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वहां सैनिटाइजर्स के लिए लोगों ने सुपर मार्केट की अलमारियां छान मारी थीं

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श्रीनगर. कश्मीर के बांदीपोरा के रहने वाले उमर सुहैल चीन के जिलिन शहर की बिहुआ यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस कर रहे हैं। 21 जनवरी की सर्द रात में जब उनके पास एक फोन कॉल आता है तो वे पसीने से तरबतर हो जाते हैं। इस कॉल में उन्हें चीन में फैल रहे कोरोनावायरस के बारे में जानकारी दी जाती है। उन्हें यह भी बताया जाता है कि वे जिस यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं, वायरस का संक्रमण उस ओर भी बढ़ रहा है। इस फोन कॉल के 10 दिन बाद ही उमर अपने घर आ जाते हैं,लेकिन ये 10 दिन और घर आने के बाद अगले 14 दिन उन्होंने कैसे गुजारें, शायद उन्हें जिंदगीभर याद रहने वाला है।

पूरे शहर में अशांति फैल गई थी: उमर

उमर बताते हैं,‘‘मैंने देखाहै कि उन दिनों में जिलिन शहर के सुपर मार्केट कितनी तेजी से खाली होने लगे थे। यह भी देखा है कि पूरे शहर में कैसे एकदम अशांति सी फैल गई थी। लोगों ने सुपर मार्केट की अलमारियों को छान मारा था। खाने-पीने के सामान और सैनिटाइजर्स इकट्ठा करने की होड़ मची हुई थी। मुझे याद है कि भारत लौटने से पहले किस तरह मैं सैनिटाइजर और मास्क के लिए लोगों के सामने हाथ फैला रहा था। बड़ी मुश्किल से मुझे एक बोतल सैनिटाइजर मिल पाया था।”

जब हर जगह बंद होने लगी और खाने-पीने के सामान की कमी होने लगी, तभी उमर ने घाटी में लौटने का फैसला लिया। 30 जनवरी को उन्होंने शंघाई से फ्लाइट पकड़ी और 1 फरवरी को भारत पहुंच गए। यहां पहुंचते ही उनका चेकअप किया गया। उनके परिवार के सदस्यों ने भी उनके आते ही सवालों की बौछार शुरू कर दी। उमर बताते हैं कि “एयरपोर्ट पर स्क्रिनिंग स्टॉफ ने उन्हें स्वस्थ पाया था, लेकिन जैसे ही वे अपने घर पहुंचे, बांदीपोरा के हॉस्पिटल से डॉक्टर्स की टीम आई, चेकअप किया और मुझे घर पर ही 14 दिन तक क्वारटाइन (कोरोनावायरस के संदिग्ध मरीजों को अलग रखना) कर दिया गया।”

उमर के लिए असल चुनौती क्वारटाइन पीरियड के साथ शुरू हुई। उन्हें किसी से भी मिलने की मनाही थी, वे परिवार के सदस्यों के साथ खाना भी नहीं खा सकते थे। उमर बताते हैं, “पड़ोसी और रिश्तेदार हर दिन मेरेघर आते और मां से पूछते कि क्या मैं ठीक हूं? उनके लगातार आने और बार-बार एक ही सवाल पूछने से मुझे भी ये लगने लगा था कि मैं एक जानलेवा इंफेक्शन का सोर्स हो गया हूं।”

उमर इंटरनेट की धीमी स्पीड की ओर इशारा करते हुए उदासी भरी आवाज में बताते हैं कि “सभी तरह की नकारात्मकता से दूर होने के लिए मैं अपना पूरा टाइम पढ़ाई में देना चाहता था, लेकिन इंटरनेट की 2G स्पीड के चलते ये भी संभव नहीं हो सका। मुझे अपनी ऑनलाइन क्लासेस भी छोड़नी पड़ी।”

इन्फेक्शन के डर से रात-रातभर नींद नहीं आती थी: खुशबू

चीन के हिलोंगजिआंग प्रांत की कीकीहार यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही खुशबू राथेर की भी कहानी कुछ ऐसी ही है। उनके प्रोफेसर ने उन्हें कई बार डोरमेट्री रूम से बाहर न निकलने की सलाह दी। बांदीपुरा क्षेत्र के चट्टी बांदी इलाके की रहने वाली खुशबू अभी 21 साल की हैं। वे उन दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि कैसे उन्हें इन्फेक्शन के फैलने के डर से रात-रात भर नींद नहीं आती थी।

खुशबू बताती हैं, “टीचर हमे ट्रिपल लेयर मास्क पहनने के लिए कहती थीं। वे हर घंटे हमारेबॉडी टेम्परेचर को मॉनिटर कर रहीथीं। उन दिनों हम सभी एक-दूसरे से कुछ सवाल बार-बार पूछ रहे थे- अगर हममें से कोई एक संक्रमित निकला तो क्या होगा? क्या हम जिंदा बच पाएंगे? क्या हमारा परिवार हमें फिर से देख पाएगा? क्या यहीं अंत है? हम चीनी भाषा नहीं जानते, अगर हमें क्वारटाइन किया गया तो हम उन लोगों से कैसे बात करेंगे?”

