देशभर के 122 लॉ स्टूडेंट्स ने सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण के खिलाफ कोर्ट की अवमानना के मामले में एक इमोशनल लेटर लिखा है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोबडे और अन्य जजों को लिखे खत में कहा गया है कि कोर्ट मामले में अपने फैसले पर फिर से विचार करे।<\/p>\n
सुप्रीम कोर्ट ने महीने की शुरुआत में ही भूषण को उनके ट्वीट्स पर कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया था और फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले में सुप्रीम कोर्ट सोमवार को अपना फैसला सुनाएगा।<\/p>\n
लोगों में भरोसा बहाल करके आलोचना का जवाब दे कोर्ट<\/strong> लॉ स्टूडेंट्स ने कहा कि उन्होंने लंबे समय से प्रशांत भूषण को भ्रष्टाचार के खिलाफ और पारदर्शिता, जवाबदेही, पर्यावरण संरक्षण, मानवाधिकारों के लिए कोर्ट में लड़ते देखा है। कानून के क्षेत्र और राष्ट्र निर्माण में उनका योगदान बेशक सराहनीय है।<\/p>\n ‘दरकिनार किए गए लोगों के लिए था ट्वीट’<\/strong> प्रशांत भूषण के इन 2 ट्वीट को अवमानना माना<\/strong><\/p>\n भूषण को पहले भी अवमानना का नोटिस दिया गया था<\/strong> ये भी पढ़ सकते हैं…<\/strong><\/p>\n 1. चीफ जस्टिस और 4 पूर्व CJI की अवमानना:सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी करार दिया<\/a><\/strong><\/p>\n 2. 3000 से ज्यादा जज और वकीलों का सुझाव- प्रशांत भूषण को अवमानना मामले में दी जाने वाली सजा पर बड़ी बेंच के रिव्यू से पहले अमल न हो<\/a><\/strong><\/p>\n आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें <\/a> <\/p>\n
खत में कहा गया कि न्यायापालिका को लोगों में भरोसा बहाल करके आलोचना का जवाब देना चाहिए। जब आलोचना पीड़ा से उठे और न्याय की मांग करे, तो न्यायपालिका को अवमानना का आरोप नहीं लगाना चाहिए। वो भी ऐसे व्यक्ति पर, जो उसी गहराई से न्याय मांग रहा हो, जो वह दूसरों के लिए मांगता रहा है।<\/p>\n
वकीलों ने कहा कि जिन दो ट्वीट के आधार पर भूषण को कंटेम्प्ट का दोषी ठहराया गया है, वो ट्वीट उस उस बेआवाज तबके का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, जिन्हें दरकिनार कर दिया गया है। ये ट्वीट कोर्ट की पवित्रता को चोट नहीं पहुंचाते।<\/p>\n\n
प्रशांत भूषण को नवंबर 2009 में भी सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का नोटिस दिया था। तब उन्होंने एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट के कुछ जजों पर टिप्पणी की थी।<\/p>\n