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विदेश से आने वालों को होम क्वारैंटाइन के लिए 15 हजार रुपए मिल रहे, गांवों में 7 हजार आइसोलेशन वॉर्ड बने

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भुवनेश्वर से अनु शर्मा. पिछले साल ओडिशा का सामना फैनी तूफान से हुआ था। इसके आने से पहले ओडिशा और पूरा देश दहशत में था। तूफान की रफ्तार 200 से 250 किमी प्रति घंटे थी। तूफान आया और गुजर गया। इससे संपत्ति का तो व्यापक नुकसान हुआ, लेकिन जनहानि ज्यादा नहीं हुई। ओडिशा सरकार के आपदा प्रबंधन को देखकर पूरी दुनिया चौंक गईथी। फैनी तूफान को गुजरे एक साल भी नहीं बीता औरओडिशा का सामना अब कोरोनावायरस से हो गया। अब ओडिशा सरकार कोरोनावायरस को भी हराने के लिए ताबड़तोड़ कदम उठा रही है। राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के तहत कोरोनावारयस को भी आपदा घोषित किया है। ऐसे कई और शुरुआती कदम हैं, जो देश के बाकी राज्यों लिए सबक हैं।

शुरुआतीतैयारी: लॉकडाउन से पहले ही हेल्पलाइन नंबर जारी किया, 17 हजार 262 लोगों ने कोरोना के बारे में जानकारी ली

  • कोरोना वायरस को रोकने के लिए राज्य सरकार ने 3 मार्च 2020 को शुरुआतीकदम उठा लिए थे। सरकार ने विदेश से ओडिशा आने वाले सभी लोगों को वेब पोर्टल covid19.odisha.gov.in पर रजिस्ट्रेशन कराने को कहा।इसमें रजिस्ट्रेशन कराने वालोंको 14 दिनों तक नियमित रुप से क्वरैंटाइन में रहने पर 15 हजार रुपए देने का भी वादा किया। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक 26 मार्च तक 4,000 से अधिक लोगों ने इस पोर्टल पर अपना नाम पंजीकृत करवाया है।
  • ओडिशा सरकार ने लॉकडाउन से बहुत पहले ही राज्य के लोगों के लिए 104 नंबर की हेल्पलाइन भी जारी कर दी थी। इस नंबर पर 13 से 22 मार्च तक 72,134 लोगों ने कॉल किया, जिनमें से 48,313 लोगों से सरकार की ओर से संपर्क किया गया। 17,262 लोगों ने कोरोना वायरस के फैलाव से जुड़ी जानकारी ली। अन्य लोगों ने सर्दी, खासी एवं स्वाइन फ्लू से जुड़े सवाल पूछे।

भुवनेश्वर में सड़कों पर लॉकडाउन काफी हद तक कामयाब है।

नेशनल लॉकडाउन से पहले: राज्य के 5 जिले और 8 शहरों को बंद कर दिया गया था, केवल जरूरी सेवाएं चल रही थीं

  • सरकार ने राज्य के 5 जिले और 8 प्रमुख शहरों को 22 मार्च से 29 मार्च तक लॉकडाउन कर दिया था। हालांकि बाद में केंद्र सरकार ने 24 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन घोषित कर दिया। इस दौरान केवल बैंक, एटीएम, दवाखाना, राशन दुकान एवं अन्य अहम एजेंसियों को खुला रखने का निर्देश दिया गया।
  • नवीन पटनायक सरकार ने कोरोना के खिलाफ परिवार की फिक्र छोड़ और अपनी जान की बाजी लगाकर सेवा में जुटे डाॅक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ और हेल्थकेयर कर्मचारियों को 4 महीने का एडवांस वेतन अप्रैल महीने में ही एक साथ देने की घोषण की है।

