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]]>प्लाज्मा थेरेपी और रेमेडिसवीर (plasma therapy and remdesivir) के ‘रूटीन यूज’ से कोविड-19 (Covid-19) के मरीजों के इलाज को लेकर रविवार को केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने चेतावानी जारी की. उन्होंने कहा कि ये फिलहाल ‘इनवेस्टिगेशनल थेरेपी’ हैं और इनका इस्तेमाल तर्कसंगत तरीके से ही किया जाना जरूरी है.
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]]>The post कोरोना: दुनिया में अब भारत का रिकवरी रेट सबसे ज्यादा, अमेरिका को पछाड़ा appeared first on News n Feeds.
]]>कोरोना केस के बढ़ते मामलों में भारत, अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है. वहीं कोरोना रिकवरी यानी की कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों के मामले में भारत अमेरिका को पछाड़कर एक नंबर पर पहुंच गया है. यानी कि कोरोना से ठीक होने वाले सबसे अधिक लोग भारत में हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को इस बात की जानकारी दी है. अब तक देश में 42,08,431 कोरोना मरीज ठीक होकर घर वापस लौटे हैं. यानी कि भारत में कोरोना रिकवरी रेट अब बढ़कर करीब 80 प्रतिशत हो गया है. जबकि मृत्यु दर घटकर 1.61 पर पहुंच गया है.
शनिवार को देश में एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के 93,337 नए मामले सामने आए लेकिन इसी अवधि में इससे अधिक लोग संक्रमण मुक्त हुए. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक बीते 24 घंटे में 95,880 लोग संक्रमण मुक्त हो गए हैं. इसी अवधि में कोरोना वायरस संक्रमण के 93,337 नए मामले सामने आए जिसके साथ देश में कोविड-19 के कुल 53,08,014 मामले हो गए हैं.
आंकड़ों के मुताबिक अब तक कुल 42,08,431 लोग संक्रमणमुक्त हो चुके हैं तथा ठीक होने वाले लोगों की दर बढ़कर 79.28 फीसदी हो गई है. बीते 24 घंटे में 1,247 संक्रमितों की मौत हुई है जिसके साथ मृतक संख्या बढ़कर 85,619 हो गई. कोविड-19 के कारण मरने वालों की दर घट कर 1.61 फीसदी हो गई है.
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में फिलहाल कोविड-19 के 10,13,964 मरीजों का इलाज चल रहा है जो संक्रमण के कुल मामलों का 19.10 फीसदी है.
गौरतलब है कि भारत में सात अगस्त को कोविड-19 मरीजों की संख्या 20 लाख के पार हुई थी जबकि 23 अगस्त को कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 30 लाख के पार हो गई. देश में पांच सितंबर को संक्रमितों की संख्या 40 लाख हुई. वहीं, 16 सितंबर को देश में कोविड-19 मरीजों की संख्या 50 लाख के पार पहुंच गई.
बता दें, अमेरिका, दुनिया का सबसे अधिक कोरोना प्रभावित देश है. अब तक यहां पर 67,26,353 कोरोना केस सामने आ चुके हैं. वहीं भारत 53,08,014 केसों के साथ दूसरा सबसे प्रभावित देश है. जबकि ब्राजील 44,95,183 मामलों के साथ तीसरा सबसे अधिक प्रभावित देश है. उसके बाद रूस और पेरू है.
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]]>The post कोरोना वायरस: भारत में रोक दिया गया ऑक्सफोर्ड वैक्सीन का ट्रायल appeared first on News n Feeds.
