नौसेना के लिए 55 हजार करोड़ की लागत से 6 सबमरीन बनाई जाएंगी। इसके लिए अक्टूबर से बोली लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। सरकारी सूत्रों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि चीन की बढ़ती नौसेना की ताकत के बीच इस कदम से भारतीय नौसेना ज्यादा मजबूत होगी।
सूत्रों के मुताबिक, इन सबमरीन का निर्माण उस मॉडल के तहत होगा, जिसमें घरेलू कंपनियों और विदेशी डिफेंस कंपनियों की साझेदारी से भारत में ही अत्याधुनिक और बड़े सैन्य प्रोडक्ट बनाए जाने हैं। इसका मकसद विदेशी आयात पर निर्भरता को कम करना है।
रक्षा मंत्रालय ने शॉर्ट लिस्ट किए नाम
सूत्रों के मुताबिक, इस मेगा प्रोजेक्ट का नाम पी-75 आई है। नेवी और रक्षा मंत्रालय की कई अलग-अलग टीमें इस प्रोजेक्ट के लिए स्पेसिफिकेशन और रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) के लिए जरूरी चीजों को पूरा करने का काम करेंगी। अक्टूबर तक आरएफपी जारी कर दिया जाएगा। प्रोजेक्ट के लिए रक्षा मंत्रालय पहले से ही दो भारतीय शिपयार्ड और 5 विदेशी डिफेंस कंपनियों को शॉर्टलिस्ट कर चुकी है।
यह डील मेक इन इंडिया के सबसे बड़े प्रोजेक्ट में शुमार होगी। सूत्रों के मुताबिक, भारतीय कंपनियों में एल एंड टी ग्रुप और मझगांव डॉक्स लिमिटेड (एमडीएल) हैं। विदेशी कंपनियों में जर्मनी की थाइसेनक्रुप मरीन सिस्टम, स्पेन की नैवेंटिया और फ्रांस की नेवल ग्रुप शामिल है। शुरुआत में रक्षा मंत्रालय एमडीएल और एल एंड टी को आरएफपी जारी करेगी।
इसके बाद इन कंपनियों को शॉर्ट लिस्ट की गई 5 विदेशी कंपनियों में से अपना साझेदार चुनना होगा।
मजबूती के लिए भारतीय नौसेना का प्लान और ये योजना किसलिए?
भारतीय नौसेना 24 नई सबमरीन हासिल करने की योजना बना रही है। इसमें 6 परमाणु पनडुब्बियां शामिल हैं। नौसेना अपने लिए 57 फाइटर जेट, 111 नेवल यूटिलिटी हेलिकॉप्टर (एनयूएच) और 123 मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर हािसल करना चाहती है। ये सभी मेक इन इंडिया पार्टनरशिप के तहत नौसेना को मिलेंगे। इसके तहत शुरुआत में फोकस फाइटर एयरक्राफ्ट, सबमरीन, आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल, टैंक और हेलिकॉप्टर पर है।
भारत के पास अभी 15 परंपरागत पनडुब्बियां हैं और इनमें 2 परमाणु सबमरीन शामिल हैं। हिंद महासागर में चीन अपनी मौजूदगी को बढ़ाना चाहता है और इसे देखते हुए नौसेना अपनी ताकत को जल्द से जल्द बढ़ाने पर फोकस कर रही है।
चीन के पास कितनी पनडुब्बियां?
ग्लोबल नेवल एनालिस्ट के मुताबिक, चीन के पास अभी 50 सबमरीन हैं और 350 जहाज हैं। अगले 8-10 साल में चीन के कुल सबमरीन और जहाजों का आंकड़ा 500 को पार कर जाएगा।
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