेगी भारतीय सेना appeared first on News n Feeds.
]]>ये पहली बार होगा जब भारतीय सेना लद्दाख में चीन से सटी फॉरवर्ड पोस्ट सर्दियों में भी खाली नहीं करेगी। 1962 के चीन युद्ध के बाद ये पहली सर्दियां होंगी जब तापमान तो माइनस 50 डिग्री तक जाएगा, लेकिन बर्फबारी के बावजूद हमारे सैनिक इन पोस्ट पर मुस्तैद रहेंगे। पिछले साल तक हम अपनी ज्यादातर पोस्ट सर्दियों में खाली कर देते थे। अक्टूबर के आखिर से पोस्ट खाली करने का ये काम शुरू हो जाता था और फिर मार्च में ही वापसी होती थी। हालांकि, जो रास्ते पहले छह महीने बंद रहते थे वो अब चार से पांच महीने ही ब्लॉक रहते हैं।
फिलहाल सर्दियों में पोस्ट पर तैनाती चीन की हरकतों पर निर्भर करती है और इस विवाद को अगले कुछ हफ्ते में सुलझाना नामुमकिन सा लग रहा है। जबकि सर्दियां आने में बमुश्किल 4-5 हफ्तों का ही वक्त बाकी है। ज्यादा दिनों तक, ज्यादा सैनिक वहां तैनात रहेंगे तो खर्च भी ज्यादा होगा। और इस बार तो सेना ने अगले एक साल का राशन लद्दाख में जमा भी कर लिया है।
एक सैनिक पर सालभर का खर्च 20 लाख रुपए
लद्दाख में सेना की 14वीं कोर में 75 हजार सैनिक हैं। इस बार 35 हजार ज्यादा फोर्स को वहां भेजा गया है। चीन विवाद के बीच सेना ने हाल ही में अपनी तीन डिविजन, टैंक स्क्वॉड्रन और आर्टिलरी, लद्दाख सेक्टर में शिफ्ट की है। 15 हजार से लेकर 19 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी सेना की चौकियों पर एक सैनिक का सालभर का खर्च 17 से 20 लाख रुपए आता है। जिसमें हथियार, गोला बारूद की कीमत शामिल नहीं है। दुनिया की कोई भी सेना इस ऊंचाई पर इतने सैनिकों की तैनाती नहीं करती है। लद्दाख की 14वीं कोर के हिस्से हर साल सर्दियों के लिए सबसे ज्यादा सामान स्टॉक करने का रिकॉर्ड भी है।
हर साल 3 लाख टन सामान अक्टूबर में लद्दाख पहुंचाते हैं
अक्टूबर के महीने में लद्दाख को देश के बाकी हिस्से से जोड़ने वाले दोनों ही रास्ते, जोजिला और रोहतांग बंद हो जाते हैं। रास्ते बंद हो उससे पहले हर साल 3 लाख टन सामान सेना के लिए लद्दाख पहुंचाया जाता है। एडवांस विंटर स्टॉकिंग की इस कवायद से छह महीने तक सेना लद्दाख इलाके में गुजर बसर करती है।
मार्च से अक्टूबर के बीच सेना हर दिन 150 ट्रक राशन, मेडिकल, हथियार, गोला-बारूद, कपड़े, गाड़ियां और इलेक्ट्रॉनिक्स लद्दाख भेजती है। इसमें केरोसीन, डीजल और पैट्रोल भी शामिल है जिसकी गरमाहट की बदौलत सर्दियां काटी जाती हैं। सर्दियों में हर जवान पर स्पेशल कपड़े और टेंट के लिए एक लाख रुपए का खर्च आता है। जिसमें तीन लेयर वाले जैकेट, जूते, चश्मे, मास्क और टेंट शामिल हैं।
मिरर डिप्लॉयमेंट के लिए दोगुना स्टॉक चाहिए होगा
अब जब हमारी सेना चीन के मुकाबले की तैयारी कर रही है, मिरर डिप्लॉयमेंट यानी जितने सैनिक चीन ने सीमा पर जमा किए हैं उतने ही सैनिक भारत भी तैनात कर रहा है, तो सेना को लगभग दोगुने स्टॉक और राशन की जरूरत होगी।
पिछले महीने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत संसदीय समिति के सामने पेश हुए थे। वो कह चुके हैं सेना सर्दियों में लाइन ऑफ कंट्रोल पर लंबे मुकाबले के लिए तैयार है। पैन्गॉन्ग, चुशूल और गलवान के वो सभी इलाके जहां मई से लेकर अभी तक दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प हुई हैं, वहां की ऊंचाई 14 हजार फीट से ज्यादा है। बर्फीला रेगिस्तान कहलाने वाले लद्दाख में बाकी इलाकों में भी ठंड काफी ज्यादा होती है।
करगिल के पास द्रास साइबेरिया के बाद दुनिया का दूसरा सबसे ठंडा इलाका है। जहां सर्दियों में तापमान माइनस 60 डिग्री तक चला जाता है। द्रास की ऊंचाई 11 हजार फीट, करगिल की 9 हजार फीट, लेह की 11,400 फीट है। जबकि सियाचिन की 17 हजार से लेकर 21 हजार फीट है। वहीं चीन के साथ लाइन ऑफ कंट्रोल पर स्थित दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) 17,700 फीट और देमचोक 14 हजार फीट पर है।
चीन सीमा पर तैनाती बदलना जरूरी – एक्सपर्ट कमेंट – ले.जन (रिटायर्ड) सतीश दुआ
चीन सीमा पर किस तरह का डिप्लॉयमेंट होगा ये उस बातचीत पर निर्भर करता है जो दोनों देशों के बीच मिलिट्री और राजनयिक स्तर पर चल रही है। भारत के पास अनुभव ज्यादा है, हम पाकिस्तान के साथ लगी लाइन ऑफ कंट्रोल पर पूरे साल डिप्लॉयमेंट रखते हैं और वहां भी कश्मीर के ज्यादातर इलाकों में सर्दियां बेहद चुनौतीपूर्ण होती हैं।
