इंदौर के 4 इलाकों से आरती दुबे की रिपोर्ट.<\/strong> देश का सबसे सख्त लॉकडाउन शुरू हुए आधा घंटा बीत चुका है। रात के साढ़े बारह बजे हैं। वॉट्सएप पर लगातार मैसेज गिर रहे हैं। वैसे तो यह सिलसिला रोज का है, मगर आज फैमिली एंड फ्रेंड्स ग्रुप में खासी हलचल है। चर्चा का विषय है लॉकडाउन। यह उस शहर में हो रहा है, जो साफ-सफाई में नंबर वन है। वैसे तो लॉकडाउन की चर्चा 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दिन से ही चल रही थी, लेकिन आज मामला कुछ अलग है क्योंकि इंदौर तीन दिन पूरी तरह बंद रहेगा। देश में सबसे सख्त लॉकडाउन का साक्षी बनेगा। इसे लेकर हर कोई अपने-अपने मन की बात अपने तर्क के साथ सही साबित करने में लगा है। हां, एक कॉमन बात है, जो सभी की जुबान पर है… और वो यह कि जिसका डर था वही हुआ, अब बैठे रहो तीन दिन बिना चाय के।<\/p>\n कलेक्टर ऑफिस : ‘लोगों को जुलूस मनाते देखा था, तभी लगा था ये सबकुछ बंद करवाकर ही मानेंगे’<\/strong> सुदामा नगर : ‘समझदारी रखते तो इतने कड़े कदम की जरूरत नहीं पड़ती’<\/strong> एलआईजी : ‘जिंदगी का सवाल है, परेशानी तो उठानी पड़ेगी’<\/strong> बॉम्बे हॉस्पिटल : ‘सरकार-प्रशासन को व्यावहारिक पक्ष भी सोचना चाहिए’<\/strong> आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें <\/a> <\/p>\n
कलेक्टर ऑफिस इलाके में रहने वाली नीलम मिश्रा प्रशासन के इस सख्त रवैये का समर्थन तो नहीं करतीं मगर वे इसके विरोध में भी नहीं हैं। वे कहती हैं कि सच कहूं तो इस बात का डर मुझे उसी दिन से था, जब मैंने जनता कर्फ्यू के बाद लोगों को जुलूस निकालते अपने घर की खिड़की से देखा था। मैंने तो परिचितों से कहा भी था कि ऐसे लोग सबकुछ बंद करवाकर ही छोड़ेंगे। अब लीजिए। सबकुछ बंद है। यह तीन दिन बहुत भारी पड़ने वाले हैं। कारण यह कि लोग अभी भी घर में रहने को तैयार नहीं हैं। राम जाने क्या होगा।<\/p>\n
एक प्राइवेट स्कूल में एडमिनिस्ट्रेटर निधि त्रिवेदी कहती हैं कि पिछले एक हफ्ते में देशभर में लोगों ने जिस लापरवाही का परिचय दिया है, वह हैरान करने वाला है। इंदौर में भी यदि लोगों ने थोड़ी समझदारी दिखाई होती तो आज इस कड़े कदम का सामना हमें नहीं करना पड़ता। जनता कर्फ्यू वाले दिन ही लोगों ने बचकानी हरकतें कीं। नतीजा संक्रमण के यह बढ़े हुए मामले हैं। ऐसा नहीं है कि अगले 3 दिन किसी को कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन अब इसके अलावा कोई चारा भी नहीं है।<\/p>\n
मेंगलुरु की रहने वाली शचि पल्ली अपने मम्मी-पापा के यहां रहने के लिए पिछले दिनों इंदौर आईं। इसके बाद लॉकडाउन शुरू हो गया तो वे यहीं रूक गईं। मगर, वे इंदौरियों के रवैये से हैरान हैं। शायद, इसलिए खुलकर प्रशासन के इस निर्णय का समर्थन करती हैं। वे कहती हैं कि परेशानी तो उठाना ही पड़ेगी। सवाल जिंदगी का है। यह बात ठीक है कि जरूरी चीजों के लिए छूट मिलना चाहिए मगर लोग इसका गलत फायदा उठा रहे हैं। जरूरत का सामान लाने के बहाने ही बाहर घूम रहे हैं। यह ठीक नहीं है। इसे किसी भी हालत में रोकना होगा।<\/p>\n
बॉम्बे हॉस्पिटल इलाके में रहने वाली प्रतिभा यादव कहती हैं कि लॉकडाउन का फैसला सरकार और प्रशासन ने निश्चित रूप से इस वक्त की जरूरत के हिसाब से लिया है, लेकिन उन्हें इस नियम को लागू करने से पहले कुछ व्यावहारिक बातों पर भी विचार कर लेना चाहिए। प्रशासन ने कहा कि जरूरी चीजों की आपूर्ति हम आपके घर आकर करेंगे। मगर ऐसा होता नहीं दिखाई दे रहा। इसी कारण लोगों को बाहर निकलना पड़ रहा है। हालांकि, कुछ लोग इसका गलत फायदा उठा रहे हैं, लेकिन हर कोई ऐसा नहीं करता।<\/p>\n