नई दिल्ली.<\/strong>निर्भया केस के 4 गुनहगारों में शामिल मुकेश कुमार ने शनिवार को दया याचिका खारिज होने की न्यायायिक समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 जनवरी को उसकी दया याचिका ठुकरा दी थी। दोषी मुकेश की वकील वृंदा ग्रोवर ने बताया कि शत्रुघ्न चौहान केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर हमने अनुच्छेद 32 के तहत कोर्ट से दया याचिका के मामले में न्यायिक समीक्षा की मांग की है। इससे पहले मुकेश की क्यूरेटिव पिटीशन शीर्ष अदालत में खारिज हो चुकी है। दोषियों को 1 फरवरी सुबह 6 बजे फांसी देने का डेथ वॉरंट जारी हुआ था।<\/p>\n<\/p>\n अन्ना दोषियों को फांसी हाेने तक उपवास करेंगे<\/strong><\/p>\n निर्भया के गुनहगाराें काे फांसी की सजा देने की मांग को लेकर समाजसेवी अन्ना हजारे 34 दिन से मौन व्रत पर हैं। केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने शुक्रवार काे अन्ना से उनके गांव रालेगण सिद्धी में मुलाकात की। इसके बाद अठावले ने कहा, “मैंने यह तय किया है कि जब तक निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा नहीं हो जाती, मैं कुछ नहीं खाऊंगा।’’<\/p>\n<\/p>\n निर्भया केस में अब तक<\/strong><\/p>\n निर्भया के चारों गुनहगार जेल नंबर 3 की हाई सिक्योरिटी सेल की अलग-अलग कोठरियों में हैं। दूसरे कैदियों से तो दूर ये लोग आपस में भी नहीं मिल पाते। दिन में एक-डेढ़ घंटे के लिए ही इन्हें कोठरियों से निकाला जाता है। चारों एक साथ नहीं निकाले जाते।<\/p>\n 20 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्मी पवन की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने वारदात के वक्त खुद के नाबालिग होने का दावा किया था। कोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई नया आधार नहीं है।<\/p>\n<\/p>\n 3 दोषियों के पास 5 विकल्प<\/strong> आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें <\/a> <\/p>\n\n
1) पवन, मुकेश, अक्षय और विनय शर्मा की फांसी के लिए दूसरी बार डेथ वॉरंट जारी हो चुका है। इसमें फांसी की तारीख 1 फरवरी मुकर्रर की गई है। पहले वॉरंट में यह तारीख 22 जनवरी थी। दोषी पवन के पास अभी क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका का विकल्प है। यही विकल्प अक्षय सिंह के पास हैं। विनय शर्मा के पास भी दया याचिका का विकल्प है। दोषी मुकेश के पास अब कोई कानूनी विकल्प नहीं है। यानी तीन दोषी अभी 5 कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
2) फांसी में एक और केस अड़चन डाल रहा है। वह है सभी दोषियों के खिलाफ लूट और अपहरण का केस। दोषियों के वकील एपी सिंह का कहना है कि पवन, मुकेश, अक्षय और विनय को लूट के एक मामले में निचली अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ अपील हाईकोर्ट में लंबित है। जब तक इस पर फैसला नहीं होता जाता, दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकती।
3) जिन दोषियों के पास कानूनी विकल्प हैं, वे तिहाड़ जेल द्वारा दिए गए नोटिस पीरियड के दौरान इनका इस्तेमाल कर सकते हैं। दिल्ली प्रिजन मैनुअल के मुताबिक, अगर किसी मामले में एक से ज्यादा दोषियों को फांसी दी जानी है तो किसी एक की याचिका लंबित रहने तक सभी की फांसी पर कानूनन रोक लगी रहेगी। निर्भया केस भी ऐसा ही है, चार दोषियों को फांसी दी जानी है। अभी कानूनी विकल्प भी बाकी हैं और एक केस में याचिका भी लंबित है। ऐसे में फांसी फिर टल सकती है।<\/p>\n<\/p>\n