प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा परिवार से पहले वतन को महत्व दिया है। यह कहना है उनके बड़े भाई सोमाभाई का, जो गुजरात के बडनगर में वृद्धाश्रम चलाते हैं। दैनिक भास्कर की टीम उनसे बातचीत करने पहुंची। प्रधानमंत्री के भाई होने के बावजूद वे बेहद सादगी से रहते हैं। वे वहां एक छोटे से कमरे में साधारण सी पलंग पर बैठे थे। बगल में चार कुर्सियां रखी थीं। हमने उन्हें अपना परिचय दिया तो प्रेमपूर्वक उन्होंने हमारा सत्कार किया। मोदी के जन्मदिन पर हम उनके भाई से हुई खास बातचीत यहां पेश कर रहे हैं…
गुजरात में 26 जनवरी 2001 को भयानक भूकंप आया था। यहां गांव के गांव खत्म हो गए थे। उस समय हमारा परिवार गुजरात में अलग-अलग जगहों पर था। मैं वडनगर में ही रहता था और इसलिए परिवार को मेरी चिंता हो रही थी। मैंने बेटे और बहू से बात करने की खूब कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई। आखिरकार मैंने नरेंद्र को फोन किया।
मैंने उनसे कहा कि गुजरात में भयानक भूकंप आया है और परिवार में किसी से संपर्क नहीं हो सका। मेरा इतना बोलते ही नरेंद्र मोदी ने कहा कि वडनगर में ‘तोरण’ तो सुरक्षित है कि नहीं? दरअसल वडनगर की मुख्य पहचान ही यहां का प्राचीन ‘तोरण’ है। तो अब आप ही अंदाजा लगा सकते हैं कि मोदी का अपने वतन से प्रेम कैसा होगा। जिसे अपने परिवार से ज्यादा अपनी जन्मस्थल की धरोहर की चिंता हो।
वडनगर से मोदी के प्रेम की बात करते हुए रो पड़े सोमाभाई
वडनगर को लेकर नरेंद्र मोदी का प्रेम आज भी उतना अटूट है, जितना बचपन में हुआ करता था। इसी के चलते आज वडनगर कुछ अलग ही है। पुराने वडनगर की बातें करते हुए सोमाभाई की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा कि आज वडनगर को देख लीजिए, यहां की सड़कें देख लीजिए। नरेंद्र मोदी ने वडनगर के विकास के संकल्प को साकार कर दिया है। शिक्षा के साथ ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी आज वडनगर की बात होने लगी है। यहां की गली-गली की सड़कें पक्की हो चुकी हैं। इतना ही नहीं, यहां होने वाले कई वार्षिक महोत्सव रोजगार के बड़े स्रोत बन चुके हैं।
वडनगर के विकास से लोग समृद्ध हुए
आमतौर पर नरेंद्र मोदी का परिवार मीडिया से दूर ही रहता है और बड़े भाई सोमाभाई भी इससे अछूते नहीं हैं। हालांकि, उन्होंने हमसे खुलकर कई रोचक बातें साझा कीं। उन्होंने कहा कि वडनगर आज जो भी है, मोदी की वजह से ही है। वडनगर के लगातार विकास के चलते यहां के लोग अब समृद्ध हो गए हैं।