इलाज की व्यवस्था: अब तक राज्य में कोरोना के सिर्फ 3 पॉजिटिव केस आए हैं, कोरोना वार्ड तैयार हो रहे
ओडिशा में अब तक कोरोनावारयस के 3 पॉजिटिव केस सामने आए हैं। इन सभी का भुवनेश्वर के अस्पतालों में इलाज चल रहा है। राज्य में 26 मार्च तक 166 नमूनों की जांच की गई है।
वहीं, अब पटनायक सरकार ने देश में कोरोना मरीजों बढ़ती संख्या को देखकर भुवनेश्वर में एक हजार बेडवाला अस्पताल बनाने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री कार्यालय के मुताबिक यह अस्पताल 15 दिन में बनकर तैयार हो जाएगा। इसे दो भागों में बांटा गया है। इसके तहत केआईआईएमएस मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन ब्लॉक में 450 बेड का अस्पताल बनेगा। इसके साथ 550 बेड की व्यवस्था एसयूएम हॉस्पिटल के कन्वेंशन सेंटर में की जाएगी। दोनों जगहों पर 24 घंटे इलाज किया जाएगा। इसका खर्च ओडिशा माइनिंग कॉरपोरेशन(ओएमसी) और महानदी कोलफिल्ड लिमिटेड(एमसीएल) के सीएसआर फंड द्वारा की जाएगी।

केआईआईएमएस मेडिकल कॉलेज के इसी मेडिसिन ब्लॉक में कोरोना के इलाज के लिए 450 बेड बन रहे।

अपनों की मदद: अन्य राज्यों में फंसे ओडिशा के लोगों के रहने-खाने और उपचार का खर्च सरकार उठाएगी
ओडिशा सरकार ने 21 दिनों के लॉकडाउन को देखते हुए अन्य राज्यों में फंसे ओडिशा के लोगों के रहने-खाने और समय पर उपचार की व्यवस्था करने के लिए सभी राज्यों के मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है। इस दौरान हुए खर्च को भी ओडिशा सरकार भुगतान करेगी। इसके अलावा सरकार ने 21 दिनों के लॉकडाउन में अन्य राज्यों में फंसे ओडिशा के लोगों की मदद के लिए उच्च अधिकारी के नेतृत्व में एक कंट्रोल रूम कोविड-19 बनाया है। कंट्रोल रूम के फोन नम्बर-0674 2392115 और 9438915986 पर कॉल कर लॉकडाउन में फंसा व्यक्ति ओडिशा सरकार से संपर्क कर सकता है।

जमीनी तैयारी: गांवों में क्वरैंटाइन लोगों के घरों के सामने पोस्टर चिपकाए गए, पड़ोसियों को सावधानी बरतने की हिदायत
देश के विभिन्न राज्यों में काम करने वाले 84 हजार से ज्यादा ओडिशा के लोग लॉकडाउन से प्रभावित होकर लौटे हैं। इन सभी को होम क्वरैंटाइन रहने का अनुरोध किया गया है। राज्य में पंचायत स्तर पर अब तक 7 हजार से अधिक आइसोलेशन वार्ड तैयार किए गए हैं। होम क्वरैंटाइन में रहने वालों लोगों के घरों के सामने एक पोस्टर चिपकाया जा रहा है और पड़ोसियों को क्वरैंटाइन परिवार से दूर रहने के लिए कहा जा रहा है।

होम क्वरैंटाइन में रहने वालों लोगों के घरों के सामने एक पोस्टर चिपकाया जा रहा है।

सोशल डिस्टेंसिंगका ख्याल: खरीददारी के वक्त 1 मीटर की दूरी जरूरी, नहीं तो कार्रवाई की जा रही, राशन की होम डिलीवरी भी
कोरोना की लड़ाई में सोशल डिस्टेंसिंग का भी खास ध्यान रखा जरा है। राज्य के सभी जिलों में मॉल एवं मार्ट के माध्यम से लोगों को राशन के साथ अन्य जरूरी सामान होम डिलीवरी की जरिए भिजवाई जा रही है। ताकि सोशल डिस्टेंशिंग मेनटेन हो सके। राज्य में सब्जी और राशन के दुकानों को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रखने का निर्देश है। दुकानों पर सामान की खरीदारी के वक्त एक-मीटर की दूरी बनना अनिवार्य है। इस नियम का उल्घंन करने वाले पर कानूनी कार्रवाई दर्ज किया जाएगा।

