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कोट भलवाल जेल से ऑपरेट आतंकी नेटवर्क का खुलासा; किताबों में रखकर भेजे जा रहे थे, सिम, फोन और हवाला के पैसे

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जम्मू के कोटभलवाल जेल से ऑपरेट करे रहे आतंकवादियों का नेटवर्क पुलिस ने पकड़ा है। जैश ए मोहम्मद के ये आतंकवादी जेल की भीतर से आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। गौरतलब है कि कोट भलवाल जेल में कई आतंकवादी मौजूूद हैं।शनिवार देर शाम पुलिस ने सेंट्रल जेल में छापा मारा था। इसी दौरान उन्हें मोबाइल फोन, सिम कार्ड और कुछ गैर कानूनी सामान एक बैरक से मिला। उस बैरक में जैश का कमांडर अब्दुल रहमान मुगल तीन आतंकियों के साथ बंद है।अब्दुल रहमान मोबाइल फोन के जरिए पाकिस्तान में मौजूद अपने हैंडलर्स के संपर्क में था। जम्मू कश्मीर पुलिस के मुताबिक यह जानकारी जम्मू के आरएस पुरा इलाके के चकौरी से एक ओवरग्राउंड वर्कर के पकड़े जाने के बाद मिली थी। इस ओवरग्राउंड वर्कर की पहचान मोहम्मद मुजफ्फर बेग के रूप में हुई है जो कश्मीर के हंदवाड़ा का है। बेग 20 मार्च से ही इलाके में मौजूद था और लॉकडाउन के चलते घाटी लौट नहीं पाया।

पुलिस बेग को पनाह देनेवाले स्थानीय नागरिक को लेकर भी पूछताछ कर रही है। गौरतलब है कि आरएस पुरा के इस स्थानीय नागरिक हाल ही में जेल से छूटकर आया है और वह बेग के संपर्क में अपने एक रिश्तेदार के जरिए आया जो खुद भी जेेल में था।आरएस पुरा पुलिस ने उस स्थानीय व्यक्ति से कुछ सिम कार्ड और हवाला का पैसा बरामद किया है।

ओवरग्रांउड वर्कर से मिली अहम जानकारी

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक जैश केओवरग्राउंड वर्कर ने पूछताछ के दौरान पुलिस को अहम जानकारी दी जिसके चलते कोटभलवाल जेल में छापा मारा गया। बेग ने ही बताया कि ये जो सिम और पैसे उसके पास है वह कोटभलवाल में मौजूद किसी पाकिस्तानी आतंकवादी के लिए हैं। ये सिम और पैसे किताबों के कवर में रखे हुए थे और आतंकवादियों तक पहुंचाना था।जेल के अधिकारियों के मुताबिक वह पूरी चेन की पड़ताल कर रहे हैं और जल्दी ही जेल में और ज्यादा छापे मारेंगे।
आतंकवादियों का अड्‌डा रहा है कोट भलवाल जेल
आतंकवाद के चरम में रहते जम्मू के बाहरी इलाके में बना कोट भलवाल जेल आतंकवादियों का अड्‌डा माना जाता था सुरक्षाबलों द्वारा पकड़े गए खतरनाक आतंकवादियों को यहीं रखा जाता था। और ये आतंकवादी बैरक से अपनी हुकूमत चलाते थे, यही नहीं बकायदा वर्चस्व की लड़ाई होती थी और मुखिया भी चुने जाते थे। जेल के भीतर आजादी के नारे लगते थे। जेल अधिकारी भी रोल कॉल और औचक दौरे के लिए इनके पास जेल के भीतर जाने से डरते थे। ये भयानक कैदी जेल गार्ड् को छेड़ते थे और चिल्लाकर उन्हें धमकाते थे और बेखौफ भीतर घूमते थे। आतंकवादियों के जेल में आने जाने से यहां के हालात बेहद तनावपूर्ण होते थे। यही नहीं इस जेल का इस्तेमाल राज्य पुलिस की सीआईडी ज्वाइंट इंटेरोग्रेशन सेंटर बतौर करती थी।

यहांजेल ब्रैक की घटनाएं भी घट चुकी हैं
जेल में कई बार कैदी आतंक मचा चुके हैं और जेल ब्रैक जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जा चुका है। दो मौकों पर तो आतंकवादी सुरक्षा बंदोबस्त को तोड़ दीवार फांद चुके हैं। एक जेल ब्रेक के दौरान हिजबुल मुजाहिद्दीन कमांडर इरफान ने 1998 में अपने दो साथियों के साथ अंजाम दिया था। वह 15 अगस्त 1995 को स्टेडियम में बम ब्लास्ट का आरोपी था जिसमें राज्य के गवर्नर केवी कृष्णा राव बुरी तरह जख्मी हुए थे। 8 लोग मारे गए थे और 50 अन्य घायल हुए थे।
जून 1999 में दूसरा जेल ब्रेक जैश के ही मौलाना मसूद अजहर ने अंजाम दिया था। आतंकवादियों ने मिलकर बैरक में सैप्टिक टैंक के जरिए 180 फीट की सुरंग बनाई थी। बस इन आतंकवादियों से यह गलती हो गई कि ये सुरंग थोड़ी संकरी थी और मौलाना मसूद अजहर मोटा। इस वजह से मसूद भाग नहीं सका। इस दौरान मसूद तो बच गया लेकिन सुंरग के भीतर एक दूसरे आतंकी सज्जाद अफगानी को सीआरपीएफ ने मार गिराया।

छूटने से पहले मसूद अजहर यहीं बंद था
यह जेल एक बार फिर चर्चा में आया जब इंडियन एयरलाइन की फ्लाइंट आईसी 814 के हाईजैकर्स ने मसूद अजहर की रिहाई की मांग की थी। 1999 में मौलाना को दो आतंकवादियों मुश्ताक अहमद जारगर और अहमद उमर सईद शेख के साथ कड़ी सुरक्षा के बीच कंधार एयरपोर्ट ले जाया गया। जहां उनके बदले यात्रियों को छुड़वाया था। जाने से पहले मसूद ने जेल में एक भड़काऊ भाषण दिया था।

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जम्मू की कोट भलवाल जेल में पुलिस ने कार्रवाई की। इस दौरान कई कैदियों से सिम, मोबाइल फोन जैसी चीजें मिलीं। इस जेल में कई आतंकी भी बंद हैं।