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gmail – News n Feeds https://newsnfeeds.com Latest ,Bollywood,Sports,World,Fashion, Gujarati News Thu, 22 Oct 2020 10:20:25 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.2.5 184021953 आपकी हर हरकत पर गूगल की नजर, कंट्रोल भी अब उसके हाथों में; जानें क्यों है डरने की जरूरत? https://newsnfeeds.com/googles-eye-on-your-every-action-control-is-also-now-in-its-hands-know-why-you-need-to-be-afraid/ Thu, 22 Oct 2020 10:19:36 +0000 https://newsnfeeds.com/?p=157288 एक वक्त गूगल को अल्टाविस्टा, याहू और लाइकोस से मुकाबला करना पड़ रहा था गूगल तेज और सटीक सर्चिंग की दम पर लगातार आगे बढ़ता गया 20 साल पहले की बात है। जब कई लोगों ने कम्प्यूटर के वेब ब्राउजर पर Google.com पहली बार टाइप किया होगा। पेज लोड होने के बाद स्क्रीन पर एक […]

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  • एक वक्त गूगल को अल्टाविस्टा, याहू और लाइकोस से मुकाबला करना पड़ रहा था
  • गूगल तेज और सटीक सर्चिंग की दम पर लगातार आगे बढ़ता गया

20 साल पहले की बात है। जब कई लोगों ने कम्प्यूटर के वेब ब्राउजर पर Google.com पहली बार टाइप किया होगा। पेज लोड होने के बाद स्क्रीन पर एक सर्च बार और बटन आता था। यहां जो सर्च करना होता उसे टाइप करके सर्च बटन पर क्लिक कर देते। फिर नीचे की तरफ उससे जुड़े रिजल्ट्स के कई लिंक आ जाते थे। इनमें वो लिंक भी होते थे, जिनकी हमें जरूरत होती थी।

गूगल का ये वो दौर था जब उसे अल्टाविस्टा, याहू और लाइकोस जैसे सर्च इंजन के साथ मुकाबला करना पड़ा था। ये कहना भी गलत नहीं होगा कि तब गूगल अपनी पहचान बनाने की कोशिश में था। हालांकि, गूगल तेज और सटीक सर्चिंग की दम पर लगातार आगे बढ़ता गया। अब 20 साल बाद कहानी पूरी बदल चुकी है।

सर्च इंजन का ताज तो गूगल के सिर आ ही गया, लेकिन अब उसे इस्तेमाल करने वाले ज्यादातर लोग भी उसके कंट्रोल में हैं। ये बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि गूगल की टेक्नोलॉजी ने आम इंसान की लाइफ को पूरी तरह बदल दिया है। वो सिर्फ एक जीमेल अकाउंट से आपकी पसंद-नापसंद, सोने-उठने, खाने-पीने यहां तक की आपके खर्च से जुड़ी लगभग सभी बातें जानता है।

आइए आप भी इस बात को समझिए…

जीमेल से शुरू हो जाता है काम : आपके पास एंड्रॉयड स्मार्टफोन है तब उसमें ऐप्स के एक्सेस के लिए जीमेल अकाउंट की जरूरत होती है। आपकी यही अकाउंट आईडी गूगल के सभी ऐप्स जैसे जीमेल, प्ले स्टोर, यूट्यूब, मैप्स, फोटोज, कैलेंडर, कॉन्टैक्ट जैसे सभी ऐप्स पर काम करती है। आपकी इसी आईडी से गूगल आपको ट्रैक करना शुरू कर देता है।

दरअसल, इन दिनों कई टेक कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही हैं। ये ऐसी टेक्नोलॉजी है जो यूजर की एक्टिविटी को अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर ट्रैक करती हैं, फिर उसके पसंद या नापसंद वाला डेटा तैयार कर लेती हैं। इस बात को उदाहरण से समझिए…

