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सेना को 300 करोड़ तक के हथियार खरीदने की छूट दी; 39 हजार करोड़ के इक्विपमेंट आएंगे, 1 हजार किमी तक मारने वाली मिसाइल बनेगी

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भारत और चीन के बीच जारी तनाव कम होते-होते एक बार फिर बढ़ गया। दोनों देशों की सेनाएं पहली बार 5 मई को आमने-सामने आ गई थीं। उसके बाद 15-16 जून की रात को हिंसक झड़प भी हुई। बाद में बातचीत शुरू हुई और तनाव थोड़ा शांत होता दिख रहा था। लेकिन, अब फिर दोनों सेनाएं आमने-सामने आ गई हैं।

लद्दाख में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारत ने कई अहम डिफेंस डील को मंजूरी दी है। चीन से जारी तनाव के बीच ही फ्रांस से 5 राफेल भी भारत आए। सबसे अहम फैसला जो सरकार ने इस तनाव के बीच लिया, वो सेना को हथियार खरीदने की छूट देने का।

15 जुलाई को डिफेंस मिनिस्ट्री की डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल यानी डीएसी ने तीनों सेनाओं को 300 करोड़ रुपए तक के हथियार खरीदने की छूट दे दी। इसका मतलब सेनाएं चाहें तो 300 करोड़ रुपए तक के हथियार या इक्विपमेंट बिना सरकार की इजाजत के अपने स्तर पर ही खरीद सकती हैं। हालांकि, इसके लिए टाइम लिमिट भी तय की गई है, जिसके तहत सेनाओं को 6 महीने के अंदर ऑर्डर देना होगा। इसकी डिलीवरी भी 1 साल के भीतर होनी चाहिए।

इसके अलावा 15 जून से लेकर अब तक सरकार ने कौन-कौन सी डिफेंस डील कीं? क्या-क्या खरीदने को मंजूरी दी? आइए इस रिपोर्ट के जरिए समझने की कोशिश करते हैं…

38,900 करोड़ रुपए मंजूर, इनसे 33 नए विमान आएंगे

  • सेना की जरूरत को समझते हुए डीएसी ने 2 जुलाई को 38 हजार 900 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। इनसे 33 लड़ाकू विमान, मिसाइल सिस्टम और डिफेंस इक्विपमेंट खरीदे जाएंगे।
  • वायुसेना के लिए रूस से 21 मिग-29 और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से 12 सुखोई विमान खरीदने को भी मंजूरी मिल गई है। इस पर 18 हजार 148 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इसके साथ ही 59 मिग-29 को भी अपग्रेड किया जाएगा।
रूस से 21 नए मिग-29 खरीदे जाएंगे। साथ ही 59 मिग-29 को अपग्रेड किया जाएगा।

1 हजार किमी तक मारने वाली मिसाइलें बनेंगी

  • डीएसी ने लंबी दूरी तक मारने वाली लैंड अटैक क्रूज मिसाइल के निर्माण को भी मंजूरी दी है। ये भारत की पहली लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल है, जिसकी रेंज 1 हजार किमी तक है।
  • इसके अलावा स्वदेशी मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर पिनाका की भी नई रेजिमेंट तैयार होगी। पिनाका की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इससे महज 44 सेकंड में 12 रॉकेट दागे जा सकते हैं।
  • इसी तरह ‘अस्त्र’ मिसाइल के निर्माण में भी तेजी लाने का फैसला लिया गया है। इससे एयरफोर्स और नेवी की ताकत बढ़ेगी। अस्त्र मिसाइल की रेंज 160 किमी तक है।

टैंकों के लिए माइन्स प्लाउ आएंगे, 557 करोड़ रुपए खर्च होंगे

  • 20 जुलाई को ही रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की बैठक में 1,512 माइन्स प्लाउ खरीदने का फैसला लिया गया। 557 करोड़ रुपए की लागत से खरीदे जा रहे इन माइन प्लाउस को टी-90 टैंकों पर फिट किया जाएगा। इसका फायदा ये है कि टैंक पर रहकर ही माइन्स को खोदकर निकाला जा सकेगा।
  • रक्षा मंत्रालय ने ये डील भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड के साथ की है और 2027 तक ये माइन प्लाउ मिल जाएंगे। इस समझौते में ये तय है कि इनको बनाने के लिए जो सामान लगेगा, उसमें से 50% सामान स्वदेशी होगा।
माइन्स प्लाउ टैंकों में ही फिट होंगी, ताकि टैंक पर बैठे-बैठे ही जमीन से दुश्मन की माइन्स को खोदकर निकाला जा सकेगा।