वायरस के तेजी से फैलने के डर से खुशबू ने 5 फरवरी को भारत आने का फैसला लिया। वे बताती हैं कि, “गुआंगझू से मेरी फ्लाइट थी। वहां कई ऐसे लोग थे, जो संक्रमित थे। मुझे लगातार यही डर सता रहा था कि मैं शायद सुरक्षित घर नहीं पहुंच पाऊंगी।”

खुशबू 7 फरवरी को श्रीनगर एयरपोर्ट पर उतरीं। स्क्रिनिंग के बाद उन्हें फौरन चेक अप के लिए ले जाया गया। वे बताती हैं कि “चेकअप में कोरोनावायरस का कोई लक्षण नजर नहीं आया। मुझे पूरी तरह से स्वस्थ बताया गया था, लेकिन एहतियात के तौर पर मुझे घर पर क्वारटाइन कर दिया गया।”

खुशबू को जब घर लाया गया, तो उनके भाई-बहन और रिश्तेदार उन्हें डर और कुछ तिरस्कार की नजर से देखते थे। वे बताती हैं कि, “मुझे अपने कमरे से बाहर आने की इजाजत नहीं थी। खाना भी परिवार के साथ नहीं खा सकती थी। मुझे बहुतही बुरा लगता था।”

पढ़ाई में आए इस ब्रेक से खुशबू थोड़ी परेशान भी नजर आती हैं। वे कहती हैं कि, “हमारा तीसरा सेमेस्टर अभी शुरू ही हुआ था। हम अपने नए विषयों को लेकर बेहद उत्साहित थे और अब मैं यहां हूं अकेले, सभी से अलग-थलग, जहां से वापसी की कोई उम्मीद भी फिलहाल नजर नहीं आती।”

कश्मीर में अब तक 1433 लोगों को क्वारटाइन किया गया

एक आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक, श्रीनगर एयरपोर्ट पर अब तक करीब 28 हजार 525 यात्रियों की स्क्रिनिंग हुई है। इसके मुताबिक कुल 1433 लोगों को होम क्वारटाइन किया गया है। डेटा के मुताबिक कश्मीर से 23 सैम्पल लिए गए हैं, इनमें से 20 नेगेटिव मिले हैं। अब तक कश्मीर में कोरोनावायरस का एक भी पॉजिटिव सैम्पल नहीं मिला है, लेकिन यहां लोग दुनियाभर में इस वायरस से हो रही मौतों से चिंतित हैं।

प्रशासन ने निगरानी और कंट्रोल सिस्टम मजबूत किया

जम्मू और कश्मीर प्रशासन कोरोनावायरस के लक्षणों की पहचान के लिए और इसके फैलते संक्रमण से तुरंत निपटने के लिए लगातार तैयारी बेहतर कर रहा है। प्रशासन ने निगरानी और कंट्रोल सिस्टम को मजबूत किया है। केन्द्र शासित प्रदेश (+91-0191-2549676), जम्मू डिवीजन (+91-0191-25220982) और कश्मीर डिवीजन (+91-0194-2440283) के लिए अलग-अलग हेल्पलाइन नम्बर जारी किए गए हैं। इसके साथ हीश्रीनगर एयरपोर्ट और राष्ट्रीय राजमार्ग जम्मू और कश्मीर में स्क्रीनिंग के लिए अतिरिक्त प्रशिक्षित कर्मचारियों को रखा गया है। सनत नगर में एक आइसोलेशन सेंटर बनाया गया है, अलग-अलग जिलों में क्वारटाइन फैसेलिटी को बढ़ाया गया है, ताकि संदिग्ध मामलों को तीसरे स्तर के केन्द्र पर सीधे लाने की बजाय लोगों को इन्हीं क्वारटाइन में रखा जाए।

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उमर सुहैल चीन से एमबीबीएस कर रहे हैं। वे 1 फरवरी को भारत लौटे हैं।- फाइल