करगिल युद्ध हुआ तो हमने ये तय किया कि अब पाकिस्तान से सटी पोस्ट खाली नहीं करेंगे। वरना उसके पहले तक हमारी तैनाती अलग होती थी। विंटर डिप्लॉयमेंट पोश्चर यानी सर्दियों में तैनाती एलएसी पर भी अलग होती थी। 1962 के बाद कभी कैजुअल्टी नहीं हुई लेकिन इस बार गलवान में हुई। तो इस डिप्लॉयमेंट को बदलना ही होगा।
पहली बार बदला रूल ऑफ एंगेजमेंट – अब दूर से बात, वरना गोली
गलवान के बाद एलएसी में बदलाव तय है। सेना ने गलवान में 20 सैनिकों को खोने के बाद चीन के साथ ‘रूल्स ऑफ एंगेजमेंट’ यानी निपटने के तरीके में बदलाव किया है। इससे पहले तक चीन और भारत के सैनिक आमने-सामने आ जाते थे। जबकि अब एक निश्चित दूरी से ही बात की जा रही है। यही वजह है कि पिछले एक महीने में तीन बार भारत-चीन सीमा पर गोली चल चुकी है।
दुनिया में युद्ध के सबसे ऊंचे मैदान सियाचिन से सबक
भारत इकलौता देश है जिसे सियाचिन जैसी जगहों पर सेना की तैनाती का तर्जुबा है। जिसका अनुभव चीन को भी नहीं। सियाचिन में हम पाकिस्तान के मुकाबले मजबूत स्ट्रेटेजिक पोजीशन पर हैैं। हालांकि सियाचिन में भी लड़ाई हुई है, वहां 1987 में अटैक हुआ था और पाकिस्तान उस जगह पर कब्जे की कई बार कोशिश कर चुका है। इसी से सबक लेकर हमने सर्दियों में भी सियाचिन की पोस्ट खाली करना बंद कर दिया।
करगिल के बाद बदली तैनाती
पाकिस्तान से सटी नियंत्रण रेखा पर करगिल इलाके की पोस्ट सेना ने 1999 के बाद सर्दियों में खाली करना बंद कर दिया है। ये बदलाव पाकिस्तान की घुसपैठ और फिर अपनी चोटियों को कब्जे से छुड़ाने के लिए करगिल युद्ध के बाद हुआ है।
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]]>The post लद्दाख में तनाव चरम पर: रिपोर्ट्स में दावा- भारत-चीन के बीच पिछले हफ्ते पैंगॉन्ग झील इलाके में 100-200 राउंड गोलियां चलीं, दोनों देशों के बीच मॉस्को समझौते से पहले यह घटना हुई appeared first on News n Feeds.
]]>भारत-चीन के विदेश मंत्रियों की 10 सितंबर को मॉस्को में हुई मीटिंग से पहले लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच फायरिंग हुई थी। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले यह रिपोर्ट दी है। इसके मुताबिक पूर्वी लद्दाख में पैंगॉन्ग सो झील के उत्तरी छोर पर दोनों तरफ से 100 से 200 राउंड हवाई फायर हुए थे। यह घटना रिजलाइन पर हुई थी, जहां फिंगर-3 और फिंगर-4 के इलाके मिलते हैं।
कई इलाकों में भारत-चीन के सैनिकों में सिर्फ 300 मीटर का फासला
रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर के पहले हफ्ते में पैंगॉन्ग सो झील के उत्तरी और दक्षिणी छोर पर काफी मूवमेंट हुए थे। कई बार फायरिंग भी हुई। तनाव अभी बरकरार है। चुशूल सेक्टर में कई जगहों पर भारत और चीन के सैनिक एक-दूसरे से सिर्फ 300 मीटर की दूरी पर तैनात हैं। इस बीच दोनों देशों के आर्मी अफसरों के बीच फिर से बातचीत होनी है।
इससे पहले 7 सितंबर को भारत-चीन ने मुकपारी हाइट्स इलाके में फायरिंग की घटना पर बयान जारी किए थे। बताया गया कि एलएसी पर 45 साल बाद गोलियां चली हैं। दोनों ने इसके लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया। लेकिन, पैंगॉन्ग इलाके में फायरिंग को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
चीन ने 5 दिन में 3 बार घुसपैठ की कोशिश की थी
29-30 अगस्त की रात चीन के सैनिकों ने पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी छोर की पहाड़ी पर कब्जे की कोशिश की थी, लेकिन भारतीयों जवानों ने नाकाम कर दी। उसके बाद आर्मी अफसरों की बातचीत का दौर शुरू हुआ, लेकिन चीन ने अगले 4 दिन में 2 बार फिर घुसपैठ की कोशिश की।
शांति से सीमा विवाद सुलझाने के लिए 10 सितंबर को मॉस्को में भारत-चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी। इसमें डिस-एंगेजमेंट समेत 5 पॉइंट्स पर सहमति बनी थी। लेकिन, चीन बार-बार अपनी बात से पीछे हट रहा है और विवादित इलाकों में लगातार मूवमेंट कर रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी मंगलवार को संसद में कहा कि चीन ने एलएसी पर सैनिक और गोला-बारूद जमा कर रखे हैं, लेकिन भारत भी तैयार है।
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]]>The post भारत-चीन सैनिकों फिर आये आमने सामने , पैंगोंग झील के पास चीन ने की घुसपैठ की कोशिश appeared first on News n Feeds.
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