मान लीजिए किसी यूजर ने name@gmail.com नाम की आईडी से फोन पर लॉगइन किया। अब वो यूट्यूब देखता है। तब उसने कौन सा वीडियो देखा, कितनी देर तक देखा, कौन सा वीडियो जल्दी बंद कर दिया। उस आईडी को लेकर वीडियो एक्टिविटी को ट्रैक किया जाएगा। अब जब भी वो यूजर name@gmail.com आईडी से किसी फोन या पीसी पर लॉगइन करेगा, उसे उसकी पसंद के वीडियो यूट्यूब पर दिखाई देने लगेंगे। जैसा आपके साथ भी होता होगा।

आप कहां जा रहे गूगल को पता रहेगा : इसी तरह से गूगल मैप्स की मदद से name@gmail.com आईडी वाला यूजर कहीं आता-जाता है, तब गूगल के पास उसके इस डेटा की जानकारी भी होगी। जैसे, महीनेभर में यूजर किस होटल में गया? किसी शॉप पर गया? कहां मूवी देखी? कहां-कहां ट्रैवल किया? जैसे कई जानकारियां AI की मदद से गूगल के पास होंगी।

आपकी वॉल पर पसंद के विज्ञापन : आपने एक बात हमेशा नोटिस की होगी कि जब भी हम किसी ई-कॉमर्स वेबसाइट पर जाकर किसी प्रोडक्ट को देखते हैं, तब वो हमें दूसरी वेबसाइट पर भी नजर आने लगता है। ये भी आपकी एक्टिविटी का पार्ट है। जब वो प्रोडक्ट आपको बार-बार दिखेगा, तब हो सकता है कि आप उसे खरीदने का मन बना लें।

My Google Activity पर जाकर आप अपनी तमाम हिस्ट्री को देख सकते हैं। यानी आपने कौन से वीडियो देखे, कौन सी खबरें पढ़ीं, गूगल सर्च इंजन पर क्या सर्च किया, कौन से ऐप्स डाउनलोड किए।

फोन का पूरा लेखा-जोखा : देश में एंड्रॉयड OS का मार्केट शेयर 95.85%, iOS का मार्केट शेयर 3.24% है। यानी ज्यादातर यूजर्स एंड्रॉयड स्मार्टफोन ही इस्तेमाल करते हैं। एंड्रॉयड OS भी गूगल का प्रोडक्ट है। ऐसे में आपके स्मार्टफोन से जुड़ी हर एक्टिविटी पर गूगल नजर रखता है। जैसे कि हमने ऊपर बताया है कि गूगल के सभी ऐप्स आपकी जीमेल आईडी से जुड़े रहते हैं।

आपके फोन की कॉन्टैक्ट लिस्ट भी जीमेल अकाउंट लिंक होती है। यानी आपके फोन का हर कॉन्टैक्ट गूगल के पास होता है। ठीक इसी तरह, आपके फोन के वीडियो और फोटो भी गूगल के पास सिंक हो जाते हैं। गूगल इन्हें अपने क्लाउड स्टोरेज यानी गूगल ड्राइव पर सेव कर लेता है।

गूगल बना आपका पर्सनल असिस्टेंट : इन दिनों ज्यादातर एंड्रॉयड यूजर्स गूगल असिस्टेंट फीचर का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस फीचर का इस्तेमाल वॉइस कमांड या टेक्स्ट के जरिए किया जाता है। यानी वॉइस से आप किसी चीज को सर्च कर सकते हैं। हालांकि, आपकी द्वारा दी गई हर वॉइस कमांड गूगल के पास सेव हो जाती है। आप गूगल असिस्टेंट को कमांड देकर क्या सर्च कर रहे हैं? और आपने उसे कौन सी जानकारी याद करने के लिए कहा है। ये सभी बातें भी यहां सेव रहती हैं।

ऐसे समझिए कि कोई यूजर गूगल असिस्टेंट फीचर का इस्तेमाल कर रहा है, तब असिस्टेंट को अपनी कई जरूरी बातें याद करने के लिए भी बोल सकता है। या फिर छोटे-मोटे रिमाइंडर भी याद करने और याद दिलाने के लिए बोल सकता है।