भुवनेश्वर में सड़कों पर सब्जी मार्केट में सोशल डिस्टेंशिंग के लिए बनाए गए निशान।

स्वयंसेवी संस्थाएं भी जुटीं: रेड क्रास सोसाइटी के वॉलंटियर्स पुलिसकर्मियों को मास्क और पानी की बॉटल बांट रहे
रेड क्रोस सोसायटी के वॉलंटियर्स भी कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई में सरकार की मदद कर रहे हैं। वॉलंटियर्स चौराहों पर तैनात पुलिसकर्मियों को फेस मास्क, पानी की बोतल और फल देते हुए सैल्यूटकर रहे हैं। एक वॉलंटियर्स ने कहा कि हम अपने घरों में परिवार के साथ खुशी से हैं, लेकिन हमारी सुरक्षा के लिए तैनात पुलिसकर्मी अपने घर परिवार से दूर रहते हैं। हम इनके मनोबल को बढ़ाना चाहते हैं। इस काम 100 से अधिक वॉलंटियर्स जुटे हैं। वहीं, राजधानी के कई एनजीओ भी सड़कों पर घूम रहे जानवरों को खाना देने का काम कर रहे हैं।

नेतृत्व क्षमता: मुख्यमंत्री पटनायक को आपदा प्रबंधन का चाणक्य कहा जाता है, कई राज्य भी ले चुके हैं मदद
ओडिशा की कमान पिछले 20 साल से मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के हाथों में है। इस दौरान में पटनायक ने कई बार प्राकृतिक आपदाओं का मुकाबला किया। उन्हें आपदाओं से निटपने और तैयारी कराने में चाणक्य माना जाता है। पिछले सालों में केरल, तमिलनाडु समेत कई अन्य राज्यों ने भी आपदा के समय में ओडिशा सरकार की मदद ली है। नवीन पटनायक ने अपना तीन महीने का वेतन भी मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा किया है। मुख्यमंत्री ने अन्य लोगों से भी दान देने का अनुरोध किया है।

राज्य के सीएम नवीन पटनायक ने भी जनता कर्फ्यू के दिन शाम को थाली बजाई थी।

आपदाओं का सामना: 1999 में आए तूफान में करीब 15 हजार लोगों की जान गई थी, फिर सरकार ने आपदा प्रबंधन तंत्र बनाया

ओडिशा की समुद्री सीमा 450 किलोमीटर लंबी है। इसलिए ओडिशा को बार-बार प्राकृतिक आपदाओं की मार करने की आदत पड़ गई है। 1999 में आए एक चक्रवाती तूफान के चलते ओडिशा में करीब 15 हजार लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी थी। तकरीबन 16 लाख लोगों को बेघर हो गए थे। इसके बाद ओडिशा ने आपदा प्रबंधन का तंत्र बनाया, जो अब मिसाल बन चुका है। इसके बाद ओडिशा में 2013 में थाईलीन, 2014 में हुदहुद, 2018 में तितली और 2019 में बुलबुल और फोनी जैसे चक्रवाती तूफान का सामना करना पड़ा। इन तूफानों से संपत्ति का तो काफी नुकसान हुए, लेकिन इंसानी मौतों की संख्या दो अंक से पार नहीं गई। ओडिशा सरकार ने आपदाओं से निपटने के लिए ओडिशा आपदा अनुक्रिया बल(ओडीआरफ) का गठन किया है।

तस्वीर पिछले साल में मई में ओडिशा में आए फैनी तूफान के बाद हुई तबाही की है।

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ओडिशा में रेडक्रॉस सोसाइटी के वॉलिंटियर्स पुलिसकर्मियों को मास्क और पानी बांट रहे।