]]>भारत में पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने ऑक्सफोर्ड की कोरोना वायरस की वैक्सीन का ट्रायल फिलहाल रोक दिया है. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से अगला निर्देश आने तक ट्रायल पर रोक रहेगी. सुरक्षा कारणों की वजह से ये ट्रायल रोका गया है.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका पीएलसी की ओर से विकसित की जा रही कोरोना वैक्सीन के ट्रायल के शुरुआती नतीजे काफी उत्साहजनक रहे हैं. हालांकि, ब्रिटेन में एक वॉलन्टियर के बीमार पड़ने के बाद ब्रिटेन और अमेरिका में ट्रायल रोक दिया गया. सीरम इंस्टिट्यूट के सीईओ अदर पूनावाला ने कहा था कि भारत में वैक्सीन के ट्रायल पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. इसके बाद, ड्रग्स कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को नोटिस जारी कर दिया और सवाल किया था कि सीरम ने DGCI को दूसरे देशों में चल रहे ट्रायल के नतीजों के बारे में जानकारी क्यों नहीं दी.
भारत में ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन के दूसरे और तीसरे फेज के ट्रायल 17 जगहों पर चलाए जा रहे हैं. हालांकि, डीसीजीआई के नोटिस मिलने के बाद सीरम इंस्टिट्यूट ने ट्रायल रोकने का फैसला किया है.
ट्रायल के पहले और दूसरे सफल चरण से काफी उम्मीदें बंधी हैं और वैक्सीन के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए दुनिया भर में कई टाई-अप हुए. तीसरे चरण में वैक्सीन के ट्रायल्स को अमेरिका, ब्राजील, दक्षिण अमेरिका और भारत में विस्तारित किया गया था. सीरम इंस्टिट्यूट ने कहा था कि भारत के साथ-साथ वो कई अन्य देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराएगा.
बताया गया है कि ट्रायल के दौरान ब्रिटेन में एक वॉलन्टियर को ट्रांसवर्स मायलाइटिस का पता चला, जो स्पाइनल कॉर्ड को प्रभावित करने वाला एक इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम है, इसके लिए वायरल इंफेक्शन जिम्मेदार हो सकता है. कारण का पता लगाने के लिए एक स्वतंत्र जांच की जा रही है. ट्रायल को फिर से शुरू करने का निर्णय मेडिसिन एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेग्युलेटरी एजेंसी (MHRA) की ओर से लिया जाएगा.
वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस तरह के विराम वैक्सीन ट्रायल्स का ही हिस्सा है. दिल्ली एम्स के एक वैक्सीन एक्सपर्ट ने कहा, “कुछ मौकों पर ऐसा होता है कि वैक्सीन की डोज दिए जाने के दौरान मरीज बीमार हो जाता है या कभी कभी मौत भी हो जाती है. यह एक प्रक्रिया है और ट्रायल्स को रोकने की जरूरत होती है. ट्रायल जांचकर्ता पूरे नैतिक मानदंडों का पालन कर रहे हैं.”
क्या ट्रायल्स पर विराम से भारत में वैक्सीन के ट्रायल की निरंतरता पर असर पड़ेगा, इस सवाल पर ग्लोबल हेल्थ, बॉयोएथिक्स एंड हेल्थ पॉलिसी के रिसर्चर अनंत भान कहते हैं, “ये निर्भर करता है कि ट्रायल DSMB (डेटा एंड सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड) की ओर से क्या सिफारिश की जाती है.
भान ने कहा, “ये बोर्ड एक घटना पर आधारित डेटा की समीक्षा करेगा और फिर सिफारिश करेगा. इसमें तात्कालिकता को देखते हुए काम होगा. फिर जो फैसला होगा, उसके आधार जारी ट्रायल्स और प्रस्तावित ट्रायल्स पर पड़ने वाले असर को लेकर स्थिति स्पष्ट होगी. उन्होंने जो किया वो वो रिसर्च और क्लिनिकल ट्रायल्स के संदर्भ में सही और अच्छा कदम है.”
एस्ट्राजेनेका ने कहा है कि इसे लेकर निराश होने की जरूरत नहीं है. इस ट्रायल को रद्द नहीं किया गया है बल्कि सिर्फ कुछ दिनों के लिए रोका गया है. कंपनी के प्रवक्ता ने इसे रूटीन एक्शन बताया है. कंपनी का कहना है कि इस तरह के मामलों की जांच करने के लिए ट्रायल को कुछ दिनों के लिए रोकना पड़ता है.
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