बैंक खाते तक पहुंच : देश में 10 करोड़ से ज्यादा यूजर्स गूगल पे का इस्तेमाल कर रहे हैं। यानी इतने यूजर्स के बैंक अकाउंट तक गूगल की पहुंच हो चुकी है। जब आप गूगल पे ऐप से कोई ट्रांजेक्शन करते हैं तब उसकी डिटेल भी गूगल के पास जा रही है। भले ही गूगल पे सिक्योर हो, लेकिन आपके खर्च और बैंक बैलेंस की जानकारी तो कंपनी के पास है। यदि आपने अपने क्रेडिट कार्ड बिल, बिजली बिल, डीटीएच बिल या अन्य किसी बिल का पेमेंट एक बार गूगल पे से किया है, तब गूगल आपको हर बार इसका रिमाइंडर दिलाएगा।

आपके वीडियो और म्यूजिक पर कंट्रोल : गूगल ने वीडियो और म्यूजिक सुनने के लिए भी ऐप्स बना रखे हैं। ऐसे में आप एक बार इन ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं तब आपकी एंटरटेनमेंट से जुड़ी पसंद भी उसे पता चल जाती है। यूट्यूब अब सबसे बड़ा वीडियो होस्टिंग प्लेटफॉर्म है। इस पर लगभग 215 मिलियन (करीब 21.5 करोड़) अमेरिकी यूजर्स डेली औसतन 27 मिनट वीडियो देखते हैं। EMarketer के अनुसार, कुछ साल पहले ये आंकड़ा 22 मिनट तक था। गूगल के मुताबिक, उसके यूट्यूब टीवी पर बीते साल 2 मिलियन से ज्यादा यूजर्स की संख्या बढ़ी है।

आपके चैट नहीं है सीक्रेट : ऑफिस से जुड़े लोग अक्सर जरूरी बातें गूगल चैट या हैंगआउट की मदद से करते हैं। गूगल पर आपके चैट हमेशा के लिए सेव हो जाते हैं। यदि आप इन्हें अपनी तरफ से डिलीट भी कर दें तब दूसरे यूजर के पास ये सेव होते हैं। यदि दोनों यूजर भी चैट को डिलीट कर दें तब भी चैट गूगल के पास सेव रहते हैं।

गूगल शीट और गूगल मीट : गूगल ने ऑनलाइन गूगल शीट देकर माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस का काम खत्म कर दिया है। ऑनलाइन शीट पर आप जो भी काम करते हैं वो क्वाउड स्टोरेज पर सेव हो जाता है। जिसके बाद उस शीट को आप कभी भी और कहीं भी ओपन कर सकते हैं। यानी आपने शीट पर जो भी काम किया है उसकी जानकारी इन डायरेक्ट तरीके से गूगल को दे दी।

गूगल मीट की मदद से आप अपने चाहने वाले कई लोगों के साथ वीडियो कॉल पर जुड़ सकते हैं, लेकिन आपके द्वारा की जाने वाली सभी बातें गूगल के पास रहती हैं।

गूगल कर सकता है मनमानी : गूगल प्ले स्टोर पर गूगल के 135 ऐप्स मौजूद हैं। इनमें से लगभग 50 ऐप्स कई यूजर्स इस्तेमाल कर रहे हैं। ज्यादातर ऐप्स गूगल के एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम का हिस्सा होते हैं। वहीं, कई ऐप्स यूजर्स अपनी जरूरत के हिसाब से फोन में इन्स्टॉल कर लेते हैं। क्योंकि गूगल के पास आपकी पसंद से जुड़ी हर डिटेल होती है। ऐसे में वो आपकी मर्जी का कंटेंट दिखाता है, लेकिन उसके पास ऐसा कंट्रोल भी आ चुका है कि वो आपके ऊपर कोई चीज थोप भी सकता है।

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