आज ही के दिन 1906 में पाकिस्तान के पेशावर में पृथ्वीराज कपूर का जन्म हुआ था। 1927 में उन्होंने पेशावर के एडवर्ड्स कॉलेज से बीए किया और कानून की पढ़ाई के लिए लाहौर गए। यहां उनका मन फिल्म और अभिनय में ज्यादा लगने लगा। नतीजा यह हुआ कि वे 1929 में कानून की परीक्षा में फेल हो गए। उसी साल सितंबर में वो लाहौर से मुंबई (तब की बम्बई) आ गए और आर्देशर ईरानी की इम्पीरियल फिल्म कम्पनी में भर्ती हो गए।<\/p>\n
पृथ्वीराज ने बतौर अभिनेता मूक फिल्मों से अपना करियर शुरू किया। चैलेंज नाम की एक मूक फिल्म में उन्होंने बिना कोई फीस लिए काम किया। दूसरी फिल्म सिनेमा गर्ल के लिए उन्हें 70 रुपए फीस मिली। 1931 में जब आर्देशर ईरानी ने पहली बोलती हिन्दी फिल्म “आलम आरा” बनाई तो पृथ्वीराज को इसमें खलनायक का रोल मिला।<\/p>\n
पृथ्वीराज ने 1944 में मुंबई में पृथ्वी थिएटर की स्थापना की, जो देशभर में घूम-घूमकर नाटकों का प्रदर्शन करता था। 1972 में उनकी मृत्यु के बाद उन्हें भारतीय सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी नवाजा गया। पृथ्वीराज कपूर को 1969 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था।<\/p>\n
पेरिस संधि के साथ अमेरिका में संघर्ष खत्म हुआ<\/strong><\/p>\n 3 सितंबर 1783 को पेरिस संधि के साथ अमेरिका में इंग्लैंड के खिलाफ चल रहे संघर्ष का अंत हुआ। इस संधि के बाद इंग्लैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री लार्ड नार्थ ने इस्तीफा दे दिया। इंग्लैंड के खिलाफ संघर्ष की शुरुआत 1756 में हुई थी। जब अमेरिकियों ने बोस्टन बंदरगाह पर खड़े एक चाय के जहाज को लूट लिया था। इतिहास में ये घटना बोस्टन चाय पार्टी के नाम से जानी जाती है। 4 जुलाई 1776 अमेरिका ने खुद को आजाद घोषित कर दिया था। लेकिन इसके बाद भी संघर्ष जारी रहा। 3 सितंबर 1783 को हुई संधि के साथ ये संघर्ष खत्म हुआ और 13 अमेरिकी उपनिवेश स्वतंत्र घोषित हुए।<\/p>\n सात साल पहले कर्ज के चलते बिक गया था नोकिया <\/strong><\/p>\n आज ही के दिन माइक्रोसॉफ्ट ने नोकिया को खरीद लिया था। अमेरिका की प्रमुख सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने फिनलैंड की कंपनी नोकिया कॉर्प के मोबाइल फोन कारोबार को 03 सितंबर 2013 को 7.2 अरब डॉलर में खरीदा था। इस सौदे में नोकिया के कुल मोबाइल फोन कारोबार के लिए माइक्रोसॉफ्ट ने 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान किया था। जबकि 2.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से माइक्रोसॉफ्ट ने नोकिया के पेटेंट अधिकारों को खरीदा था। इस सौदे के साथ ही, नोकिया के प्रमुख स्टीफन ईलॉप समेत नोकिया का 32,000 का स्टाफ माइक्रोसॉफ्ट का स्टाफ बन गया था।<\/p>\n इतिहास के पन्नों में आज के दिन को इन घटनाओं की वजह से भी याद किया जाता है…<\/strong><\/p>\n आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें <\/a> <\/p>\n\n