नई दिल्ली.<\/strong> 1.47 लाख करोड़ रुपए के एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को टेलीकॉम कंपनियों और केंद्र के टेलीकॉम डिपार्टमेंट के रवैए पर नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ज्यादातर कंपनियों ने बकाया रकम जमा नहीं करवाई है। इस पर शीर्ष अदालत ने कंपनियों से पूछा कि क्यों ना आपके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए? सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘क्या इस देश में कोई कानून नहीं बचा? इस देश में रहने से बेहतर है कि इसे छोड़कर चले जाना चाहिए।’सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर को आदेश दिया था कि टेलीकॉम कंपनियां 23 जनवरी तक बकाया राशि जमा करें। कंपनियों ने फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। इसके बाद भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और टाटा टेली ने भुगतान के लिए ज्यादा वक्त मांगते हुए नया शेड्यूल तय करने की अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इसे भी खारिज कर दिया।<\/p>\n टेलीकॉम कंपनियों के एमडी को 17 मार्च को पेशी के आदेश<\/strong><\/p>\n जिन टेलीकॉम कंपनियों पर एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू के आधार पर स्पेक्ट्रम और लाइसेंस फीस के1.47 लाख करोड़ रुपए बकाया हैं, उनमें से सिर्फ रिलायंस जियो ने करीब 195 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया है। इस पर जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने भारती एयरटेल, वोडाफोन, एमटीएनएल, बीसीएनएल, रिलायंस कम्युनिकेशंस, टाटा टेलीकम्युनिकेशंस और अन्य के मैनेजिंग डायरेक्टर्स से 17 मार्च को पेश होने को कहा है।<\/p>\n सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी की वजह?<\/strong> <\/p>\n सुप्रीम कोर्ट ने अफसर से कहा- एक घंटे में आदेश वापस लें<\/strong> 1.47 लाख करोड़ में से किस कंपनी पर कितना बकाया<\/strong><\/p>\n टेलीकॉम कंपनियों के शेयरों में 15% तक गिरावट<\/strong><\/p>\n आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें <\/a> <\/p>\n
दूरसंचार विभाग के राजस्व मामलों से जुड़े एक डेस्क ऑफिसर ने पिछले दिनों एटॉर्नी जनरल और संवैधानिक पदों पर बैठे अन्य अफसरों को लिखी चिट्ठी में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश तक टेलीकॉम कंपनियों पर कोई कार्रवाई न की जाए, भले ही वे एजीआर मामले में बकाया भुगतान नहीं करें।<\/p>\n
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब हम पहले ही टेलीकॉम कंपनियों को भुगतान का आदेश दे चुके हैं, तब कोई डेस्क ऑफिसर ऐसा आदेश कैसे जारी कर सकता है? हमें नहीं पता कि कौन माहौल बिगाड़ रहा है। क्यादेश में कोई कानून ही नहीं बचा है?कोई अधिकारी कोर्ट के आदेश के खिलाफ जुर्रत कर सकता है तो सुप्रीम कोर्ट को बंद कर देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर इस अफसर ने एक घंटे के अंदर आदेश वापस नहीं लिया तो उसे जेल भेजा जा सकता है। कंपनियों ने एक पैसा भी नहीं चुकाया और आप आदेश पर रोक चाहते हैं?<\/p>\n<\/p>\n\n\n
\n कंपनी<\/strong><\/td>\n बकाया (रुपए)<\/strong><\/td>\n<\/tr>\n \n वोडाफोन-आइडिया<\/td>\n 53,038 करोड़<\/td>\n<\/tr>\n \n भारती एयरटेल<\/td>\n 35,586 करोड़<\/td>\n<\/tr>\n \n टाटा टेली<\/td>\n 13,823 करोड़<\/td>\n<\/tr>\n \n रिलायंस जियो, रिलायंस कम्युनिकेशंस, बीएसएनएल और एमटीएनएल परबकाया<\/td>\n 45,000 करोड़<\/td>\n<\/tr>\n \n सभी कंपनियों पर ब्याज और पेनल्टी समेत कुलबकाया<\/strong><\/td>\n 1,47000 करोड़<\/strong><\/td>\n<\/tr>\n \n रिलायंस जियो ने चुकाए<\/strong><\/td>\n -195 करोड़<\/strong><\/td>\n<\/tr>\n \n अब बाकी कंपनियों पर बकाया<\/strong><\/td>\n 1,46,805 करोड़<\/strong><\/td>\n<\/tr>\n<\/tbody>\n<\/table>\n \n\n
\n कंपनी<\/strong><\/td>\n शेयर में गिरावट<\/strong><\/td>\n<\/tr>\n \n वोडाफोन-आइडिया<\/td>\n 14.51%<\/td>\n<\/tr>\n \n भारती इन्फ्राटेल<\/td>\n 5.36%<\/td>\n<\/tr>\n \n टाटा टेली<\/td>\n 9.89%<\/td>\n<\/tr>\n<\/tbody>\n<\/table>\n