इजरायल से हेरॉन ड्रोन और स्पाइक बम खरीदेंगे

  • गलवान में झड़प के बाद सरकार ने सेनाओं के लिए 500 करोड़ रुपए का इमरजेंसी फंड जारी किया था। इसी फंड के तहत सेना इजरायल से हेरॉन ड्रोन और स्पाइक एंटी मिसाइल खरीद रही है। तीनों सेनाओं के पास पहले से ही हेरॉन ड्रोन हैं।
  • हेरॉन अनमैन्ड एरियल व्हीकल (यूएवी) ड्रोन की खासियत ये है कि ये एक बार में दो दिन तक लगातार उड़ सकता है और 10 किमी की ऊंचाई से दुश्मन की हरकत पर नजर रख सकता है।
  • पिछले साल बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद सेना को 12 लॉन्चर और 200 स्पाइक मिसाइलें मिलीं थीं। इसके अलावा एलएसी पर हालात बिगड़ने की सूरत में उससे निपटने के लिए सेना की तरफ से पहले ही स्पाइस-2000 बम, असॉल्ट राइफल और मिसाइल खरीदी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हालांकि, ये कब तक आएंगी और इस पर कितना खर्च हो रहा है, इस बारे में सेना या सरकार की तरफ से नहीं बताया गया है।

अमेरिका से 72 हजार असॉल्ट राइफल खरीदी जाएंगी

  • इमरजेंसी फंड से ही सेना अमेरिका से 72 हजार एसआईजी 716 असॉल्ट राइफल खरीदने जा रही है। अमेरिका से पहले ही 72 हजार राइफलें सेना की नॉर्दर्न कमांड और दूसरे ऑपरेशनल इलाकों में तैनात सैनिकों को मिल चुकी हैं। यह राइफलों का दूसरा बैच होगा।
  • एसआईजी 716 असॉल्ट राइफल क्लोज और लॉन्ग कॉम्बैट की लेटेस्ट टेक्नीक से लैस हैं। सेना अभी जो इंसास राइफलें इस्तेमाल कर रही है, उसमें मैग्जीन टूटने की कई शिकायतें आई हैं। नई राइफलों में ऐसी कोई समस्या नहीं है।
  • इंसास राइफलों से 5.56×45 मिमी कारतूस ही दागे जा सकते हैं, जबकि एसआईजी 716 राइफल में ज्यादा ताकतवर 7.62×51 मिमी कारतूस का इस्तेमाल होता है।
अमेरिका से आने वाली इन राइफल्स में ज्यादा ताकतवर 7.62×51 मिमी कारतूस का इस्तेमाल होता है।

2018-19 में डिफेंस इक्विपमेंट की खरीद पर 45 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च किए
इसी साल मार्च में लोकसभा में एक सवाल के जवाब में रक्षा राज्य मंत्री श्रीपाद नाईक ने डिफेंस इक्विपमेंट पर होने वाले खर्च की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि सरकार ने 2018-19 में डिफेंस इक्विपमेंट की खरीदारी पर 45 हजार 705 करोड़ रुपए खर्च किए थे।

इतना ही नहीं, मार्च में ही आई स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी सिप्री की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत दुनिया का दूसरा देश है, जो सबसे ज्यादा हथियार खरीदता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 से 2019 के बीच दुनियाभर में डिफेंस से जुड़ा जितना इंपोर्ट हुआ, उसमें से सबसे ज्यादा 12% सऊदी अरब ने खरीदा। उसके बाद 9.2% भारत ने लिया।

हालांकि, एक बात और ये भी है कि भले ही भारत डिफेंस इम्पोर्ट कर रहा है, लेकिन हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट भी बढ़ रहा है। यानी, अब हम दूसरे देशों को भी डिफेंस इक्विपमेंट बेच रहे हैं। रक्षा मंत्रालय पर मौजूद डेटा के मुताबिक, पिछले 5 साल से हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट लगातार बढ़ रहा है।

वेबसाइट पर मौजूद डेटा के मुताबिक, 2020-21 में सरकार ने 15 हजार करोड़ रुपए का डिफेंस एक्सपोर्ट करने का टारगेट रखा है। इसमें से 27 अगस्त तक 2 हजार 963 करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट भी हो चुका है।

2019-20 में देश ने 9 हजार 116 करोड़ रुपए का डिफेंस एक्सपोर्ट किया था, जबकि इससे पहले 2018-19 में 8 हजार 320 करोड़ रुपए का डिफेंस एक्सपोर्ट हुआ था।

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एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत दुनिया का दूसरा ऐसा देश है, जो सबसे ज्यादा हथियार खरीदता है। पर, अब देश डिफेंस सेक्टर में एक्सपोर्ट में भी काफी आगे बढ़ रहा है।